***सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के सभी आदेश पर अपना पक्ष रखा अगर कोई सही है तो सही बताया और गलत है तो गलत बताया लेकिन हम सही थे या गलत हमें तो कुछ बताया ही नही।
गोयल जी ललित जी कुछ तो कह देते सबसे ज्यादा कष्ट इस बात का है कि क्या हम मुर्ख थे जो 7दिसम्बर, 24फरबरी, 24अगस्त, और 17नवम्बर के आदेशों में अपना भविष्य देख रहे थे या फिर सुप्रीम कोर्ट भी अब भावनाओं से खेलना सीख गया है।
***गोयल जी और ललित जी से एक ही सवाल है जो हम रिव्यू याचिका के माध्यम से पूछेंगे भी कि "आपके अंतिम आदेश में इन अंतरिम आदेशों का कोई जिक्र क्यों नही है..???" क्या यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश नही थे.??? क्या ये भर्ती प्रक्रिया से सम्बंधित आदेश नही थे.???
***फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश टेट मोर्चा की करारी हार है। यदि आप आदेश को ठीक से पड़ेंगे तो ना 30/11/11विज्ञापन बचा है ना टेट मेरिट। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जो 66,655 लोग नियुक्ति पा गये थे कोर्ट ने सिर्फ उनको राहत दे दी है और जो बचे हुए पद थे उनको नये विज्ञापन (अकेडमिक मेरिट)से भरने हेतु राज्य सरकार पर छोड़ दिया है ।मतलब वर्तमान समय में अब किसी बीएड टेट अभ्यर्थी का भविष्य में कोई चयन नही होगा। यदि सरकार चाहे तो नई विज्ञप्ति निकालकर नियमानुसार कर सकती है।
***यदि बात करें नियमानुसार की तो आज की डेट में कोई भी व्यक्ति योग्यता को पूरी नही करता है क्योंकि 31मार्च2014 के बाद बीएड वालों को प्राथमिक में नियुक्ति की छूट नही है और 25मार्च2016 के बाद टेट की मार्कशीट वैलिड नही है तो फिर नई विज्ञप्ति भी हमारे किस काम की।
***लेकिन यहाँ हमें सुप्रीम कोर्ट से यही पूछना है कि 24फरबरी2016 को हमारी आई ऐ सरकारी वकील को क्यों दिलवाई गयी थी? 24अगस्त को वास्तविकता समश्या क्यों पूछी गयी थी सरकार से? 17नवम्बर को कहा था कि टेट सर्टिकिएट बचेंगे या लेप्स हो जायेंगे यह हम अंतिम आदेश में बताएंगे.!!! मैने बहुत खोजा पर मुझे कहीं दिखा नही अंतिम आदेश में।
***चलो आपको याद नही रहा होगा कि ऐसा कोई आदेश हुआ भी था लेकिन हीरेन रावल जी ने और विभा मखीजा जी ने तो 15-20मिनट आपको याद दिलाया था आपने उनको भी नही बताया। गोयल जी और ललित जी कुछ तो बोल देते कि हम सही थे या गलत।
***मित्रों आदेश जरूर हमारे पक्ष में नही आया है लेकिन एक प्रयास जरूर किया जाना चाहिए। यहाँ मैं आप सभी से एक बात अवश्य कहूँगा कि आपको अपने उन साथियों की हिम्मत बढ़ानी चाहिए जिन्होंने अपनी और आपकी जॉब के लिए अपना घरद्वार-परिवार सब छोड़ दिया था। आज निराशा तो उनको भी हुई है। यदि 839 छोड़े गए है तो हमें भी राहत जरूर मिलनी चाहिएऔर अब तो 1लाख 37हजार पद भी खाली हो गए है किसी के पास कोई बहाना भी नही बचा है।
***हम लड़ेंगे और अंत तक लड़ेंगे चाहे एक बार फिर हार का सामना करना पड़े लेकिन भविष्य में ये तो कसक नही होगी कि एक आखिरी प्रयास नही किया।
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गोयल जी ललित जी कुछ तो कह देते सबसे ज्यादा कष्ट इस बात का है कि क्या हम मुर्ख थे जो 7दिसम्बर, 24फरबरी, 24अगस्त, और 17नवम्बर के आदेशों में अपना भविष्य देख रहे थे या फिर सुप्रीम कोर्ट भी अब भावनाओं से खेलना सीख गया है।
***गोयल जी और ललित जी से एक ही सवाल है जो हम रिव्यू याचिका के माध्यम से पूछेंगे भी कि "आपके अंतिम आदेश में इन अंतरिम आदेशों का कोई जिक्र क्यों नही है..???" क्या यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश नही थे.??? क्या ये भर्ती प्रक्रिया से सम्बंधित आदेश नही थे.???
***फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश टेट मोर्चा की करारी हार है। यदि आप आदेश को ठीक से पड़ेंगे तो ना 30/11/11विज्ञापन बचा है ना टेट मेरिट। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जो 66,655 लोग नियुक्ति पा गये थे कोर्ट ने सिर्फ उनको राहत दे दी है और जो बचे हुए पद थे उनको नये विज्ञापन (अकेडमिक मेरिट)से भरने हेतु राज्य सरकार पर छोड़ दिया है ।मतलब वर्तमान समय में अब किसी बीएड टेट अभ्यर्थी का भविष्य में कोई चयन नही होगा। यदि सरकार चाहे तो नई विज्ञप्ति निकालकर नियमानुसार कर सकती है।
***यदि बात करें नियमानुसार की तो आज की डेट में कोई भी व्यक्ति योग्यता को पूरी नही करता है क्योंकि 31मार्च2014 के बाद बीएड वालों को प्राथमिक में नियुक्ति की छूट नही है और 25मार्च2016 के बाद टेट की मार्कशीट वैलिड नही है तो फिर नई विज्ञप्ति भी हमारे किस काम की।
***लेकिन यहाँ हमें सुप्रीम कोर्ट से यही पूछना है कि 24फरबरी2016 को हमारी आई ऐ सरकारी वकील को क्यों दिलवाई गयी थी? 24अगस्त को वास्तविकता समश्या क्यों पूछी गयी थी सरकार से? 17नवम्बर को कहा था कि टेट सर्टिकिएट बचेंगे या लेप्स हो जायेंगे यह हम अंतिम आदेश में बताएंगे.!!! मैने बहुत खोजा पर मुझे कहीं दिखा नही अंतिम आदेश में।
***चलो आपको याद नही रहा होगा कि ऐसा कोई आदेश हुआ भी था लेकिन हीरेन रावल जी ने और विभा मखीजा जी ने तो 15-20मिनट आपको याद दिलाया था आपने उनको भी नही बताया। गोयल जी और ललित जी कुछ तो बोल देते कि हम सही थे या गलत।
***मित्रों आदेश जरूर हमारे पक्ष में नही आया है लेकिन एक प्रयास जरूर किया जाना चाहिए। यहाँ मैं आप सभी से एक बात अवश्य कहूँगा कि आपको अपने उन साथियों की हिम्मत बढ़ानी चाहिए जिन्होंने अपनी और आपकी जॉब के लिए अपना घरद्वार-परिवार सब छोड़ दिया था। आज निराशा तो उनको भी हुई है। यदि 839 छोड़े गए है तो हमें भी राहत जरूर मिलनी चाहिएऔर अब तो 1लाख 37हजार पद भी खाली हो गए है किसी के पास कोई बहाना भी नही बचा है।
***हम लड़ेंगे और अंत तक लड़ेंगे चाहे एक बार फिर हार का सामना करना पड़े लेकिन भविष्य में ये तो कसक नही होगी कि एक आखिरी प्रयास नही किया।
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