कानपुर देहात: बीते कुछ वर्षो में बेसिक शिक्षा विभाग में हुई भर्तियां फर्जीवाड़े के मकड़जाल में उलझ गईं हैं। मामलों का खुलासा होने पर विभागीय अफसर पुराने रिकार्ड व फाइल खंगालने में जुटे हैं।
जिले में प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में हुई भर्ती के मामले में चौंका देने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। वर्ष 2005 में हुई भर्ती प्रक्रिया में जज के अभिलेख लगाकर ऊषा यादव के शिक्षिका बनने का मामला सामने आया। मामला हाई प्रोफाइल होने पर विभागीय अधिकारियों के होश उड़ गए। आनन फानन में कार्रवाई कर विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। इसके बाद शिकायत पर जांच कराई गई तो पांच जूनियर विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की जालसाजी कर भर्ती करने का मामला प्रकाश में आया। बीएसए दफ्तर में इस भर्ती का रिकार्ड खंगाला जा रहा था कि 2014 में आगरा विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्री लेकर नौकरी पाने वाले 37 शिक्षकों के नाम सामने आ गए। 1 2005 में सहायक अध्यापक पदों पर काउंसिलिंग से भर्ती हुई थी। इसमें कानपुर के हरबंशपुर बिधनू निवासी रामकृपाल की पुत्री ऊषा यादव ने काउंसिलिंग कराई थी। पता चला कि उसने अपने प्रपत्र न लगाकर जरौली फेस-1 कानपुर की संदीपा यादव के प्रपत्र दाखिल कर दिए। (संदीपा यादव आगरा में एसीजेएम-6 हैं।) मामले का खुलासा संदीपा के रिटर्न दाखिल करने पर सामने आया। मामले में विभागीय जांच के साथ थाने में भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
वर्ष 2014 से लेकर 2016 के मध्य जूनियर विद्यालयों में रिक्त चल रहे प्रधानाचार्यों के पद पर नियुक्ति होनी थी। इन विद्यालयों के बजाय प्रबंधतंत्र ने उच्चीकृत विद्यालयों में तथ्यों को छिपा कर प्रधानाचार्यों की नियुक्ति कर दी। शिकायत अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचने पर रिकार्ड खंगालने शुरू किए गए। जांच में सुभाष जूनियर विद्यालय गिरधरपुर, अशोक विद्यामंदिर रास्तपुर, राष्ट्रीय विद्यामंदिर खोजाफूल, जवाहर लाल नेहरू विद्यालय शाहजहांपुर निनायां के प्रधानाचार्यों की नियुक्तियों की जांच हो रही है। 1वर्ष 2014 की भर्ती में आगरा के एक विश्वविद्यालय से अलग-अलग सत्र में बीएड की डिग्री पाने वाले 37 शिक्षकों के प्रपत्र फर्जी पाए गए है। इस मामले की शिकायत के बाद बारीकी से जांच कराई गई। विगत दिनों सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने बीएसए कानपुर देहात को पत्र भेजा। जिसमें उक्त शिक्षकों के नाम, रोल नंबर व डिग्री पाने वाला वर्ष अंकित है। शासन से आई रिपोर्ट में इनकी डिग्री फर्जी मानी गई, जिसको लेकर विभाग में हड़कंप है।
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जिले में प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों में हुई भर्ती के मामले में चौंका देने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। वर्ष 2005 में हुई भर्ती प्रक्रिया में जज के अभिलेख लगाकर ऊषा यादव के शिक्षिका बनने का मामला सामने आया। मामला हाई प्रोफाइल होने पर विभागीय अधिकारियों के होश उड़ गए। आनन फानन में कार्रवाई कर विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। इसके बाद शिकायत पर जांच कराई गई तो पांच जूनियर विद्यालयों में प्रधानाचार्यों की जालसाजी कर भर्ती करने का मामला प्रकाश में आया। बीएसए दफ्तर में इस भर्ती का रिकार्ड खंगाला जा रहा था कि 2014 में आगरा विश्वविद्यालय से फर्जी डिग्री लेकर नौकरी पाने वाले 37 शिक्षकों के नाम सामने आ गए। 1 2005 में सहायक अध्यापक पदों पर काउंसिलिंग से भर्ती हुई थी। इसमें कानपुर के हरबंशपुर बिधनू निवासी रामकृपाल की पुत्री ऊषा यादव ने काउंसिलिंग कराई थी। पता चला कि उसने अपने प्रपत्र न लगाकर जरौली फेस-1 कानपुर की संदीपा यादव के प्रपत्र दाखिल कर दिए। (संदीपा यादव आगरा में एसीजेएम-6 हैं।) मामले का खुलासा संदीपा के रिटर्न दाखिल करने पर सामने आया। मामले में विभागीय जांच के साथ थाने में भी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
वर्ष 2014 से लेकर 2016 के मध्य जूनियर विद्यालयों में रिक्त चल रहे प्रधानाचार्यों के पद पर नियुक्ति होनी थी। इन विद्यालयों के बजाय प्रबंधतंत्र ने उच्चीकृत विद्यालयों में तथ्यों को छिपा कर प्रधानाचार्यों की नियुक्ति कर दी। शिकायत अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचने पर रिकार्ड खंगालने शुरू किए गए। जांच में सुभाष जूनियर विद्यालय गिरधरपुर, अशोक विद्यामंदिर रास्तपुर, राष्ट्रीय विद्यामंदिर खोजाफूल, जवाहर लाल नेहरू विद्यालय शाहजहांपुर निनायां के प्रधानाचार्यों की नियुक्तियों की जांच हो रही है। 1वर्ष 2014 की भर्ती में आगरा के एक विश्वविद्यालय से अलग-अलग सत्र में बीएड की डिग्री पाने वाले 37 शिक्षकों के प्रपत्र फर्जी पाए गए है। इस मामले की शिकायत के बाद बारीकी से जांच कराई गई। विगत दिनों सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने बीएसए कानपुर देहात को पत्र भेजा। जिसमें उक्त शिक्षकों के नाम, रोल नंबर व डिग्री पाने वाला वर्ष अंकित है। शासन से आई रिपोर्ट में इनकी डिग्री फर्जी मानी गई, जिसको लेकर विभाग में हड़कंप है।
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