अगर आप टीचर बनने चाहते है तो हम आपको टीचर बनने के कुछ अहम टिप्स बता रहे हैं। टीचर बनने को सिर्फ कोर्स के अलावा उसकी परीक्षाएं भी पास करना जरूरी है। जिसके द्वरा आपकी टीचर बनने की राह आसान हो जाएगी।
टीचर बनने को उम्मीदवारों कई प्रकार के कोर्स करने पड़ते हैं। कोर्स के बाद टीचर के किस क्षेत्र में नौकरी मिलती है। अक्सर टीचर्स का स्थान सबसे ऊपर ही रहता है। इसलिए अधिकतर लोगों का सपना शिक्षक बनने होता है। टीचर एक बहुत ही अच्छी जॉब होती है, जो कि बहुत ही सुविधाजनक है।
टीचर बनने को नीचे दी गई परीक्षाएं पास करनी होती हैं –
टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) –
कई राज्यों में टीईटी परीक्षा का आयोजन बीएड और डीएड कोर्स करने वाले छात्रों के लिए ही होता है। इसके अलावा कई जगहों पर तो जरुरी है कि बीएड के बाद टीचर शिक्षक बनने को टीईटी परीक्षा को पास करना जरूरी है।
इस परीक्षा में वह विद्यार्थी भी भाग ले सकते हैं, जिनका बीएड का रिजल्ट नहीं आया है। इस परीक्षा को पास को राज्य सरकार एक सर्टिफिकेट देती है। यह समय ज्यादातर पांच-सात साल का है।
यूजीसी नेट –
भारत के किसी भी कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी को यूजीसी नेट परीक्षा पास करनी होगी। इस परीक्षा का साल में दो बार (जून और दिसंबर) आयोजन किया जाता है।
नेट परीक्षा में तीन पेपर होते हैं, आवेदक अंग्रेजी और हिंदी में परीक्षा दे सकते हैं1
प्रथम प्रश्न पत्र में जनरल नॉलेज, टीचिंग एप्टीट्यूट, रीजनिंग और दूसरे और तीसरे प्रश्न पत्र में चुने गए विषय से सवाल पूछे जाएंगे।
सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) –
राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले स्कूल, तिब्बती स्कूल और नवोदय में शिक्षक बनने के लिए सी टीईटी परीक्षा पास करना जरूरी है।
इस परीक्षा का आयोजन सीबीएसई की ओर से कराया जाता है। सीटीईटी परीक्षा में ग्रेजुएट और बीएड डिग्री पास छात्रों को ही प्रवेश मिलता है।
इस परीक्षा को पास करने के लिए उम्मीदवारों को 60 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है।
परीक्षा में उम्मीदवार को एक सर्टिफिकेट दिया जाता है, जो सात साल तक मान्य रहता है।
टीजीटी और पीजीटी –
राज्य स्तर की पीजीटी और टीजीटी परीक्षा पास करना भी जरूरी।
अधिकांश यह परीक्षा दिल्ली और उत्तर प्रदेश भी लोकप्रिय है। ग्रेजुएट और बीएड होना चाहिए।
इसके अलावा पीजीटी परीक्षा के लिएपोस्ट ग्रेजुएट और बीएड डिग्री होनी आवश्यक है।
टीजीटी पास शिक्षक छठी क्लास से लेकर दसवीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
पीजीटी के बाद शिक्षक सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी कक्षा के बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
टीचर के लिए कोर्स करना अनिवार्य हैं –
बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) –
बीएड के बारे में सभी ने सुना ही होगा, यह एक लोकप्रिय कोर्स है। यह कोर्स टीचिंग क्षेत्र में जाने को किया जाता है।
सबसे पहले यह कोर्स एक वर्ष का होता था। अब इस कोर्स सन 2015 के बाद बढ़ाकर दो वर्ष का कर दिया है।
एंट्रेंस एग्जाम पास करना अनिवार्य। इसके लिए आपको कम से कम ग्रेजुएट पास होना चाहिए।
बीएड कोर्स हर वर्ष में एंट्रेस टेस्ट का आयोजन कराया जाता है।
बीएड के बाद उम्मीदवार प्राइमरी, अपर प्राइमरी और हाईस्कूल के बच्चों को पढ़ा सकता है।
बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन) –
फिजिकल एजुकेशन से भी शिक्षकों को रोजगार के काफी नए अवसर मिल रहे हैं।
इस पाठ्यक्रम में शिक्षक बनने के लिए दो तरह के कोर्स होते हैं, जिन उम्मीदवारों ने ग्रेजुएट लेवल पर फिजिकल एजुकेशन विषय के रूप में पढ़ा है। वह एक वर्ष वाला बीपीएड कोर्स कर सकते हैं।
