ललितपुर। परिषदीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अतिरिक्त सरप्लस
शिक्षकों कीसमायोजन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है।
चयनित सरप्लस शिक्षकों से बिना कोई आपत्ति लिए ही विद्यालयों के विकल्प भरवाए जाने से नाराज अध्यापकों ने सोमवार को नगर संसाधन केंद्र में हंगामा किया और आपत्ति लेकर उनके निस्तारण के बाद ही प्रक्रिया शुरु कराने की मांग की। शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए जिलाधिकारी ने शिक्षकों से समायोजन आपत्ति लेने और उनका निस्तारण करने के बाद प्रक्रिया दोबारा शुरूकरने को निर्देशित किया।
जनपद में संचालित कुल 1,541 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 30 अप्रैल तक पंजीकृत छात्रांकन के आधार पर ही विद्यालय में कार्यरत अतिरिक्त यानि सरप्लस शिक्षकों व समायोजन व स्थानांतरण करने की प्रक्रिया को शासनादेश के क्रम में 18 जुलाई तक पूर्ण करना था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। जिला बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा जनपद के विभिन्न विद्यालयों में से कुल 225 सरप्लस शिक्षकों को चयनित किया है, जिसकी सूची विभाग द्वारा रविवार को चस्पा की गई थी। विभाग ने सूची जारी करने के बाद सरप्लस शिक्षकों को अपनी आपत्ति दर्ज कराने के का मौका नहीं दिया और सीधे ही समायोजन के लिए विद्यालयों के विकल्प भरने के निर्देश जारी कर दिए। सोमवार की सुबह 09 बजे से नगर संसाधन केंद्र में सरप्लस शिक्षकों से विकल्प भरवाने की प्रकिया सदर उपजिलाधिकारी महेश दीक्षित की निगरानी में और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अम्बरीष कुमार की उपस्थित में शुरु की गई। शुरुआत में मात्र 06 शिक्षकों ने ही अपने विकल्प भरे इसके बाद समस्त शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने मौके पर हंगामा काटना शुरु कर दिया और उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में शिक्षक वहीं धरना पर भी बैठ गए। सुबह से लेकर दोपहर तक लगभग पांच-छह घंटे तक चले इस हंगामे के बाद शिक्षक लोग जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी समस्याओं को जिलाधिकारी के सपक्ष रखा। इसके बाद जिलाधिकारी ने शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए समायोजन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। शिक्षकों व संगठनों की मांग थी कि पहले शिक्षकों से अनकी आपत्ती ली जाए और उनका निस्तारण करने के बाद ही प्रक्रिया को पूर्ण की जाए। इसी के क्रम में जिलाधिकारी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देेशित किया है कि पहले शिक्षकों की अपत्तियों को लें और उनका जल्द से जल्द निस्तारण करके दोबारा विकल्प भराने की प्रक्रिया अपनाई जाए।
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बिना छात्रांकन सत्यापन के ही हो रहा था समायोजन
समायोजन की प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग कर रहे शिक्षकों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे शिक्षकों की है, जिनके विद्यालयों का छात्रांकन पंजीकृत छात्रांकन से काफी कम दर्शाया गया है, जिसके वह सरप्लस शिक्षकों की श्रेणी में आ गए हैं। इसका मतलब यही है कि खंड शिक्षा अधिकारियों व संकुल प्रभारियों के द्वारा उपलब्ध कराए गए छात्रांकन के अनुसार ही समायोजन किया जा रहा था। जबकि, यह शिक्षा विभाग की काफी बड़ी गलती है, क्योंकि समायोजन का मुख्य आधार ही विद्यालयों का छात्रांकन है। विकासखंड महरौनी के प्राथमिक विद्यालय कुरौरा के शिक्षक जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय का 30 अप्रैल तक का छात्रांकन 158 है, जबकि विभाग द्वारा जारी सूची