राहुल पांडेय
आर टी ई एक्ट के बाद न्यूमतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार भारत सरकार को था जिसे उन्होंने NCTE को दे दिया।
सेक्शन 23(1) में न्यूनतम योग्यता TET उत्तीर्ण होना है।
राज्य ने अपनी नियमावली के क्लॉज़ 14(3) में नियम स्थापित किया कि जो अध्यापक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करेगा वही शिक्षक भर्ती में आवेदन करेगा।
इसे शिक्षामित्रों ने चुनौती दी कि यह NCTE के अधिकारों का उलंघन है क्योंकि जो व्यक्ति TET उत्तीर्ण रहेगा वह अध्यापक बनने का पात्र है लेकिन राज्य के नियम के बाद TET उत्तीर्ण होने के बाद अध्यापक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण न रहा तो वह अयोग्य हो जाएगा तो TET उत्तीर्ण करना न्यूनतम योग्यता नहीं रह जायेगी। मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है । चेलैंज करने वाले अधिकतर परीक्षा उत्तीर्ण होकर नौकरी पा गए इसलिए पैरवी कमजोर हो गयी है ।
राज्य ने पहले शासनादेश 45/40 फीसदी उत्तीर्ण अंक के साथ जारी किया लेकिन परीक्षा के पूर्व 33/30 कर दिया तो 33/30 पर हाई कोर्ट ने स्थगन कर दिया।
अब सरकार काउंटर दाखिल की है कि नियमावली में उसने लिखा है कि वह समय समय पर उत्तीर्ण अंक में परिवर्तन कर सकेगी इसलिये उसने परिवर्तन किया।
जबकि सेटल लॉ यह है कि जब गेम शुरू हो गया तो अब बीच मे परिवर्तन नहीं कर सकते हैं । आपको परिवर्तन करना था तो अगली भर्ती परीक्षा के लिए करते।
69000 की परीक्षा के लिए सरकार ने कोई पासिंग मॉर्क नहीं रखा है और कह रही है कि आवेदन प्रक्रिया के बाद करेंगे ।
मगर शासनादेश के बाद अब पासिंग मॉर्क रखना मुनासिब नहीं है ।
अगर कोर्ट सरकार के काउंटर से संतुष्ट होकर 33/30 के परिवर्तन को 68500 भर्ती परीक्षा में सही मान लेती है तब ही 69000 की भर्ती परीक्षा में बाद में पासिंग मॉर्क रखा जा सकता है । मगर सही मानते ही 41556 का चयन वोयड और नुल हो जाएगा क्योंकि 40 फीसदी गुणांक जोड़कर 33/30 से मेरिट बनने पर चयन सूची बदल जाएगी।
अगर कोर्ट 45/40 को सही मानती है तो फिर 69000 भर्ती परीक्षा में दो समस्या होगी । पहली शासनादेश में ही उत्तीर्ण अंक का निर्धारण न करना। दूसरा उत्तीर्ण अंक न होना नियमावली के 14(3) का उलंघन होना जिससे कि 69000 भर्ती परीक्षा के शासनादेश पर खतरा मंडराना।
अर्थात यह बेहद ही जटिल है कि कोर्ट स्पष्ट करे कि रूल 14(3) में पासिंग मॉर्क होना NCTE के 23(1) का वायरस है कि पासिंग होना यदि वायरस नहीं है तो फिर 69000 में पासिंग मॉर्क न रखना नियमावली के 14(3) का उलंघन है।
बाद में भी पासिंग मॉर्क रख लेने का अधिकार है कि फिर 68500 में बाद में परिवर्तन करना भी सही होने लगेगा?
