समीक्षा अधिकारी (एआरओ) पदों पर रिक्तियां भर पाने में असमंजस, पुराने प्रतियोगी छात्रों के सामने ‘ओ’ लेवल प्रमाणपत्र नहीं होने की दिक्कत

इलाहाबाद : आरओ, एआरओ परीक्षा-2017 की प्रक्रिया शुरू कर उप्र लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी छात्रों को नए वर्ष का तोहफा तो दिया है लेकिन, इससे पुराने छात्रों में असंतोष भी उत्पन्न हुआ है। अभी 465 पदों पर रिक्तियां घोषित हैं। रिक्तियों के बढ़ने की संभावना भी है।
वहीं दूसरी ओर एआरओ यानी सहायक समीक्षा अधिकारी पद के लिए लागू की गई कंप्यूटर के ‘ओ’ लेवल प्रमाण पत्र की अनिवार्यता से एक बार फिर आशंका जताई जा रही है कि इस अर्हता के अभ्यर्थी कम मिलने पर कई रिक्तियां खाली ही रह जाएंगी।1प्रतियोगी परीक्षा की कई साल से तैयारी कर रहे छात्रों में एआरओ परीक्षा-2017 में आवेदन करने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। ‘ओ’ लेवल या इसके समकक्ष प्रमाण पत्र की बजाय कंप्यूटर ज्ञान की परीक्षा करवाने की उनकी मांग अधूरी रह गई। ऐसे में आवेदन किस आधार पर हो, जबकि कंप्यूटर के ‘ओ’ लेवल प्रमाण पत्र अब भी काफी छात्रों के पास नहीं हैं। कंप्यूटर की इस टेक्निकल डिग्री को प्राप्त करने के लिए फिर से दो वर्षीय कोर्स कर परीक्षा पास करने का उनके पास समय नहीं बचा है। उधर, आयोग ने भी शासन की मंशा के अनुसार ही परीक्षा का विज्ञापन जारी किया है जिससे आयोग और प्रतियोगी छात्र, दोनों के सामने मजबूरी है। प्रतियोगी छात्र हिमांशु राय, शत्रुघ्न सिंह और मोहम्मद फारुख आदि का कहना है कि काफी समय से आरओ, एआरओ परीक्षा शुरू होने का इंतजार कर रहे थे और अब नए साल पर आयोग ने सौगात भी दी तो ‘ओ’ लेवल प्रमाण पत्र की अनिवार्यता होने से कदम ठिठक रहे हैं। प्रतियोगी छात्र शांतनु राय ने कहा कि नए प्रतियोगी छात्रों के सामने कोई नहीं है क्योंकि उनमें अधिकांश के पास कंप्यूटर कोर्स की डिग्रियां रहती हैं। पुराने छात्रों की स्थिति को समझते हुए एआरओ परीक्षा से ‘ओ’ लेवल प्रमाण पत्र की अनिवार्यता खत्म करनी चाहिए थी। 1आयोग के सचिव जगदीश का कहना है कि ‘ओ’ लेवल प्रमाण पत्र की अनिवार्यता लागू होने के बाद यह तीसरी परीक्षा होने जा रही है इसलिए हो सकता है अब तक अधिकांश छात्र यह डिग्री प्राप्त कर लिए हों। प्रारंभिक परीक्षा होने तक ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी कि पद के सापेक्ष कितने छात्र उपलब्ध होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि प्रारंभिक परीक्षा होने तक पदों की संख्या भी बढ़ सकती है ऐसे में अभी इस स्थिति पर असमंजस है कि रिक्तियां पूरी तरह से भर पाएंगी या नहीं।

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