BAREILLY . बीएसए ऑफिस से चोरी हुई 150 फाइलों का सुराग अभी लगा नहीं कि 115 और
फाइलें चोरी होने का खुलासा हुआ है। जिससे बीएसए ऑफिस में फाइलों के रखरखाव
को लेकर सवाल खड़ा हो गया है।
यह बीएसए की बड़ी लापरवाही को भी उजागर कर रहा है कि एक बार चोरी होने के बावजूद उन्होंने सुरक्षा को लेकर कोई कड़े कदम नहीं उठाए। इससे एक बात की भी आशंका जाहिर हो रही है कि फाइलें चोरी कराने में विभाग के स्टाफ की मिलीभगत तो नहीं है। क्योंकि सख्ती न बरता जाना इस ओर ही इंगित कर रहा है.
अगस्त में हुई थी चोरी
फाइलें चोरी होने का मामला 16 अगस्त का है। जब सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन कैंसिल कर दिया था, जिसके विरोध में शिक्षामित्रों ने बीएसए ऑफिस में कई दिनों तक धरना दिया था। इस दौरान पूरे ऑफिस में शिक्षामित्रों ने कब्जा कर लिया था। इस मौके का फायदा उठाकर ही किसी व्यक्ति ने ऑफिस की गैलरी में रखे बॉक्स का ताला तोड़कर फाइलें चोरी कर लीं। जिसमें 150 फाइलें चोरी होने की बात सामने आई थी जिसकी बारादरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इन फाइलों के चोरी होने के मामले का पर्दाफाश भी नहीं हुआ कि 115 फाइलों के गायब होने की बात सामने आ गई। जिससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। विभाग के पास अब पूरे डिस्ट्रिक्ट में 265 शिक्षामित्रों के दस्तावेजों की कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसे में शिक्षाविभाग से जुड़े लोग कई आरोप लगा रहे हैं.
भ्रष्टाचार दबाने की कोशिश
बीएसए ऑफिस से एक बार फिर फाइलें चोरी होने के बाद अब विभाग पर भ्रष्टाचार को दबाने के आरोप लग रहे हैं। विभाग का ही कोई कर्मचारी इस काम को अंजाम दे रहा है। बीएसए द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने पूरे स्टाफ से पूछताछ करने के बाद भी कोई रिपोर्ट बीएसए को नहीं सौंपी। जिसके बाद विभाग पर शिक्षामित्रों द्वारा कई आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में, बीएसए चंदना यादव भी फाइलों को लेकर काफी दबाव में दिख रही हैं। फाइलों के बारे में जानकारी लेने के लिए उन्होंने शिक्षामित्रों से उनके दस्तावेजों को एक बार फिर से मंगाना शुरू कर दिया है।
इस बार एफआईअार से दूरी
अगस्त में फाइलें चोरी होने पर बीएसए ने तुरंत एफआईआर दर्ज कराकर मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था। हैरत की बात है कि इस बार 115 और फाइलें चोरी होने का मामला सामने आया तो बीएसए एफआईआर दर्ज करने में कोई इंट्रेस्ट नहीं जता रही हैं। अलबत्ता, वह यह साबित करना चाह रही हैं कि जब फाइलें चोरी हुई थीं, तो उनकी प्रॉपर गिनती नहीं की गई थी, जिसके चलते चेारी गई फाइलों की संख्या बढ़ गई.
फाइलें चोरी होने के बाद एफआईआर दर्ज करा दी गई थी, लेकिन अब 115 फाइलें और कम मिली हैं। जिनके बारे में जानकारी की जा रही है।
चंदना यादव, बीएसए
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यह बीएसए की बड़ी लापरवाही को भी उजागर कर रहा है कि एक बार चोरी होने के बावजूद उन्होंने सुरक्षा को लेकर कोई कड़े कदम नहीं उठाए। इससे एक बात की भी आशंका जाहिर हो रही है कि फाइलें चोरी कराने में विभाग के स्टाफ की मिलीभगत तो नहीं है। क्योंकि सख्ती न बरता जाना इस ओर ही इंगित कर रहा है.
अगस्त में हुई थी चोरी
फाइलें चोरी होने का मामला 16 अगस्त का है। जब सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन कैंसिल कर दिया था, जिसके विरोध में शिक्षामित्रों ने बीएसए ऑफिस में कई दिनों तक धरना दिया था। इस दौरान पूरे ऑफिस में शिक्षामित्रों ने कब्जा कर लिया था। इस मौके का फायदा उठाकर ही किसी व्यक्ति ने ऑफिस की गैलरी में रखे बॉक्स का ताला तोड़कर फाइलें चोरी कर लीं। जिसमें 150 फाइलें चोरी होने की बात सामने आई थी जिसकी बारादरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इन फाइलों के चोरी होने के मामले का पर्दाफाश भी नहीं हुआ कि 115 फाइलों के गायब होने की बात सामने आ गई। जिससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। विभाग के पास अब पूरे डिस्ट्रिक्ट में 265 शिक्षामित्रों के दस्तावेजों की कोई जानकारी ही नहीं है। ऐसे में शिक्षाविभाग से जुड़े लोग कई आरोप लगा रहे हैं.
भ्रष्टाचार दबाने की कोशिश
बीएसए ऑफिस से एक बार फिर फाइलें चोरी होने के बाद अब विभाग पर भ्रष्टाचार को दबाने के आरोप लग रहे हैं। विभाग का ही कोई कर्मचारी इस काम को अंजाम दे रहा है। बीएसए द्वारा बनाई गई जांच कमेटी ने पूरे स्टाफ से पूछताछ करने के बाद भी कोई रिपोर्ट बीएसए को नहीं सौंपी। जिसके बाद विभाग पर शिक्षामित्रों द्वारा कई आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में, बीएसए चंदना यादव भी फाइलों को लेकर काफी दबाव में दिख रही हैं। फाइलों के बारे में जानकारी लेने के लिए उन्होंने शिक्षामित्रों से उनके दस्तावेजों को एक बार फिर से मंगाना शुरू कर दिया है।
इस बार एफआईअार से दूरी
अगस्त में फाइलें चोरी होने पर बीएसए ने तुरंत एफआईआर दर्ज कराकर मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया था। हैरत की बात है कि इस बार 115 और फाइलें चोरी होने का मामला सामने आया तो बीएसए एफआईआर दर्ज करने में कोई इंट्रेस्ट नहीं जता रही हैं। अलबत्ता, वह यह साबित करना चाह रही हैं कि जब फाइलें चोरी हुई थीं, तो उनकी प्रॉपर गिनती नहीं की गई थी, जिसके चलते चेारी गई फाइलों की संख्या बढ़ गई.
फाइलें चोरी होने के बाद एफआईआर दर्ज करा दी गई थी, लेकिन अब 115 फाइलें और कम मिली हैं। जिनके बारे में जानकारी की जा रही है।
चंदना यादव, बीएसए
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