इसलिए इसका समाधान यही है कि कोर्ट 45/40 को सही माने और सरकार को 69000 में पासिंग मॉर्क शासनादेश के साथ ही रखने को कहे, इसके अतिरिक्त एक्ट का वायरस जब निर्णीत होगा तो देखा जाएगा।
आर टी ई एक्ट के बाद न्यूमतम योग्यता निर्धारित करने का अधिकार भारत सरकार को था जिसे उन्होंने NCTE को दे दिया।
सेक्शन 23(1) में न्यूनतम योग्यता TET उत्तीर्ण होना है।
राज्य ने अपनी नियमावली के क्लॉज़ 14(3) में नियम स्थापित किया कि जो अध्यापक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण करेगा वही शिक्षक भर्ती में आवेदन करेगा।
इसे शिक्षामित्रों ने चुनौती दी कि यह NCTE के अधिकारों का उलंघन है क्योंकि जो व्यक्ति TET उत्तीर्ण रहेगा वह अध्यापक बनने का पात्र है लेकिन राज्य के नियम के बाद TET उत्तीर्ण होने के बाद अध्यापक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण न रहा तो वह अयोग्य हो जाएगा तो TET उत्तीर्ण करना न्यूनतम योग्यता नहीं रह जायेगी। मामला हाई कोर्ट में पेंडिंग है । चेलैंज करने वाले अधिकतर परीक्षा उत्तीर्ण होकर नौकरी पा गए इसलिए पैरवी कमजोर हो गयी है ।
राज्य ने पहले शासनादेश 45/40 फीसदी उत्तीर्ण अंक के साथ जारी किया लेकिन परीक्षा के पूर्व 33/30 कर दिया तो 33/30 पर हाई कोर्ट ने स्थगन कर दिया।
अब सरकार काउंटर दाखिल की है कि नियमावली में उसने लिखा है कि वह समय समय पर उत्तीर्ण अंक में परिवर्तन कर सकेगी इसलिये उसने परिवर्तन किया।
जबकि सेटल लॉ यह है कि जब गेम शुरू हो गया तो अब बीच मे परिवर्तन नहीं कर सकते हैं । आपको परिवर्तन करना था तो अगली भर्ती परीक्षा के लिए करते।
69000 की परीक्षा के लिए सरकार ने कोई पासिंग मॉर्क नहीं रखा है और कह रही है कि आवेदन प्रक्रिया के बाद करेंगे ।
मगर शासनादेश के बाद अब पासिंग मॉर्क रखना मुनासिब नहीं है ।
अगर कोर्ट सरकार के काउंटर से संतुष्ट होकर 33/30 के परिवर्तन को 68500 भर्ती परीक्षा में सही मान लेती है तब ही 69000 की भर्ती परीक्षा में बाद में पासिंग मॉर्क रखा जा सकता है । मगर सही मानते ही 41556 का चयन वोयड और नुल हो जाएगा क्योंकि 40 फीसदी गुणांक जोड़कर 33/30 से मेरिट बनने पर चयन सूची बदल जाएगी।
अगर कोर्ट 45/40 को सही मानती है तो फिर 69000 भर्ती परीक्षा में दो समस्या होगी । पहली शासनादेश में ही उत्तीर्ण अंक का निर्धारण न करना। दूसरा उत्तीर्ण अंक न होना नियमावली के 14(3) का उलंघन होना जिससे कि 69000 भर्ती परीक्षा के शासनादेश पर खतरा मंडराना।
अर्थात यह बेहद ही जटिल है कि कोर्ट स्पष्ट करे कि रूल 14(3) में पासिंग मॉर्क होना NCTE के 23(1) का वायरस है कि पासिंग होना यदि वायरस नहीं है तो फिर 69000 में पासिंग मॉर्क न रखना नियमावली के 14(3) का उलंघन है।
बाद में भी पासिंग मॉर्क रख लेने का अधिकार है कि फिर 68500 में बाद में परिवर्तन करना भी सही होने लगेगा?
इसलिए इसका समाधान यही है कि कोर्ट 45/40 को सही माने और सरकार को 69000 में पासिंग मॉर्क शासनादेश के साथ ही रखने को कहे, इसके अतिरिक्त एक्ट का वायरस जब निर्णीत होगा तो देखा जाएगा।