में उक्त विद्यालय का छात्रांकन मात्र 22 ही दर्शाया गया है। इसी तरह की आपत्ति अन्य शिक्षकों ने भी दर्ज कराई है। इसका सीधा मतलब है कि संकुल प्रभारियों व खंड शिक्षा अधिकारियों ने कार्यालय में बैठे ही छात्रांकन अंकित कर सरप्लस शिक्षकों की सूची तैयार कर ली है। अनेक विद्यालयों का छात्रांकन गलत अंकित है। इसी वजह से यह समस्या खड़ी हो रही है। इसके अलावा विषयवार शिक्षकों, गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और दिव्यांग शिक्षकों को भी अनदेखा किया गया है, जो शासनादेश के विपरीत है।
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अधिकारियों व दलालों की कमाई का जरिया है समायोजन व स्थानांतरण
नवीन शैक्षिक सत्र के जुलाई माह में जिला बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों व दलालों के लिए पूरे माह दीपावली रहती है। यूनिफार्म वितरण, समायोजन व स्थानांतरण और फिर प्रमोशन में जमकर कमीशन लिया जाता है, जो आमजन से लेकर शासन स्तर किसी से छिपा नहीं है। यूनिफार्म वितरण में तो लगभग भ्रष्ट अधिकारियों का उल्लू सीधा होता नहीं दिख रहा है, इसलिए इनकी नजर शिक्षकों के समायोजन व स्थानांतरण प्रक्रिया पर अटकी हुई है। यहीं मुख्य बजह है कि ऐसे ही भ्रष्ठ अधिकारियों की मनमर्जी के चलते शासन को समायोजन व स्थानांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी है। इस बार शासन की मंशा थी कि समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन कराया जाए, लेकिन प्रदेश के 21 जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के चलते समय से सेलरी डाटा एनआईसी पर अपलोड नहीं हो पाने के कारण ऑनलाइन समायोजन प्रक्रिया को निरस्त करना पड़ा। इसके बाद शासन को वापस यू-र्टन लेना पड़ा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने विगत 11 जुलाई को निर्देश जारी करके समायोजन प्रकिया को ऑफलाइन करने और इस प्रक्रिया को 18 जुलाई तक पूर्ण करने के लिए समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए थे।
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उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में किया धरना प्रदर्शन
समायोजन व विकल्प भराए जाने की इस प्रक्रिया के विरोध में शिक्षकों ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में धराना प्रदर्शन किया था और जिलाधिकारी से समक्ष अपनी शिकायतों को रखा। इसके बाद ही जिलाधिकारी के द्वारा शिक्षकों के हक में यह फैसला लिया गया। संघ का आरोप है कि सरप्लस शिक्षकों की सूची का प्रकाशन गुपचुप तरीके से किया गया है और विकासखंड स्तरों पर सूची चस्पा नहीं की गई है। शिक्षकों ने बिना आपत्ती लिए ही विकल्प भरने की प्रकिया शिक्षकों पर जबरन थोपी गई है। वहीं विषय बार शिक्षकों को भी अंदेखा किया गया है और विकल्प के लिए समस्त विद्यालय नहीं खोले गए हैं। अनेकों खाली विद्यालय ऐसे हैं, जिनके नाम विकल्प सूची में शामिल नहीं किया गया है। इस दौरान संघ के जिलाध्यक्ष विनोद निरंजन, काशीनाथ नायक, शकुंतला कुशवाहा, अनिल त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।
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इनका कहना है
शिक्षकों की मांग पर जिलाधिकारी के द्वारा समायोजन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया है। इसमें पहले शिक्षकों से आपत्तियां ली जाएगीं और उनके निस्तारण के बाद ही विकल्प भराने की प्रक्रिया दोबारा शुरु की जाएगी। शासन द्वारा निर्धारित समय सीमा कम होने के कारण जल्द बाजी की गई थी। वहीं छात्रांकन में त्रुटि होने की जो शिकायत मिल रही है, उनका निस्तारण कराया जाएगा।
-अम्बरीष कुमार
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, ललितपुर।
