एनबीटी संवाददाता,लखनऊ लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग में इन दिनों नियुक्ति में आरक्षण को लेकर विवाद छिड़ गया है। विवि की ओर से दो रिक्त पदों का विज्ञापन निकाला गया था जिसमें एक पद ओबीसी ओर एक पद एससी कैटिगरी में विज्ञापित किया गया था।
अब एमए के छात्र मनीष पांडेय ने विवि पर विज्ञापन में शासनादेश का उल्लंघन करने आरोप लगाया है। अपनी शिकायत में कहा कि शासनादेश के तहत रिक्त पदों में 50 प्रतिशत सामान्य और 27 प्रतिशत ओबीसी ओर 23 प्रतिशत एससी-एसटी की भर्ती होती है। ऐसे में दो पदों में एक पद तो सामान्य का होना ही चाहिए, जबकि दोनों रिजर्व कोटे के हैं। इसकी शिकायत एलयू वीसी लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी की गई। इस पर शासन ने विवि प्रशासन को मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं।
एक ही विवि में आरक्षण के दो नियम
एलयू के शिक्षा विभाग में कुल शासन की ओर से कुल 6 पद स्वीकृत हैं। इसमें वर्तमान में चार शिक्षक कार्य कर रहे हैं जिसमें 3 ओबीसी हैं और 1 सामान्य श्रेणी के हैं। जबकि रिक्त विज्ञापित पद को भी एक ओबीसी और एक एससी में विज्ञापित किया गया। अगर कुल पदों पर भी आरक्षण लागू हो तो तीन सामान्य और तीन आरक्षित होने चाहिए। जबकि यहां सिर्फ एक ही सामान्य कैटिगरी में शिक्षक कार्य कर रहे हैं। शिकायत में यही मुद्दा उठाया गया है। रिक्त सीटें आरक्षित वर्ग की है तो सामान्य की सीटें कहां गईं। विवि का तर्क है जो सीट जिस कैटिगरी की होती है उसी की भर्ती होती है। ऐसे में उर्दू विभाग में दो सीटें खाली थी जिसमें एक एससी कैंडिडेट नौकरी छोड़कर गए थे। ऐसे में उन दोनों सीटों को सामान्य में विज्ञापित किया गया। तब कहा गया कि दो में आरक्षण लागू नहीं होता। ऐसे में एक ही विवि में दो नियम कैसे लागू हो रहे हैं।
जिसने छोड़ दिया विवि उसका कैसे विनियमितिकरण
शिकायत में विभाग की शिक्षिका अपर्णा गोडबोले की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े कर दिए गए हैं। शिक्षिका का उनकी निरंतर सेवा के आधार पर 2002 में विनियमितिकरण किया गया, जबकि शिकायत में कहा गया कि उन्होंने विवि में निरंतकर कार्य ही नहीं किया। उन्होंने एलयू छोड़कर जौनपुर के जंघाई महाविद्यालय में जॉइन कर लिया था। जब यहां विनियमितिकरण होने लगा तो वापस आ गईं, लेकिन उन्होंने इस दौरान जो दूसरी जगह कार्य किया उसे नहीं दिखाया गया। इस पर एलयू के तत्कालीन रजिस्ट्रार भास्कर उपाध्याय ने आपत्ति भी जताई थी। क्योंकि शिक्षिका की ओर से जंघाई में जॉइन करने के लिए साढ़े तीन महीने का अवकाश मांगा गया था। तब वह नियमित शिक्षक नहीं थी इसलिए नियम के तहत उन्हें यह दिया नहीं गया। इसके बाद उन्होंने जॉइन किया, लेकिन वह पत्र अब एलयू के रेकॉर्ड से ही गायब है। शिकायतकर्ता की ओर से उस पत्र की कॉपी भी एलयू प्रशासन को उपलब्ध करवाई गई है। ऐसे में शिक्षिका का विनियमितिकरण भी नियमों के विपरीत है।
कोट
आरक्षण नियमों के तहत है, जिस कैटिगरी की जो पोस्ट होती है, उसे उसी कैटिगरी में विज्ञापित किया जाता है। -प्रो आरके सिंह, रजिस्ट्रार एलयू
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