राष्ट्रीय पेंशन योजना भारत सरकार की एक पेंशन-योजना है। अगर आप
भविष्य के लिए बचत के साथ पेंशन की योजना बना रहे हैं तो एनपीएस आपको अच्छा
रिटर्न दे सकती है। लंबी अवधि की अन्य
योजनाओं के मुकाबले इसमें बेहद छोटी राशि के साथ पेंशन
योजना की शुरुआत की जा सकती है। इस योजना में सरकार की भूमिका केवल
प्रारंभिक दौर में बराबर के अंशदाता के रूप में है।
कर्मचारी और सरकार के अंशदान से जमा धन वित्तीय संस्थानों को मिलता है और
वे इस धन का प्रबंधन करते हैं। किसी भी बैंक से एनपीएस का खाता खुलवाया जा
सकता है। 65 वर्ष तक ले सकते हैं लाभपेंशन योजना के लाभार्थियों के लिए
खुशखबरी, सरकार ने एनपीएस से जुड़ने की आयुसीमा भी 60 से 65 साल कर दी है।
पहले इसमें 18 से 60 वर्ष के उम्र के लोग ही शामिल हो सकते थे। इसे बढ़ाकर
70 किए जाने पर भी विचार चल रहा है। भारत में फिलहाल 15 से 16 प्रतिशत
कर्मचारियों को पेंशन का लाभ मिल रहा है। जबकि 85 प्रतिशत कर्मचारी असंगठित
और अनियमित क्षेत्रों में काम करते हैं और उनके लिए भी एनपीएस अहम भूमिका
अदा कर सकती है।
■ कैसे करें टैक्स की बचत
एनपीएस में कर छूट लाभ दो तरीके से ले सकते हैं। मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी एनपीएस में निवेश पर टैक्स छूट मिलती है। इस तरह सेक्शन 80 सीसीडी-1 के तहत डेढ़ लाख तक छूट का लाभ लिया जा सकता है। सेक्शन 80 सीसीडी-1(बी) के तहत 50000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है। यदि आपने एनपीएस में पहले ही निवेश कर रखा है तो यह निवेश आपको 50 हजार रुपए तक की अतिरिक्त छूट दिला सकता है। जैसे कोई 30 साल का व्यक्ति 50 हजार की अतिरिक्त कर छूट पाने के लिए एनपीएस से जुड़ता है और वह 20 प्रतिशत कर के दायरे में आता है तो वह 10 हजार रुपये टैक्स बचा सकता है।
एनपीएस में कर छूट लाभ दो तरीके से ले सकते हैं। मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी एनपीएस में निवेश पर टैक्स छूट मिलती है। इस तरह सेक्शन 80 सीसीडी-1 के तहत डेढ़ लाख तक छूट का लाभ लिया जा सकता है। सेक्शन 80 सीसीडी-1(बी) के तहत 50000 रुपये की अतिरिक्त छूट मिलती है। यदि आपने एनपीएस में पहले ही निवेश कर रखा है तो यह निवेश आपको 50 हजार रुपए तक की अतिरिक्त छूट दिला सकता है। जैसे कोई 30 साल का व्यक्ति 50 हजार की अतिरिक्त कर छूट पाने के लिए एनपीएस से जुड़ता है और वह 20 प्रतिशत कर के दायरे में आता है तो वह 10 हजार रुपये टैक्स बचा सकता है।
■ सभी वर्गो के लिए योजना
एनपीएस सभी नागरिकों के लिए है, ताकि रिटायरमेंट के बाद लोग अपना जीवनस्तर सुखद और सुरक्षित बनाए रख सकें और उन्हें पैसों की कमी न हो। कोई भी आम व्यक्ति जैसे गृहिणी, स्वरोजगार से जुड़े लोगया कारोबारी एनपीएस में खाता खोल सकता है। असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी भी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसमें निवेश चाहे साल में एक बार या फिर हर महीने या अपनी सुविधानुसार निवेश कर सकते हैं। एनपीएस निवेशक अगर अपना निवास