प्रयागराज : जैसी आशंका थी, वही हुआ। शिक्षा महकमे के अफसर कहते आ रहे थे कि 2016 प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक के विज्ञापित पदों से आठ विषयों के पद निरस्त होने का मामला हाईकोर्ट में एक मिनट भी नहीं टिकेगा।
हाईकोर्ट ने जिस तरह से प्रधानाचार्य के पद घटाने पर चयन बोर्ड को आईना दिखाया है, उससे स्पष्ट है कि अब चयन बोर्ड को निर्णय वापस लेना पड़ सकता है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने 12 जुलाई को निर्णय किया कि 2016 के विज्ञापन के आठ पदों को निरस्त कर रहा है। इस निर्णय के पीछे चयन बोर्ड का दावा रहा है कि माध्यमिक कालेजों में या तो ये विषय नहीं है या फिर पहली बार ऐसे विषयों के पद विज्ञापित हुए जिनका चयन नहीं किया जा सकता। चयन बोर्ड ने 300 से अधिक पदों के करीब 69 हजार अभ्यर्थियों से दूसरे विषयों में आवेदन मांगा था, चार माह बीत चुके हैं अब तक यह प्रकरण अनसुलझा है। इसी की वजह से 2016 की लिखित परीक्षा नहीं कराई जा सकी है। अब प्रधानाचार्यो के मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि चयन बोर्ड को पद घटाने का अधिकार नहीं है।
कई विषयों में पहले घटाए जा चुके पद : चयन बोर्ड ने इसके पहले 2013 के लिए प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक सहित अन्य चयन में कई विषयों में परिणाम जारी करते समय पद घटा दिए हैं। 2011 के लिए साक्षात्कार होने के पहले भी चयन बोर्ड ने नए सिरे से पदों का सत्यापन कराया है। यही नहीं प्रधानाचार्य चयन 2013 की तारीख इसीलिए नहीं आ रही है, क्योंकि उसका सत्यापन पूरा नहीं हुआ है।
यूपी बोर्ड का प्रस्ताव अधर में : यूपी बोर्ड ने चयन बोर्ड के पद निरस्त मामले में शासन को प्रस्ताव भेज रखा है, अब तक उस पर निर्णय नहीं हुआ है। यूपी बोर्ड ने भी निरस्त पदों की परीक्षा कराने का ही सुझाव दिया है, क्योंकि करीब 69 हजार अभ्यर्थियों से दूसरे विषयों में आवेदन लिया जाना संभव नहीं है।
हाईकोर्ट ने जिस तरह से प्रधानाचार्य के पद घटाने पर चयन बोर्ड को आईना दिखाया है, उससे स्पष्ट है कि अब चयन बोर्ड को निर्णय वापस लेना पड़ सकता है।
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने 12 जुलाई को निर्णय किया कि 2016 के विज्ञापन के आठ पदों को निरस्त कर रहा है। इस निर्णय के पीछे चयन बोर्ड का दावा रहा है कि माध्यमिक कालेजों में या तो ये विषय नहीं है या फिर पहली बार ऐसे विषयों के पद विज्ञापित हुए जिनका चयन नहीं किया जा सकता। चयन बोर्ड ने 300 से अधिक पदों के करीब 69 हजार अभ्यर्थियों से दूसरे विषयों में आवेदन मांगा था, चार माह बीत चुके हैं अब तक यह प्रकरण अनसुलझा है। इसी की वजह से 2016 की लिखित परीक्षा नहीं कराई जा सकी है। अब प्रधानाचार्यो के मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि चयन बोर्ड को पद घटाने का अधिकार नहीं है।
कई विषयों में पहले घटाए जा चुके पद : चयन बोर्ड ने इसके पहले 2013 के लिए प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक सहित अन्य चयन में कई विषयों में परिणाम जारी करते समय पद घटा दिए हैं। 2011 के लिए साक्षात्कार होने के पहले भी चयन बोर्ड ने नए सिरे से पदों का सत्यापन कराया है। यही नहीं प्रधानाचार्य चयन 2013 की तारीख इसीलिए नहीं आ रही है, क्योंकि उसका सत्यापन पूरा नहीं हुआ है।
यूपी बोर्ड का प्रस्ताव अधर में : यूपी बोर्ड ने चयन बोर्ड के पद निरस्त मामले में शासन को प्रस्ताव भेज रखा है, अब तक उस पर निर्णय नहीं हुआ है। यूपी बोर्ड ने भी निरस्त पदों की परीक्षा कराने का ही सुझाव दिया है, क्योंकि करीब 69 हजार अभ्यर्थियों से दूसरे विषयों में आवेदन लिया जाना संभव नहीं है।