राम राम साथियों,
जून माह के समाप्त होने के बाद बड़ी उत्सुकता थी कि आदेश कब आएगा, कहीं से भी तारीख की जानकारी नही हो पा रही थी। फिर पता चला किसी दिन शाम को लिस्ट आएगी और अगले दिन फ़ैसला सुनाया जायेगा और इसीक्रम में 25जुलाई को अंतिम फैसला हम सभी के बीच आया।
अब तक आप सभी ने स्वयं आर्डर को ही या लगातार आ रहीं पोस्ट के माध्यम से आर्डर पड़ और समझ ही लिया होगा। सपा सरकार द्वारा पुरे 5वर्ष में और न्यायधीश दीपक मिश्रा जी द्वारा 2वर्ष में केस को जितना कॉम्प्लिकेटेड बना दिया था न्यायधीश ऐ के गोयल जी और न्यायधीश यू यू ललित जी ने उसे सुलझाने की भरसक कोशिश की है। आदेश को प्रथमद्रष्टया देखने पर साफ़ दिख रहा है कि वर्तमान न्यायिक बैंच ने स्वयं कोर्ट को बचाने का प्रयास किया है और न्यायिक निर्णय ना करके व्यवहारिक निर्णय करने का प्रयास किया है और कुछ पहलुओं को अनछुआ ही छोड़ दिया है।
सबसे पहले बात करें 72825भर्ती के अंतिम रूप से निस्तारण की तो यह बैंच प्योर टेट मेरिट से सहमत नही थी लेकिन हाइकोर्ट से अशोक भूषण जी के आदेश और सुप्रीम कोर्ट से एच एल दत्तू जी और दीपक मिश्रा जी के अंतरिम आदेशों पर सम्पन्न हुई 66,655 पदों तक की भर्ती को उनके सम्मान में सुरक्षित कर दिया है।
दूसरे क्रम में बात करें शिक्षामित्रों के समायोजन की तो माननीय डी बाई चन्द्रचूड़ जी के आदेश का सम्मान और शिक्षामित्रों की न्यूनतम योग्यता पूरी ना होने की बजह से उसी आदेश पर यह बैंच भी कायम रही उनको जो दो बार का रिलेक्स दिया है वह भी सिर्फ अपने इस आदेश के बचाव में ताकि आगे की पीठ में कोई हस्तक्षेप ना करे।
तीसरे क्रम में गुणांक मेरिट के आधार पर हुई भर्तियों के निर्णय की बात थी तो बहस के दौरान कोर्ट गुणांक मेरिट से भी संतुष्ट नही थी और माननीय अशोक भूषण जी और डी बी भोषले जी का निर्णय भी इनके विरुद्ध था लेकिन 1लाख 37हजार कम योग्यता के कारण पहले ही पदमुक्त हो चुके थे इस कारण न्यूनतम योग्यता पूरी करने वाली इन सभी भर्तियों को यथावत छोड़ दिया।
इतने विवादों के निपटारे में कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उन विवादों पर कोई टिप्पड़ी नही की जो यातो स्वयं कोर्ट द्वारा खड़े किये गए थे या कि बाल शिक्षा हेतु अनिवार्य थे।
सुप्रीम कोर्ट के स्वयं के 7दिसम्बर15 के आदेश पर 841अभ्यर्थियों का चयन हुआ जिसके आधार पर 24फरबरी16 को फिर कोर्ट ने ही आदेश पारित किया उस पर 24अगस्त16 को पुनः कोर्ट ने अपना मत रखा और 17नवम्बर16 को स्पस्ट लिखा भी की टेट सर्टिफिकेट की वेलिडिटी रहेगी या लेप्स हो जायेगी यह हम अंतिम आदेश में निर्धारित करेंगे लेकिन अंतिम आदेश से ये सभी गायब मिले।
इसके अतिरिक्त RTEएक्ट के अनुसार रिक्त पदों पर योग्य अभ्यर्थियों के चयन हेतु दाखिल की गयी रिट पिटीशन पर भी कोर्ट ने अपना कोई व्यू नही दिया जबकि सुनवाई के दौरान अपडेट हो रहे ऑर्डर्स में कोर्ट ने Mr. H.P. Rawal, learned senior counsel for responded no 4 in SLP (C) 20444/2016 and applicants in IA no 5 in SLP(C) no 36033/2015 commenced his argument at 2:30p.m. and concluded at 2:55p.m. Mr. Vibha Datta Makhija, learned senior counsel for the Petitioner in WP (C) 244 made her submission for 15minutes बहस होना स्वीकार्य किया है लेकिन अंतिम आदेश में इस बैंच ने इस पर अपना कोई मत ही नही रखा।
आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खाली हाथ रह गए साथी चाहे चयनितों पर पूरा आरोपमड़ दें या फिर इस बैंच में पैरवी कर रहे विशुद्ध रूप से अचयनित भाइयों पर, उससे आपको हासिल कुछ नही होने वाला है। यदि शुद्ध रूप से चयनित ही गलत पैरवी के दोषी है तो अचयनित नेतृत्व दिल्ली करने क्या जाता था यह अप्रत्क्षय रूप से उनके नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। जबकि मैं बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ कह सकता हूँ कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी के द्वारा प्रयास में कहीं कोई कमी नही छोड़ी गई थी।
फ़िलहाल इस आदेश में हमारा जो हिस्सा कोर्ट से छूट गया है छोड़ दिया गया है हम उनसे direction petition या review petition के माध्यम से पुनः पूछने जा रहे है। जब हमारी रिट को सुना गया है तो उस पर हमें लिखित में बताए तो कोर्ट हमारा पक्ष सही है अथवा गलत। जब आपने अंतरिम आदेश दिए है तो आप अंतिम रूप से बतायें तो सही उनका करना क्या है..???? जब आपने अपने स्वयं के आदेश से कुछ लोगों को कम अंक होने पर भी अतिरिक्त लाभ दिया है तो शेष को क्यों नही..????
#IncompleteJudgement
अंत में मैं आप सभी से यही कहूंगा इस संघर्ष में मैं तन मन धन से आप सभी के साथ हूँ और हाँ दोस्तों ध्यान रहें...
"चिरागों की तरह खुद को जलना होता है,
मुठी बन्ध कर लेने से इंक़लाब नही होते।"
मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
नोट :- विज्ञापन 07/12/12 के माध्यम से कोई भी राहत यदि प्राप्त करनी है तो फेसबुक-व्हाट्सप छोड़कर संख्या-योग्यता के दम पर सीधे योगी सरकार से मांगनी होगी।
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
जून माह के समाप्त होने के बाद बड़ी उत्सुकता थी कि आदेश कब आएगा, कहीं से भी तारीख की जानकारी नही हो पा रही थी। फिर पता चला किसी दिन शाम को लिस्ट आएगी और अगले दिन फ़ैसला सुनाया जायेगा और इसीक्रम में 25जुलाई को अंतिम फैसला हम सभी के बीच आया।
अब तक आप सभी ने स्वयं आर्डर को ही या लगातार आ रहीं पोस्ट के माध्यम से आर्डर पड़ और समझ ही लिया होगा। सपा सरकार द्वारा पुरे 5वर्ष में और न्यायधीश दीपक मिश्रा जी द्वारा 2वर्ष में केस को जितना कॉम्प्लिकेटेड बना दिया था न्यायधीश ऐ के गोयल जी और न्यायधीश यू यू ललित जी ने उसे सुलझाने की भरसक कोशिश की है। आदेश को प्रथमद्रष्टया देखने पर साफ़ दिख रहा है कि वर्तमान न्यायिक बैंच ने स्वयं कोर्ट को बचाने का प्रयास किया है और न्यायिक निर्णय ना करके व्यवहारिक निर्णय करने का प्रयास किया है और कुछ पहलुओं को अनछुआ ही छोड़ दिया है।
सबसे पहले बात करें 72825भर्ती के अंतिम रूप से निस्तारण की तो यह बैंच प्योर टेट मेरिट से सहमत नही थी लेकिन हाइकोर्ट से अशोक भूषण जी के आदेश और सुप्रीम कोर्ट से एच एल दत्तू जी और दीपक मिश्रा जी के अंतरिम आदेशों पर सम्पन्न हुई 66,655 पदों तक की भर्ती को उनके सम्मान में सुरक्षित कर दिया है।
दूसरे क्रम में बात करें शिक्षामित्रों के समायोजन की तो माननीय डी बाई चन्द्रचूड़ जी के आदेश का सम्मान और शिक्षामित्रों की न्यूनतम योग्यता पूरी ना होने की बजह से उसी आदेश पर यह बैंच भी कायम रही उनको जो दो बार का रिलेक्स दिया है वह भी सिर्फ अपने इस आदेश के बचाव में ताकि आगे की पीठ में कोई हस्तक्षेप ना करे।