वहीं, जिन्होंने 12वीं में फिजिकल एजुकेशन पढ़ी है तो वह तीन साल वाला स्नातक कोर्स कर सकते हैं।
इसके एंट्रेंस टेस्ट में फिजिकल फिटनेस टेस्ट के साथ-साथ लिखित परीक्षा भी होती है।
एंट्रेंस टेस्ट पास होने के बाद इंटरव्यू भी पास करना अनिवार्य।
एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) –
एनटीटी कोर्स महानगरों में ज्यादा प्रचलित है। यह भी दो वर्ष का कोर्स है।
इस कोर्स में प्रवेश बारवी कक्षा के अंकों के आधार पर या कई जगहों पर प्रवेश परीक्षा में दिया जाता है।
प्रवेश परीक्षा में करंट अफेयर्स , जनरल स्टडी, हिन्दी, रीजनिंग, टीचिंग एप्टीट्यूड और अंग्रेजी से सवाल पूछे जाते हैं।
एनटीटी कोर्स के बाद उम्मीदवार प्राइमरी टीचर बनने के योग्य हो जाते हैं।
बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) –
बीटीसी कोर्स केवल उत्तर प्रदेश के लिए ही होता है। इसमें केवल राज्य के छात्र-छात्राएं ही भाग ले सकते हैं। यह भी दो साल का कोर्स है।
इस कोर्स को करने में आपको सर्वप्रथम प्रवेश परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
यह परीक्षा जिले स्तर पर काउंसलिंग कराई जाती है। बीटीसी की प्रवेश परीक्षा देने को उम्मीदवार ग्रेजुएट होना जरूरी है।
साथ ही इसके लिए आयु सीमा 18-30 वर्ष निर्धारित की गयी है। बीटीसी कोर्स के बाद उम्मीदवार प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर बनने के योग्य हैं।
जेबीटी (जूनियर टीचर ट्रेनिंग) –
जूनियर टीचर ट्रेनिंग कोर्स को न्यूतम योग्यता 12वीं है। इस कोर्स में प्रवेश मेरिट तो कहीं प्रवेश परीक्षा के अनुसार है। इस कोर्स के बाद उम्मीदवार प्राइमरी टीचर बनने के योग्य हो जाता है।
डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) –
डिप्लोमा इन एजुकेशन का यह दो वर्षीय कोर्स बिहार और मध्य प्रदेश में प्राइमरी शिक्षक बनने को कराया जाता है। इस कोर्स में 12वीं में अंकों के आधार पर एडमिशन होता है।
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टीचर बनने को उम्मीदवारों कई प्रकार के कोर्स करने पड़ते हैं। कोर्स के बाद टीचर के किस क्षेत्र में नौकरी मिलती है। अक्सर टीचर्स का स्थान सबसे ऊपर ही रहता है। इसलिए अधिकतर लोगों का सपना शिक्षक बनने होता है। टीचर एक बहुत ही अच्छी जॉब होती है, जो कि बहुत ही सुविधाजनक है।
टीचर बनने को नीचे दी गई परीक्षाएं पास करनी होती हैं –
टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) –
कई राज्यों में टीईटी परीक्षा का आयोजन बीएड और डीएड कोर्स करने वाले छात्रों के लिए ही होता है। इसके अलावा कई जगहों पर तो जरुरी है कि बीएड के बाद टीचर शिक्षक बनने को टीईटी परीक्षा को पास करना जरूरी है।
इस परीक्षा में वह विद्यार्थी भी भाग ले सकते हैं, जिनका बीएड का रिजल्ट नहीं आया है। इस परीक्षा को पास को राज्य सरकार एक सर्टिफिकेट देती है। यह समय ज्यादातर पांच-सात साल का है।
यूजीसी नेट –
भारत के किसी भी कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी को यूजीसी नेट परीक्षा पास करनी होगी। इस परीक्षा का साल में दो बार (जून और दिसंबर) आयोजन किया जाता है।
नेट परीक्षा में तीन पेपर होते हैं, आवेदक अंग्रेजी और हिंदी में परीक्षा दे सकते हैं1
प्रथम प्रश्न पत्र में जनरल नॉलेज, टीचिंग एप्टीट्यूट, रीजनिंग और दूसरे और तीसरे प्रश्न पत्र में चुने गए विषय से सवाल पूछे जाएंगे।
सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) –
राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले स्कूल, तिब्बती स्कूल और नवोदय में शिक्षक बनने के लिए सी टीईटी परीक्षा पास करना जरूरी है।
इस परीक्षा का आयोजन सीबीएसई की ओर से कराया जाता है। सीटीईटी परीक्षा में ग्रेजुएट और बीएड डिग्री पास छात्रों को ही प्रवेश मिलता है।
