फिर विवाद के घेरे में आई दारोगा भर्ती की परीक्षा, मामला हाईकोर्ट में पहुंचा

इलाहाबाद : दारोगा भर्ती परीक्षा का भी लगता है विवादों से गहरा रिश्ता हो गया है। धांधली का एक विवाद अभी ठीक तरह से निस्तारित भी नहीं हो सका है कि उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से पिछले साल विज्ञापित दारोगा के 3307 पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी विवादों के घेरे में आ गई है।
वजह बनी है भर्ती कराने का ठेका लेने वाली मुंबई की एजेंसी एनएसईआइटी के कर्मचारियों की मनमानी और भर्ती बोर्ड की अनदेखी। एजेंसी के कर्मचारियों की मिलीभगत से इस भर्ती का पेपर ऑनलाइन ही हैक हो जाने पर पुनर्परीक्षा कराई जा रही है लेकिन, एजेंसी की पुन: वैसी ही गलती को भर्ती बोर्ड परीक्षा कराने जा रहा है।

मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है। कुछ आवेदकों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुरुवार को याचिका दाखिल कर बताया गया है कि पुलिस भर्ती बोर्ड ने 3307 पदों पर उप निरीक्षक भर्ती का विज्ञापन जून 2016 में जारी करते हुए ऑनलाइन परीक्षा कराने की बात कही थी। परीक्षा कराने का टेंडर मुंबई की एजेंसी एनएसईआइटी को दिया गया। परीक्षा 17 से 31 जुलाई 2017 तक होनी थी। परीक्षा शुरू भी हुई लेकिन, 24 जुलाई 2017 की शाम उत्तर प्रदेश के डीजीपी ने एक आदेश जारी कर सूचना दी कि परीक्षा का पेपर हैक हो गया है इसलिए परीक्षा स्थगित की जा रही है, पुनर्परीक्षा की सूचना वेबसाइट के माध्यम से दी जाएगी। इस मामले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई। प्रारंभिक जांच में पता चला कि पेपर हैक होने के मामले में एजेंसी के कर्मचारियों की संलिप्तता है। इसके बाद एक दिसंबर 2017 को पुलिस भर्ती बोर्ड की तरफ से सूचना जारी की गई कि पुनर्परीक्षा 12 से 22 दिसंबर तक कराई जानी है जिसका प्रवेश पत्र छह दिसंबर से डाउनलोड किया जा सकेगा। आवेदकों में फाफामऊ निवासी सौरभ पांडेय, झूंसी निवासी शिवशंकर दुबेने याचिका में कहा है कि उनके डाटा हैक कर लिए गए हैं। वाट्सएप पर 28 नवंबर, 2016 को ही सोशल मीडिया के माध्यम से यूपी एसआइ परीक्षा-2016 पुनर्परीक्षा का लिंक देते हुए प्रवेश पत्र डाउनलोड करने की सूचना दी गई। कई आवेदकों ने उससे प्रवेश पत्र डाउनलोड भी किए। इस बारे में पुलिस भर्ती बोर्ड में ई-मेल के जरिए और दूरभाष पर भी शिकायत की गई लेकिन, कोई उत्तर नहीं मिला। आवेदकों का कहना है कि उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर परीक्षा की गोपनीयता भंग होने की जानकारी दी है और पारदर्शिता की बात कहते हुए जांच कराने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 11 दिसंबर को होनी है।

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