Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में बढ़ेंगे विदेशी प्राध्यापक, शिक्षा में मदद के वादों से पीछे हट रहे विकसित राष्ट्र: जावेड़कर ने लगाया आरोप

नई दिल्ली: भारतीय विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थान अब बगैर किसी रोक-टोक के विदेशी प्राध्यापकों की भी मदद लें सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रलय और यूजीसी ने इस दिशा में तेजी से काम शुरू किया है।
इसके तहत विश्वविद्यालयों के रुझान को देखते हुए उन्हें मदद देने की पहल की है। मंत्रलय ने अगले शैक्षणिक सत्र में करीब 800 विदेशी प्राध्यापकों को भारतीय विश्वविद्यालयों और संस्थानों में लाने का लक्ष्य तय किया है।
यूजीसी ने इसके साथ ही विश्वविद्यालय और उच्च शिक्षण संस्थानों को यह भी मौका दिया है। वह विदेशी प्राध्यापकों को अंशकालिक और पूर्णकालिक आधार पर भी नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन यह संख्या 20 फीसद से ज्यादा नहीं होगी। मंत्रलय ने इसके लिए ज्ञान (ग्लोबल इनीशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क) नाम का एक पोर्टल भी शुरू किया है। विदेशी प्राध्यापकों को लेकर संस्थान इसमें अपनी मांग दे सकते हैं। यूजीसी से जुड़े सूत्रों की मानें तो विदेशी फैकल्टी से जुड़ने से भारतीय विश्वविद्यालयों को लेकर विदेशों में भी रुझान बढ़ेगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत अभी तक किसी भी विवि या संस्थान को विदेशी प्राध्यापकों को बुलाने के लिए यूजीसी और मंत्रलय स्तर पर अनुमति लेनी होती थी, जिसमें संस्थानों का काफी समय खराब होता था। साथ ही इसके लिए उन्हें एक लंबी प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ता था।

इससे पहले सरकार ने भारतीय विश्वविद्यालयों में विदेशी विवि के पाठ्यक्रमों को संचालित करने की भी अनुमति दी थी। इसके तहत वह बिनी यूजीसी के मंजूरी के विश्वविद्यालयों में नए पाठ्यक्रम, कार्यक्रम और अलग से फैकल्टी शुरू कर सकते हैं। इसके तहत इन्हें सिर्फ डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए यूजीसी से अनुमति लेनी होती है। यूजीसी से जुड़े अधिकारियों की मानें तो मंत्रलय ने यह सारी कवायद भारतीय विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय रैकिंग में पहुंचाने के लिए शुरू किया है।
नई दिल्ली: केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने विकसित देशों पर शिक्षा के विकास को लेकर किए गए वायदे से पीछे हटने का आरोप लगाया है। उन्होंने इस दौरान शिक्षा में सुधार को लेकर जारी यूनेस्को की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि शिक्षा क्षेत्र में मदद पर अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं कमजोर हुई हैं। 1केंद्रीय मंत्री ने यह मुद्दा पिछले दिनों पेरिस में आयोजित यूनेस्को की 39 वीं आमसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि यूनेस्को के एजुकेशन-2030 एजेंडा के तहत विकसित देशों को शिक्षा के विकास के लिए विकासशील देशों को वित्तीय मदद देनी थी। विकसित देशों ने मदद का वादा किया था। इसके लिए विकसित देशों को एक तय मानक के तहत वित्तीय मदद उपलब्ध करानी थी, लेकिन विकसित देशों ने इसे पूरा नहीं किया।

sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

Post a Comment

0 Comments

latest updates

latest updates

Random Posts