इस परीक्षा को पास करने के लिए उम्मीदवारों को 60 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है।
परीक्षा में उम्मीदवार को एक सर्टिफिकेट दिया जाता है, जो सात साल तक मान्य रहता है।
टीजीटी और पीजीटी –
राज्य स्तर की पीजीटी और टीजीटी परीक्षा पास करना भी जरूरी।
अधिकांश यह परीक्षा दिल्ली और उत्तर प्रदेश भी लोकप्रिय है। ग्रेजुएट और बीएड होना चाहिए।
इसके अलावा पीजीटी परीक्षा के लिएपोस्ट ग्रेजुएट और बीएड डिग्री होनी आवश्यक है।
टीजीटी पास शिक्षक छठी क्लास से लेकर दसवीं क्लास तक के बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
पीजीटी के बाद शिक्षक सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी कक्षा के बच्चों को पढ़ा सकते हैं।
टीचर के लिए कोर्स करना अनिवार्य हैं –
बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) –
बीएड के बारे में सभी ने सुना ही होगा, यह एक लोकप्रिय कोर्स है। यह कोर्स टीचिंग क्षेत्र में जाने को किया जाता है।
सबसे पहले यह कोर्स एक वर्ष का होता था। अब इस कोर्स सन 2015 के बाद बढ़ाकर दो वर्ष का कर दिया है।
एंट्रेंस एग्जाम पास करना अनिवार्य। इसके लिए आपको कम से कम ग्रेजुएट पास होना चाहिए।
बीएड कोर्स हर वर्ष में एंट्रेस टेस्ट का आयोजन कराया जाता है।
बीएड के बाद उम्मीदवार प्राइमरी, अपर प्राइमरी और हाईस्कूल के बच्चों को पढ़ा सकता है।
बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन) –
फिजिकल एजुकेशन से भी शिक्षकों को रोजगार के काफी नए अवसर मिल रहे हैं।
इस पाठ्यक्रम में शिक्षक बनने के लिए दो तरह के कोर्स होते हैं, जिन उम्मीदवारों ने ग्रेजुएट लेवल पर फिजिकल एजुकेशन विषय के रूप में पढ़ा है। वह एक वर्ष वाला बीपीएड कोर्स कर सकते हैं।
वहीं, जिन्होंने 12वीं में फिजिकल एजुकेशन पढ़ी है तो वह तीन साल वाला स्नातक कोर्स कर सकते हैं।
इसके एंट्रेंस टेस्ट में फिजिकल फिटनेस टेस्ट के साथ-साथ लिखित परीक्षा भी होती है।
एंट्रेंस टेस्ट पास होने के बाद इंटरव्यू भी पास करना अनिवार्य।
एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग) –
एनटीटी कोर्स महानगरों में ज्यादा प्रचलित है। यह भी दो वर्ष का कोर्स है।
इस कोर्स में प्रवेश बारवी कक्षा के अंकों के आधार पर या कई जगहों पर प्रवेश परीक्षा में दिया जाता है।
प्रवेश परीक्षा में करंट अफेयर्स , जनरल स्टडी, हिन्दी, रीजनिंग, टीचिंग एप्टीट्यूड और अंग्रेजी से सवाल पूछे जाते हैं।
एनटीटी कोर्स के बाद उम्मीदवार प्राइमरी टीचर बनने के योग्य हो जाते हैं।
बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) –
बीटीसी कोर्स केवल उत्तर प्रदेश के लिए ही होता है। इसमें केवल राज्य के छात्र-छात्राएं ही भाग ले सकते हैं। यह भी दो साल का कोर्स है।
इस कोर्स को करने में आपको सर्वप्रथम प्रवेश परीक्षा पास करना अनिवार्य है।
यह परीक्षा जिले स्तर पर काउंसलिंग कराई जाती है। बीटीसी की प्रवेश परीक्षा देने को उम्मीदवार ग्रेजुएट होना जरूरी है।
साथ ही इसके लिए आयु सीमा 18-30 वर्ष निर्धारित की गयी है। बीटीसी कोर्स के बाद उम्मीदवार प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर बनने के योग्य हैं।
जेबीटी (जूनियर टीचर ट्रेनिंग) –
जूनियर टीचर ट्रेनिंग कोर्स को न्यूतम योग्यता 12वीं है। इस कोर्स में प्रवेश मेरिट तो कहीं प्रवेश परीक्षा के अनुसार है। इस कोर्स के बाद उम्मीदवार प्राइमरी टीचर बनने के योग्य हो जाता है।
डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) –
डिप्लोमा इन एजुकेशन का यह दो वर्षीय कोर्स बिहार और मध्य प्रदेश में प्राइमरी शिक्षक बनने को कराया जाता है। इस कोर्स में 12वीं में अंकों के आधार पर एडमिशन होता है।
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