मूल काॅपियों के जलाने, काॅपियों में छेड़खाड़ करने, परीक्षा में अनुपस्थित अभ्यर्थियों का चयन करने जैसे अनगिनत मामले हैं, ऐसी स्थिति में यदि यह मान भी लिया जाये कि परीक्षा के दौरान धांधली नहीं हुई है और इस तर्क के आधार पर कहा जा रहा है कि सिर्फ रिजल्ट नये सिरे से तैयार किया जाये। लेकिन सवाल है कि नये सिरे से रिजल्ट तैयार करने में नये विवाद जन्म लेंगे। इसके अलावा स्क्रूटनी अथवा पुनर्मल्याकन से जो चयनित अभ्यर्थी बाहर होंगे, वह न्यायालय की शरण में जायेंगे या जो चयनित नहीं होंगे वह भी न्यायालय की शरण में जायेंगे। इस विवाद के हल के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है कि हाई कोर्ट की निगरानी में पुनर्परीक्षा कराई जाये। निश्चित तौर पर कट आफ ऐसा होना चाहिए जिससे सीटे खाली न रह जायें। साथ अगली भर्ती के पूर्व ही इस धांधली में शामिल गुनहगारों को सलाखों के पीछे भेज दिया जाये अन्यथा यह गोरखधंधा जारी रहेगा।