इलाहाबाद : यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों का निर्धारण भले ही इस बार जिला मुख्यालय पर नहीं हुआ है, लेकिन केंद्र तय करने वाले साफ्टवेयर का ‘रिमोट कंट्रोल’ जिला विद्यालय निरीक्षकों के ही हाथ रहा है।
इसीलिए केंद्र निर्धारण में एक के बाद एक खामी रह-रहकर सामने आ रही हैं और महकमे की उम्दा पहल पर सवाल उठ रहे हैं।
भाजपा सरकार ने यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल रोकने के लिए परीक्षा नीति में अहम बदलाव किया। केंद्र निर्धारण में मनमानी व लेटलतीफी होने के कारण जिलों से यह कार्य छीनकर बोर्ड मुख्यालय को सौंपा गया। इसमें केंद्र बनने वाले विद्यालयों का सत्यापन, आपत्तियां लेना और निस्तारण जैसे जरूरी कार्य जिला विद्यालय निरीक्षकों के जिम्मे किए गए।
कालेजों में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर केंद्र निर्धारण के साफ्टवेयर में अंकों की फीडिंग और धारण क्षमता जिलों में ही दर्ज कराई गई। इसी के जरिये डीआइओएस ने अंकन करने में ही तमाम हेरफेर कर दिया। दो दिन पहले शासन के अफसरों की वीडियो कांफ्रेंसिंग में यह बात पुष्ट भी हो गई, जब कई डीआइओएस ने अशासकीय को छोड़कर वित्तविहीन कालेजों को केंद्र बनाने पर सवाल उठाए। कंप्यूटर के जरिये तत्काल डाटा देखा गया तो मिला कि उन कालेजों में फीडिंग ही गलत की गई है। ऐसी ही गड़बड़ियां लगभग हर जिले के कालेजों के साथ की गई है। इसमें कई अच्छे कालेज केंद्र बनने की सूची से बाहर हो गए हैं उनकी जगह पर वित्तविहीन को केंद्र बनने का मौका मिल गया है।
लखनऊ जिले में सत्यनारायण तिवारी इंटर कालेज निगोहां इलाहाबाद-लखनऊ हाईवे पर है यह अशासकीय कालेज केंद्र नहीं बना है, जबकि इसी से चंद कदम दूरी पर वित्तविहीन कालेज परीक्षा केंद्र बन गया है। यह भी सामने आ चुका है कि कई कालेजों की धारण क्षमता एक हजार के आसपास थी, उनका साफ्टवेयर में अंकन महज 150 से 250 तक किया गया है, जबकि निर्देश था कि 300 से कम धारण क्षमता वाले कालेजों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। ऐसे में अब जिलों में बड़ी संख्या में आपत्तियां आना तय हैं, जिनका निस्तारण कराना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि महकमे की किरकिरी कराने वाले जिला विद्यालय निरीक्षकों पर कार्रवाई होना भी तय माना जा रहा है।
प्रतापगढ़ जिले में केंद्र निर्धारण शेष :यूपी बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर प्रदेश भर के सभी जिलों में केंद्र निर्धारण की अनंतिम सूची अपलोड कर दी है। केवल प्रतापगढ़ जिले का केंद्र निर्धारण अभी पूरा नहीं हो सका है। इसकी वजह यह है कि पिछले दो वर्षो में वहां कई कालेजों में पेपर आउट व सामूहिक नकल के कई मामले सामने आए हैं, तमाम केंद्रों पर दोबारा परीक्षा भी करानी पड़ी। साथ ही कुछ कालेज संचालक अपने विद्यालय को केंद्र बनवाने को हाईकोर्ट की शरण ली है। माना जा रहा है जल्द ही वहां की सूची भी वेबसाइट पर अपलोड होगी।
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इसीलिए केंद्र निर्धारण में एक के बाद एक खामी रह-रहकर सामने आ रही हैं और महकमे की उम्दा पहल पर सवाल उठ रहे हैं।
भाजपा सरकार ने यूपी बोर्ड परीक्षा में नकल रोकने के लिए परीक्षा नीति में अहम बदलाव किया। केंद्र निर्धारण में मनमानी व लेटलतीफी होने के कारण जिलों से यह कार्य छीनकर बोर्ड मुख्यालय को सौंपा गया। इसमें केंद्र बनने वाले विद्यालयों का सत्यापन, आपत्तियां लेना और निस्तारण जैसे जरूरी कार्य जिला विद्यालय निरीक्षकों के जिम्मे किए गए।
कालेजों में उपलब्ध संसाधनों के आधार पर केंद्र निर्धारण के साफ्टवेयर में अंकों की फीडिंग और धारण क्षमता जिलों में ही दर्ज कराई गई। इसी के जरिये डीआइओएस ने अंकन करने में ही तमाम हेरफेर कर दिया। दो दिन पहले शासन के अफसरों की वीडियो कांफ्रेंसिंग में यह बात पुष्ट भी हो गई, जब कई डीआइओएस ने अशासकीय को छोड़कर वित्तविहीन कालेजों को केंद्र बनाने पर सवाल उठाए। कंप्यूटर के जरिये तत्काल डाटा देखा गया तो मिला कि उन कालेजों में फीडिंग ही गलत की गई है। ऐसी ही गड़बड़ियां लगभग हर जिले के कालेजों के साथ की गई है। इसमें कई अच्छे कालेज केंद्र बनने की सूची से बाहर हो गए हैं उनकी जगह पर वित्तविहीन को केंद्र बनने का मौका मिल गया है।
लखनऊ जिले में सत्यनारायण तिवारी इंटर कालेज निगोहां इलाहाबाद-लखनऊ हाईवे पर है यह अशासकीय कालेज केंद्र नहीं बना है, जबकि इसी से चंद कदम दूरी पर वित्तविहीन कालेज परीक्षा केंद्र बन गया है। यह भी सामने आ चुका है कि कई कालेजों की धारण क्षमता एक हजार के आसपास थी, उनका साफ्टवेयर में अंकन महज 150 से 250 तक किया गया है, जबकि निर्देश था कि 300 से कम धारण क्षमता वाले कालेजों को केंद्र नहीं बनाया जाएगा। ऐसे में अब जिलों में बड़ी संख्या में आपत्तियां आना तय हैं, जिनका निस्तारण कराना बड़ी चुनौती होगी। हालांकि महकमे की किरकिरी कराने वाले जिला विद्यालय निरीक्षकों पर कार्रवाई होना भी तय माना जा रहा है।
प्रतापगढ़ जिले में केंद्र निर्धारण शेष :यूपी बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर प्रदेश भर के सभी जिलों में केंद्र निर्धारण की अनंतिम सूची अपलोड कर दी है। केवल प्रतापगढ़ जिले का केंद्र निर्धारण अभी पूरा नहीं हो सका है। इसकी वजह यह है कि पिछले दो वर्षो में वहां कई कालेजों में पेपर आउट व सामूहिक नकल के कई मामले सामने आए हैं, तमाम केंद्रों पर दोबारा परीक्षा भी करानी पड़ी। साथ ही कुछ कालेज संचालक अपने विद्यालय को केंद्र बनवाने को हाईकोर्ट की शरण ली है। माना जा रहा है जल्द ही वहां की सूची भी वेबसाइट पर अपलोड होगी।
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