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चयनित सरप्लस शिक्षकों से बिना कोई आपत्ति लिए ही विद्यालयों के विकल्प भरवाए जाने से नाराज अध्यापकों ने सोमवार को नगर संसाधन केंद्र में हंगामा किया और आपत्ति लेकर उनके निस्तारण के बाद ही प्रक्रिया शुरु कराने की मांग की। शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए जिलाधिकारी ने शिक्षकों से समायोजन आपत्ति लेने और उनका निस्तारण करने के बाद प्रक्रिया दोबारा शुरूकरने को निर्देशित किया।
जनपद में संचालित कुल 1,541 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 30 अप्रैल तक पंजीकृत छात्रांकन के आधार पर ही विद्यालय में कार्यरत अतिरिक्त यानि सरप्लस शिक्षकों व समायोजन व स्थानांतरण करने की प्रक्रिया को शासनादेश के क्रम में 18 जुलाई तक पूर्ण करना था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। जिला बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा जनपद के विभिन्न विद्यालयों में से कुल 225 सरप्लस शिक्षकों को चयनित किया है, जिसकी सूची विभाग द्वारा रविवार को चस्पा की गई थी। विभाग ने सूची जारी करने के बाद सरप्लस शिक्षकों को अपनी आपत्ति दर्ज कराने के का मौका नहीं दिया और सीधे ही समायोजन के लिए विद्यालयों के विकल्प भरने के निर्देश जारी कर दिए। सोमवार की सुबह 09 बजे से नगर संसाधन केंद्र में सरप्लस शिक्षकों से विकल्प भरवाने की प्रकिया सदर उपजिलाधिकारी महेश दीक्षित की निगरानी में और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अम्बरीष कुमार की उपस्थित में शुरु की गई। शुरुआत में मात्र 06 शिक्षकों ने ही अपने विकल्प भरे इसके बाद समस्त शिक्षकों व शिक्षक संगठनों ने मौके पर हंगामा काटना शुरु कर दिया और उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में शिक्षक वहीं धरना पर भी बैठ गए। सुबह से लेकर दोपहर तक लगभग पांच-छह घंटे तक चले इस हंगामे के बाद शिक्षक लोग जिलाधिकारी मानवेंद्र सिंह के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी समस्याओं को जिलाधिकारी के सपक्ष रखा। इसके बाद जिलाधिकारी ने शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए समायोजन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। शिक्षकों व संगठनों की मांग थी कि पहले शिक्षकों से अनकी आपत्ती ली जाए और उनका निस्तारण करने के बाद ही प्रक्रिया को पूर्ण की जाए। इसी के क्रम में जिलाधिकारी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देेशित किया है कि पहले शिक्षकों की अपत्तियों को लें और उनका जल्द से जल्द निस्तारण करके दोबारा विकल्प भराने की प्रक्रिया अपनाई जाए।
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बिना छात्रांकन सत्यापन के ही हो रहा था समायोजन
समायोजन की प्रक्रिया को निरस्त कराने की मांग कर रहे शिक्षकों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे शिक्षकों की है, जिनके विद्यालयों का छात्रांकन पंजीकृत छात्रांकन से काफी कम दर्शाया गया है, जिसके वह सरप्लस शिक्षकों की श्रेणी में आ गए हैं। इसका मतलब यही है कि खंड शिक्षा अधिकारियों व संकुल प्रभारियों के द्वारा उपलब्ध कराए गए छात्रांकन के अनुसार ही समायोजन किया जा रहा था। जबकि, यह शिक्षा विभाग की काफी बड़ी गलती है, क्योंकि समायोजन का मुख्य आधार ही विद्यालयों का छात्रांकन है। विकासखंड महरौनी के प्राथमिक विद्यालय कुरौरा के शिक्षक जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उनके विद्यालय का 30 अप्रैल तक का छात्रांकन 158 है, जबकि विभाग द्वारा जारी सूची में उक्त विद्यालय का छात्रांकन मात्र 22 ही दर्शाया गया है। इसी तरह की आपत्ति अन्य शिक्षकों ने भी दर्ज कराई है। इसका सीधा मतलब है कि संकुल प्रभारियों व खंड शिक्षा अधिकारियों ने कार्यालय में बैठे ही छात्रांकन अंकित कर सरप्लस शिक्षकों की सूची तैयार कर ली है। अनेक विद्यालयों का छात्रांकन गलत अंकित है। इसी वजह से यह समस्या खड़ी हो रही है। इसके अलावा विषयवार शिक्षकों, गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और दिव्यांग शिक्षकों को भी अनदेखा किया गया है, जो शासनादेश के विपरीत है।
