UPTET में बीएड (विशेष शिक्षा) धारकों को करें शामिल, हाईकोर्ट ने एनसीटीई व राज्य सरकार से याचिका पर मांगा जवाब

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुनर्वास परिषद नई दिल्ली (आरसीआइ) के बीएड (विशेष शिक्षा) धारकों को भी यूपीटीईटी 2018 में बैठने देने का आदेश दिया है। एनसीटीई व राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने आशुतोष सिंह व अन्य 10 लोगों की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि आरसीआइ को एनसीटीई से मान्यता प्राप्त है। 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना में बीएड विशेष शिक्षा को मान्य किया गया है। इस डिग्री को कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए अर्ह माना गया है। बीएड विशेष शिक्षा को बीएड सामान्य डिग्री के समकक्ष माना गया है लेकिन, 28 जून 2018 के विज्ञापन से केवल बीएड डिग्री धारकों को ही मान्य करार दिया गया है और बीएड विशेष शिक्षा डिग्री धारकों को यूपीटीईटी में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा रही है। वैध डिग्री होने के बावजूद उन्हें टीईटी में बैठने से रोकना गलत है। एनसीटीई को कोर्ट ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करे कि बीएड विशेष शिक्षा, बीएड सामान्य के समकक्ष डिग्री है या नहीं? एनसीटीई के अधिवक्ता का कहना है कि यह डिग्री विशेष प्रकार के बच्चों को पढ़ाने के लिए मान्य है। राज्य सरकार ने भी तर्क को स्वीकार करते हुए कहा कि बीएड विशेष शिक्षा को यूपीटीईटी में शामिल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचियों को प्रोविजनल तौर पर परीक्षा में बैठने देने का निर्देश दिया।