शिक्षकों के रिक्त सीटों के सापेक्ष एक चौथाई पदों पर तबादले, शिक्षिकाओं को मिला सर्वाधिक लाभ

इलाहाबाद : परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की अंतर जिला तबादले की प्रक्रिया लंबी चली। प्रदेश भर में शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या भी भरपूर रही। इन पदों के सापेक्ष न तो आवेदन हो सके और न ही जिन शिक्षकों ने पसंदीदा जिले में जाने की अर्जी लगाई, उन्हें मौका ही दिया गया।
कुल रिक्त पदों में से सिर्फ एक चौथाई पदों पर ही स्थानांतरण हो सके हैं। अंतिम समय तक नियम बदलने से बड़ी संख्या में शिक्षकों को निराश होना पड़ा है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों का अंतर जिला तबादला करने के लिए सूबे में पर्याप्त गुंजायश रही है। कुल 47 हजार 485 रिक्त पदों के सापेक्ष पहले चरण में महज 15 हजार ही आवेदन हो सके थे, क्योंकि अपने घर से दूर जिलों में तैनात अधिकांश शिक्षकों की सेवा अवधि पांच वर्ष अभी पूरी नहीं हो सकी है। दूसरे चरण में शिक्षिकाओं के 22 हजार से अधिक आवेदन हुए। बेसिक शिक्षा विभाग ने तबादला आवेदन लेने के समय ही प्राथमिक में गाजियाबाद में रिक्ति शून्य होने का दावा किया था। वहीं, उच्च प्राथमिक में बुलंदशहर, हापुड़, आगरा, मैनपुरी, एटा, हाथरस, मथुरा, कौशांबी, गाजीपुर, लखनऊ, उन्नाव, देवरिया, बाराबंकी, सुलतानपुर, अमेठी, मुरादाबाद, अमरोहा, बलिया, मऊ और शामली में भी पद खाली नहीं थे। इन जिलों में जाने के इच्छुक शिक्षक-शिक्षिकाओं ने आवेदन ही नहीं किया।

शिक्षिकाओं को सर्वाधिक लाभ : अंतर जिला तबादलों में पुरुषों की अपेक्षा महिला शिक्षिकाओं को सर्वाधिक लाभ मिला है। कुल तबादलों में से तीन चौथाई से अधिक शिक्षिकाएं हैं, जबकि गिने-चुने पुरुषों का स्थानांतरण हुआ है, अधिकांश कोर्ट की शरण में हैं।