बदलते हैं तो उनको नया खाता खोलने की आवश्यकता नहीं होती है। बाजार से जुड़ी स्कीम पर कम जोखिमएनपीएस एक दीर्घकालिक योजना है और 60 वर्ष की उम्र में ही इसकी परिपक्वता पूरी होती है। एनपीएस भी बाजार से जुड़ी योजना है, ऐसे में इसका रिटर्न शेयर बाजार की चाल पर निर्भर करता है। इसका रिटर्न फंड मैनेजरों के प्रदर्शन पर निर्भर रहता है। इक्विटी में निवेश के कारण एनपीएस पर रिटर्न निश्चित नहीं होता, लेकिन म्युचुअल फंड जितना जोखिम भी नहीं होता।
एनपीएस सभी नागरिकों के लिए है, ताकि रिटायरमेंट के बाद लोग अपना जीवनस्तर सुखद और सुरक्षित बनाए रख सकें और उन्हें पैसों की कमी न हो। कोई भी आम व्यक्ति जैसे गृहिणी, स्वरोजगार से जुड़े लोगया कारोबारी एनपीएस में खाता खोल सकता है। असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी भी इसका लाभ उठा सकते हैं। इसमें निवेश चाहे साल में एक बार या फिर हर महीने या अपनी सुविधानुसार निवेश कर सकते हैं। एनपीएस निवेशक अगर अपना निवास बदलते हैं तो उनको नया खाता खोलने की आवश्यकता नहीं होती है। बाजार से जुड़ी स्कीम पर कम जोखिमएनपीएस एक दीर्घकालिक योजना है और 60 वर्ष की उम्र में ही इसकी परिपक्वता पूरी होती है। एनपीएस भी बाजार से जुड़ी योजना है, ऐसे में इसका रिटर्न शेयर बाजार की चाल पर निर्भर करता है। इसका रिटर्न फंड मैनेजरों के प्रदर्शन पर निर्भर रहता है। इक्विटी में निवेश के कारण एनपीएस पर रिटर्न निश्चित नहीं होता, लेकिन म्युचुअल फंड जितना जोखिम भी नहीं होता।
■ सबसे कम खर्च वाली स्कीम
ज्यादातर बाजार से जुड़ी योजनाओं में कई छिपे हुए खर्च होते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पेंशन योजना किसी भी पेंशन फंड के मुकाबले यह सबसे कम खर्च वाली स्कीम है। इसके प्रबंधन के लिए खर्च बहुत कम होता है। इसमें लगाया हुआ करीब पूरा पैसा आपको वापस मिलता है। यह आपको पेंशन के रूप में हर माह वापस मिलता रहेगा। इसमें से कुछ आप जरूरत के अनुसार वापस भी ले सकते हैं।
ज्यादातर बाजार से जुड़ी योजनाओं में कई छिपे हुए खर्च होते हैं। लेकिन राष्ट्रीय पेंशन योजना किसी भी पेंशन फंड के मुकाबले यह सबसे कम खर्च वाली स्कीम है। इसके प्रबंधन के लिए खर्च बहुत कम होता है। इसमें लगाया हुआ करीब पूरा पैसा आपको वापस मिलता है। यह आपको पेंशन के रूप में हर माह वापस मिलता रहेगा। इसमें से कुछ आप जरूरत के अनुसार वापस भी ले सकते हैं।
■ निवेश का फंड खुद चुनने का विकल्प
राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत आप खुद तय कर सकते हैं कि निवेश कहां और किस श्रेणी में हो। एनपीएस आपको चुनने के लिए एक कोष प्रबंधकों (फंड मैनेजर) की संख्या और तीन निवेश विकल्प प्रदान करता है। अगर आप कोई विकल्प नहीं चुनते तो आपका पैसा आपकी उम्र के हिसाब से विभिन्न योजनाओं में निवेशित हो जाएगा। आप पैसा सिक्योरिटी, बांड या सावधि जमा वाली स्कीमों में लगाने का विकल्प चुन सकते हैं।
राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत आप खुद तय कर सकते हैं कि निवेश कहां और किस श्रेणी में हो। एनपीएस आपको चुनने के लिए एक कोष प्रबंधकों (फंड मैनेजर) की संख्या और तीन निवेश विकल्प प्रदान करता है। अगर आप कोई विकल्प नहीं चुनते तो आपका पैसा आपकी उम्र के हिसाब से विभिन्न योजनाओं में निवेशित हो जाएगा। आप पैसा सिक्योरिटी, बांड या सावधि जमा वाली स्कीमों में लगाने का विकल्प चुन सकते हैं।
■ परिपक्वता पर पैसा ऐसे निकालें
60 साल की उम्र में होने पर निवेशक कर मुक्त 40 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं। 40 फीसदी अन्य हिस्सा सालाना वेतन किस्तों के तौर पर बांटा जा सकता है। बाकी 20 फीसदी हिस्सा टैक्स चुकाकर निकाला जा सकता है या निवेश किया जा सकता है। निवेशक 60 साल की उम्र के पहले भी बच्चे की शिक्षा या शादी के लिए पैसा निकाल सकते हैं। यह निवेश की रकम का 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है।
60 साल की उम्र में होने पर निवेशक कर मुक्त 40 फीसदी हिस्सा निकाल सकते हैं। 40 फीसदी अन्य हिस्सा सालाना वेतन किस्तों के तौर पर बांटा जा सकता है। बाकी 20 फीसदी हिस्सा टैक्स चुकाकर निकाला जा सकता है या निवेश किया जा सकता है। निवेशक 60 साल की उम्र के पहले भी बच्चे की शिक्षा या शादी के लिए पैसा निकाल सकते हैं। यह निवेश की रकम का 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है।
■ निवेश राशि घटाने से दायरा बढ़ेगा
पहले इस स्कीम में भागीदारी के लिए आपको न्यूनतम सालाना निवेश छह हजार रुपये करना जरूरी होता था। पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण ने 2016 में घटाकर न्यूनतम सालाना निवेश एक हजार रुपये कर दिया है, ताकि इसका दायरा बढ़ाया जा सके।
पहले इस स्कीम में भागीदारी के लिए आपको न्यूनतम सालाना निवेश छह हजार रुपये करना जरूरी होता था। पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण ने 2016 में घटाकर न्यूनतम सालाना निवेश एक हजार रुपये कर दिया है, ताकि इसका दायरा बढ़ाया जा सके।
■ अच्छा रिटर्न पर लचीलापन कम
एनपीएस ने पिछले पांच सालों में बाजार से जुड़ी कई स्कीमों और पीपीएफ से बढ़िया रिटर्न दिया है। लेकिन इसमें पर्याप्त लचीलापन नहीं है। दीर्घकालिक निवेश योजना होने के कारण यह सबको आकर्षित नहीं करती। म्युचुअल फंड की ज्यादातर श्रेणियों में निवेश की कोई समयसीमा या धन सीमा नहीं है, ऐसे में कम अवधि के लिए इक्विटी आधारित योजनाएं निवेश का बढ़िया साधन हैं। लेकिन भविष्य या सेवानिवृत्ति के लिहाज से एनपीएस बेहतर है।
एनपीएस ने पिछले पांच सालों में बाजार से जुड़ी कई स्कीमों और पीपीएफ से बढ़िया रिटर्न दिया है। लेकिन इसमें पर्याप्त लचीलापन नहीं है। दीर्घकालिक निवेश योजना होने के कारण यह सबको आकर्षित नहीं करती। म्युचुअल फंड की ज्यादातर श्रेणियों में निवेश की कोई समयसीमा या धन सीमा नहीं है, ऐसे में कम अवधि के लिए इक्विटी आधारित योजनाएं निवेश का बढ़िया साधन हैं। लेकिन भविष्य या सेवानिवृत्ति के लिहाज से एनपीएस बेहतर है।
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