लखनऊ/मथुरा। शिक्षक भर्ती घोटाले में फरार चल रहे वॉछित नामजद मुख्य आरोपी
शिक्षक आलोक उपाध्याय को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने शनिवार को मथुरा
जिले के थाना कोतवाली क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है। शिक्षक भर्ती घोटाले
में इससे पहले एसटीएफ 17 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
18वां शिकार आलोक उपाध्याय सिर्फ शिक्षक भर्ती नहीं 2015 में हुए स्काउट घोटाले में भी संलिप्त था। यही नहीं वह अधिकारियों-कर्मचारियां को विजिलेंस से पकड़वाने का खौफ दिखाकर चौथ भी वसूलता था।
बता दें के प्रदेश में वर्ष 2015-16 के दौरान 29,334 जूनियर व प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती हुई थी। जिसमें मथुरा में 265 सहायक अध्यापकों की भर्ती में 108 फर्जी शिक्षकों को नियुक्ति दे दी गई थी। इस मामले का एसटीएफ ने मई में खुलासा किया था। इस प्रकरण में मामले में आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471, 120बी व 8/9 भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत 22 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। जिसमें एसटीएफ 17 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। नामजद आरोपी शिक्षक आलोक उपाध्याय फरार चल रहा था। उसके अलावा वेगराज व लाखन भी फरार है, जिन्हें तलाशा जा रहा है।
यूपी एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि नामजद आरोपी शिक्षक आलोक उपाध्याय निवासी ग्राम-भद्रवन, थाना मॉट, मथुरा को एसटीएफ की आगरा ईकाई ने शनिवार को मथुरा के थाना कोतवाली नया रोडवेज बस स्टैण्ड से गिरफ्तार किया। उसके पास से आधार कार्ड, मोबाइल और मात्र 210 रुपए मिले।
पूछताछ में आरोपी आलोक उपाध्याय ने बताया कि वह वर्ष 2015 में जनपद मथुरा में हुये स्काउट घोटाले में भी संलिप्त रहा हैं। उसने कबूला कि उसने स्वयं गठित यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन, उप्र (यूडा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित बन कर संगठन की आड़ में अनैतिक एवं गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया।
आरोपी ने बताया कि उसने एबीएसए नारखी, फिरोजाबाद प्रवीन कुमार अग्रवाल, बीएसए0मथुरा कार्यालय के बड़े बाबू कुंज बिहारी, लेखपाल देवीराम, सचिव ग्राम पंचायत तुलाराम को भ्रष्टाचार निवारण संगठन-विजलैंस से पकड़वाने में अहम भूमिका निभायी गयी थी, जिसकी वजह से अधिकारियों-कर्मचारियो को पकड़वाने का भय दिखाकर उनसे चौथ वसूली भी करता था। आरोपी ने स्वीकारा कि उसने वेगराज के साथ मिलकर शिक्षा विभाग में हुयी पिछली भर्तियो में कई अपात्रों को शिक्षक के रूप में नियुक्ती कराई। आरोपी के खिलाफ आगे की कार्यवाही स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही है।
18वां शिकार आलोक उपाध्याय सिर्फ शिक्षक भर्ती नहीं 2015 में हुए स्काउट घोटाले में भी संलिप्त था। यही नहीं वह अधिकारियों-कर्मचारियां को विजिलेंस से पकड़वाने का खौफ दिखाकर चौथ भी वसूलता था।
बता दें के प्रदेश में वर्ष 2015-16 के दौरान 29,334 जूनियर व प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती हुई थी। जिसमें मथुरा में 265 सहायक अध्यापकों की भर्ती में 108 फर्जी शिक्षकों को नियुक्ति दे दी गई थी। इस मामले का एसटीएफ ने मई में खुलासा किया था। इस प्रकरण में मामले में आईपीसी की धारा-420, 467, 468, 471, 120बी व 8/9 भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत 22 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई। जिसमें एसटीएफ 17 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। नामजद आरोपी शिक्षक आलोक उपाध्याय फरार चल रहा था। उसके अलावा वेगराज व लाखन भी फरार है, जिन्हें तलाशा जा रहा है।
यूपी एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि नामजद आरोपी शिक्षक आलोक उपाध्याय निवासी ग्राम-भद्रवन, थाना मॉट, मथुरा को एसटीएफ की आगरा ईकाई ने शनिवार को मथुरा के थाना कोतवाली नया रोडवेज बस स्टैण्ड से गिरफ्तार किया। उसके पास से आधार कार्ड, मोबाइल और मात्र 210 रुपए मिले।
पूछताछ में आरोपी आलोक उपाध्याय ने बताया कि वह वर्ष 2015 में जनपद मथुरा में हुये स्काउट घोटाले में भी संलिप्त रहा हैं। उसने कबूला कि उसने स्वयं गठित यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन, उप्र (यूडा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित बन कर संगठन की आड़ में अनैतिक एवं गैरकानूनी कार्यो को अंजाम दिया।
आरोपी ने बताया कि उसने एबीएसए नारखी, फिरोजाबाद प्रवीन कुमार अग्रवाल, बीएसए0मथुरा कार्यालय के बड़े बाबू कुंज बिहारी, लेखपाल देवीराम, सचिव ग्राम पंचायत तुलाराम को भ्रष्टाचार निवारण संगठन-विजलैंस से पकड़वाने में अहम भूमिका निभायी गयी थी, जिसकी वजह से अधिकारियों-कर्मचारियो को पकड़वाने का भय दिखाकर उनसे चौथ वसूली भी करता था। आरोपी ने स्वीकारा कि उसने वेगराज के साथ मिलकर शिक्षा विभाग में हुयी पिछली भर्तियो में कई अपात्रों को शिक्षक के रूप में नियुक्ती कराई। आरोपी के खिलाफ आगे की कार्यवाही स्थानीय पुलिस द्वारा की जा रही है।