गोंडा। सात माह से बगैर मानदेय के काम कर रहे शिक्षामित्रों पर लेखा विभाग
के अफसरों की शिथिलता भारी पड़ गई। बेसिक शिक्षा निदेशक का आदेश भी जिले के
194 शिक्षामित्रों को उनका बकाया मानदेय नहीं दिला सका।
वित्तीय
वर्ष के अंतिम दिन शिक्षामित्रों के मानदेय के लिए जारी किया गया 1.08
करोड़ रुपये का बजट समय से बिल न तैयार होने के कारण बगैर भुगतान के सरेंडर
हो गया। लापरवाही से शिक्षामित्रों का मानदेय फिर अटक गया है।
जिले
के परिषदीय स्कूलों में करीब 32 सौ शिक्षामित्रों की तैनाती है। इनमें से
194 शिक्षामित्र बेसिक शिक्षा की तरफ से तैनात हैं। दूरस्थ बीटीसी कोर्स
पूरा करने के बाद अधिकतर शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित हो
गए थे मगर शीर्ष अदालत ने इनके समायोजन को निरस्त कर दिया।
इसके
बाद इन्हें अपने मूल पद पर वापस होना पड़ा। इन्हें फिर से मानदेय पर कर
दिया गया। अब इनके मानदेय भी मुश्किल में पड़ गया है। सर्व शिक्षा अभियान
की तरफ से तैनात शिक्षामित्रों को तो मानदेय मिल रहा है मगर बेसिक शिक्षा
की तरफ से तैनात 194 शिक्षामित्रों को पिछले सात महीने से मानदेय नहीं
मिला।
इनकी तैनाती अपने मूल स्कूलों के बजाय समायोजन वाले स्कूलों
में ही बरकरार है जो इनके घरों से 50 से 60 किमी दूर हैं। मानदेय न मिलने
से इन्हें दूसरों से उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है।
शासन ने 31
मार्च को शिक्षामित्र मानदेय के लिए 1.08 करोड़ रुपये जारी किए थे। बेसिक
शिक्षा निदेशक ने सभी वित्त एवं लेखाधिकारियों को पत्र जारी कर हर हाल में
शिक्षामित्रों को मानदेय देने निर्देश जारी किए थे मगर लेखा विभाग के
अफसरों की शिथिलता से इसका पालन नहीं हो सका।
देर रात तक मशक्कत के
बाद आखिरकार मानदेय के लिए आवंटित की गई पूरी धनराशि बगैर भुगतान के
सरेंडर कर दी गई। लापरवाही से शिक्षामित्रों का मानदेय एक बार फिर से अटक
गया है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला मीडिया प्रभारी
अवधेशमणि मिश्रा का कहना है कि अगर लेखा विभाग के अफसर थोड़ी सी सतर्कता
बरतते तो मानदेय का भुगतान कराया जा सकता था।
31.72 लाख का किया भुगतान
गोंडा।
मार्च महीने में शिक्षामित्र मानदेय के लिए शासन ने 31.72 लाख रुपये का
आवंटन किया था। इसके बाद 31 मार्च को 1.08 करोड़ का आवंटन किया गया। निदेशक
ने दोनों किश्तों का भुगतान करने के निर्देश दिए थे।
बेसिक शिक्षा
के लेखा विभाग ने 28 समायोजित शिक्षामित्रों को नवंबर तक का और 166
शिक्षामित्रों को 10 हजार के हिसाब से अगस्त माह का मानदेय भुगतान कर दिया,
जबकि 1.08 करोड़ का भुगतान नहीं कर सके।
ट्रेजरी के अफसरों पर फोड़ा ठीकरा
31
मार्च को रात नौ बजे 1.08 करोड़ का बजट शिक्षामित्र मानदेय के लिए मिला
था। बजट आवंटन के बाद बिल तैयार करने में करीब दस बज गए। इसके बाद जब वह
बिल लेकर ट्रेजरी पहुंचे तो ट्रेजरी के अफसरों ने बिल लेने से इंकार कर
दिया। जिससे मानदेय का भगतान नहीं हो सका और धनराशि को सरेंडर करना पड़ा।
-सुरेशचंद्र श्रीवास्तव, वित्त एवं लेखाधिकारी बेसिक
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