उत्तरप्रदेश : पचास में सरकारी नौकरी और अब रिटायरमेंट देने का भी प्लान

लखनऊ : ये हाल है उत्तर प्रदेश सरकार का. जहां पहले सरकार किसी व्यक्ति को पचास साल की उम्र में नौकरी देती है और अब उसे इस उम्र में रिटायर करने की तैयारी में है. लिहाजा अब कर्मचारी क्या करें. सरकारी फरमान है तो अफसरों की मजबूरी है उसे तामील कराना.
लिहाजा अब उन कर्मचारियों को रिटायर करने की तैयारी शुरू हो गयी है, क्योंकि सरकारी आदेश है कि पचास से ज्यादा की उम्र के अफसर और कर्मचारियों का रिटायर किया जाए.

असल में यह मामला है शिक्षा विभाग का. जहां कुछ साल पहले पचास साल तक के उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. अब योगी सरकार ने पचास साल से ऊपर काम न करने वाले कर्मचारियों और शिक्षकों को सरकारी नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर रही है और इसके लिए सभी विभागों को स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर कर्मचारियों को चिह्नित करने का आदेश दिया है.

हालांकि प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद यह फैसला लिया गया था, लेकिन अब योगी सरकार ने इस फैसले को तेजी से लागू करने का आदेश दिया है. यूपी सरकार ने पिछले पांच सालों में उर्दू शिक्षक भर्ती और विशेष आरक्षण वर्ग के तहत 50 साल से अधिक उम्र में तमाम अभ्यर्थियों को शिक्षक के रूप में नियुक्त किया. उस वक्त राज्य में सपा की सरकार थी. सपा सरकार के दौरान उर्दू विषय के 4280 और 3500 सहायक अध्यापकों की भर्ती में अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष थी. लिहाजा राज्य सरकार के आदेश के तहत कई 50 साल से अधिक आयु के लोगों ने आवेदन किया और वह नियुक्त भी हो गये. इसी प्रकार विशेष आरक्षण वर्ग के तहत कई ऐसे अवकाश प्राप्त सैनिकों का भी शिक्षक पद पर चयन हुआ जिनकी उम्र 50 साल से अधिक है. हालांकि उस वक्त इस फैसले को लेकर सपा सरकार की जमकर आलोचना हुई और सरकार पर वर्ग विशेष के लोगों को लाभ पहुंचाने का आरोप लगा. सरकारी आदेश के सामने विभाग की एक नहीं चली. लिहाजा उस सरकारी आदेश का खामियाजा अब शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है.

शिक्षकों का कहना है कि अधिक उम्र के शिक्षकों की छंटनी गलत है. पूरी उम्र सेवा देने के बाद बुढ़ापे में ये शिक्षक कहां जाएंगे. 2005 के बाद नियुक्त शिक्षकों की स्थिति तो और बदतर है क्योंकि उनके लिए पुरानी पेंशन तक का प्रावधान नहीं है. अधिक उम्र में नौकरी पाने वाले शिक्षकों का तर्क है कि जब निकालना ही था तो नौकरी क्यों दी. सेवा नियमावली से उस व्यवस्था को भी हटा देना चाहिए जिसमें अधिक उम्र के अभ्यर्थियों को नौकरी देने का प्रावधान है. सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए स्क्रीनिंग का शासनादेश जुलाई को जारी हुआ था.