तीसरे क्रम में गुणांक मेरिट के आधार पर हुई भर्तियों के निर्णय की बात थी तो बहस के दौरान कोर्ट गुणांक मेरिट से भी संतुष्ट नही थी और माननीय अशोक भूषण जी और डी बी भोषले जी का निर्णय भी इनके विरुद्ध था लेकिन 1लाख 37हजार कम योग्यता के कारण पहले ही पदमुक्त हो चुके थे इस कारण न्यूनतम योग्यता पूरी करने वाली इन सभी भर्तियों को यथावत छोड़ दिया।
इतने विवादों के निपटारे में कोर्ट ने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उन विवादों पर कोई टिप्पड़ी नही की जो यातो स्वयं कोर्ट द्वारा खड़े किये गए थे या कि बाल शिक्षा हेतु अनिवार्य थे।
सुप्रीम कोर्ट के स्वयं के 7दिसम्बर15 के आदेश पर 841अभ्यर्थियों का चयन हुआ जिसके आधार पर 24फरबरी16 को फिर कोर्ट ने ही आदेश पारित किया उस पर 24अगस्त16 को पुनः कोर्ट ने अपना मत रखा और 17नवम्बर16 को स्पस्ट लिखा भी की टेट सर्टिफिकेट की वेलिडिटी रहेगी या लेप्स हो जायेगी यह हम अंतिम आदेश में निर्धारित करेंगे लेकिन अंतिम आदेश से ये सभी गायब मिले।
इसके अतिरिक्त RTEएक्ट के अनुसार रिक्त पदों पर योग्य अभ्यर्थियों के चयन हेतु दाखिल की गयी रिट पिटीशन पर भी कोर्ट ने अपना कोई व्यू नही दिया जबकि सुनवाई के दौरान अपडेट हो रहे ऑर्डर्स में कोर्ट ने Mr. H.P. Rawal, learned senior counsel for responded no 4 in SLP (C) 20444/2016 and applicants in IA no 5 in SLP(C) no 36033/2015 commenced his argument at 2:30p.m. and concluded at 2:55p.m. Mr. Vibha Datta Makhija, learned senior counsel for the Petitioner in WP (C) 244 made her submission for 15minutes बहस होना स्वीकार्य किया है लेकिन अंतिम आदेश में इस बैंच ने इस पर अपना कोई मत ही नही रखा।
आज सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खाली हाथ रह गए साथी चाहे चयनितों पर पूरा आरोपमड़ दें या फिर इस बैंच में पैरवी कर रहे विशुद्ध रूप से अचयनित भाइयों पर, उससे आपको हासिल कुछ नही होने वाला है। यदि शुद्ध रूप से चयनित ही गलत पैरवी के दोषी है तो अचयनित नेतृत्व दिल्ली करने क्या जाता था यह अप्रत्क्षय रूप से उनके नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। जबकि मैं बड़ी ज़िम्मेदारी के साथ कह सकता हूँ कि अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी के द्वारा प्रयास में कहीं कोई कमी नही छोड़ी गई थी।
फ़िलहाल इस आदेश में हमारा जो हिस्सा कोर्ट से छूट गया है छोड़ दिया गया है हम उनसे direction petition या review petition के माध्यम से पुनः पूछने जा रहे है। जब हमारी रिट को सुना गया है तो उस पर हमें लिखित में बताए तो कोर्ट हमारा पक्ष सही है अथवा गलत। जब आपने अंतरिम आदेश दिए है तो आप अंतिम रूप से बतायें तो सही उनका करना क्या है..???? जब आपने अपने स्वयं के आदेश से कुछ लोगों को कम अंक होने पर भी अतिरिक्त लाभ दिया है तो शेष को क्यों नही..????
#IncompleteJudgement
अंत में मैं आप सभी से यही कहूंगा इस संघर्ष में मैं तन मन धन से आप सभी के साथ हूँ और हाँ दोस्तों ध्यान रहें...
"चिरागों की तरह खुद को जलना होता है,
मुठी बन्ध कर लेने से इंक़लाब नही होते।"
मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
नोट :- विज्ञापन 07/12/12 के माध्यम से कोई भी राहत यदि प्राप्त करनी है तो फेसबुक-व्हाट्सप छोड़कर संख्या-योग्यता के दम पर सीधे योगी सरकार से मांगनी होगी।
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