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अधिकारियों व दलालों की कमाई का जरिया है समायोजन व स्थानांतरण
नवीन शैक्षिक सत्र के जुलाई माह में जिला बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों व दलालों के लिए पूरे माह दीपावली रहती है। यूनिफार्म वितरण, समायोजन व स्थानांतरण और फिर प्रमोशन में जमकर कमीशन लिया जाता है, जो आमजन से लेकर शासन स्तर किसी से छिपा नहीं है। यूनिफार्म वितरण में तो लगभग भ्रष्ट अधिकारियों का उल्लू सीधा होता नहीं दिख रहा है, इसलिए इनकी नजर शिक्षकों के समायोजन व स्थानांतरण प्रक्रिया पर अटकी हुई है। यहीं मुख्य बजह है कि ऐसे ही भ्रष्ठ अधिकारियों की मनमर्जी के चलते शासन को समायोजन व स्थानांतरण की ऑनलाइन प्रक्रिया निरस्त करनी पड़ी है। इस बार शासन की मंशा थी कि समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया को ऑनलाइन कराया जाए, लेकिन प्रदेश के 21 जनपदों के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों की उदासीनता के चलते समय से सेलरी डाटा एनआईसी पर अपलोड नहीं हो पाने के कारण ऑनलाइन समायोजन प्रक्रिया को निरस्त करना पड़ा। इसके बाद शासन को वापस यू-र्टन लेना पड़ा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने विगत 11 जुलाई को निर्देश जारी करके समायोजन प्रकिया को ऑफलाइन करने और इस प्रक्रिया को 18 जुलाई तक पूर्ण करने के लिए समस्त जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए थे।
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उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में किया धरना प्रदर्शन
समायोजन व विकल्प भराए जाने की इस प्रक्रिया के विरोध में शिक्षकों ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नेतृत्व में धराना प्रदर्शन किया था और जिलाधिकारी से समक्ष अपनी शिकायतों को रखा। इसके बाद ही जिलाधिकारी के द्वारा शिक्षकों के हक में यह फैसला लिया गया। संघ का आरोप है कि सरप्लस शिक्षकों की सूची का प्रकाशन गुपचुप तरीके से किया गया है और विकासखंड स्तरों पर सूची चस्पा नहीं की गई है। शिक्षकों ने बिना आपत्ती लिए ही विकल्प भरने की प्रकिया शिक्षकों पर जबरन थोपी गई है। वहीं विषय बार शिक्षकों को भी अंदेखा किया गया है और विकल्प के लिए समस्त विद्यालय नहीं खोले गए हैं। अनेकों खाली विद्यालय ऐसे हैं, जिनके नाम विकल्प सूची में शामिल नहीं किया गया है। इस दौरान संघ के जिलाध्यक्ष विनोद निरंजन, काशीनाथ नायक, शकुंतला कुशवाहा, अनिल त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।
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इनका कहना है
शिक्षकों की मांग पर जिलाधिकारी के द्वारा समायोजन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया है। इसमें पहले शिक्षकों से आपत्तियां ली जाएगीं और उनके निस्तारण के बाद ही विकल्प भराने की प्रक्रिया दोबारा शुरु की जाएगी। शासन द्वारा निर्धारित समय सीमा कम होने के कारण जल्द बाजी की गई थी। वहीं छात्रांकन में त्रुटि होने की जो शिकायत मिल रही है, उनका निस्तारण कराया जाएगा।
-अम्बरीष कुमार
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, ललितपुर।
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