अयोध्या : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दो दिनी अवध प्रांत की कार्यकारिणी की बैठक में शिक्षा की वर्तमान चुनौतियां छाई रहीं।
डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों की व्यवस्था पर तगड़ा प्रहार किया गया। विवि से संबंद्ध महाविद्यालयों में शिक्षा का स्तर अत्यंत चिताजनक बताया गया। आरोप लगा कि संस्थान परीक्षा संचालित कराने एवं डिग्री बांटने के केंद्र बनकर रह गए हैं। ऐसे में छात्रों के ज्ञान का सृजनात्मक विकास नहीं हो पा रहा है। परिषद ने सरकार से मांग की कि उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती की जाए। महाविद्यालयों में शिक्षकों के अनुमोदन के धंधे पर चर्चा हुई। विवि व प्रबंधतंत्र की मिलीभगत से अयोग्य व्यक्ति अध्यापन कर रहे हैं। एबीवीपी ने पारदर्शी और ऑनलाइन अनुमोदन प्रक्रिया लागू करने की मांग की। विश्वविद्यालयों के सेमेस्टर प्रणाली को असफल बताया गया। सेमेस्टर परीक्षाओं के परिणाम को निराशाजनक करार दिया गया। सेमेस्टर प्रणाली की पुन: समीक्षा कर इसे स्नातक स्तर पर तत्काल समाप्त करने की मांग की गई। विश्वविद्यालयों में स्थापित विभिन्न शोध-पीठों के औचित्य पर सवाल खड़ा किया गया। कहा गया कि शोध क्षेत्र में इसका लाभ नहीं मिल पा रहा। राज्य स्तर पर शोध के लिए विश्वविद्यालयों की संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने की मांग उठी।
चयन बोर्ड का कैलेंडर नियमित करने, शिक्षक व प्रधानाचार्यो की लंबित भर्ती शीघ्र पूरी करने की मांग उठाई गई। इसके साथ परिषद ने नदी व जल संरक्षण का प्रस्ताव पारित कर इसे सरकार को भेजने का निर्णय लिया।
डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों की व्यवस्था पर तगड़ा प्रहार किया गया। विवि से संबंद्ध महाविद्यालयों में शिक्षा का स्तर अत्यंत चिताजनक बताया गया। आरोप लगा कि संस्थान परीक्षा संचालित कराने एवं डिग्री बांटने के केंद्र बनकर रह गए हैं। ऐसे में छात्रों के ज्ञान का सृजनात्मक विकास नहीं हो पा रहा है। परिषद ने सरकार से मांग की कि उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती की जाए। महाविद्यालयों में शिक्षकों के अनुमोदन के धंधे पर चर्चा हुई। विवि व प्रबंधतंत्र की मिलीभगत से अयोग्य व्यक्ति अध्यापन कर रहे हैं। एबीवीपी ने पारदर्शी और ऑनलाइन अनुमोदन प्रक्रिया लागू करने की मांग की। विश्वविद्यालयों के सेमेस्टर प्रणाली को असफल बताया गया। सेमेस्टर परीक्षाओं के परिणाम को निराशाजनक करार दिया गया। सेमेस्टर प्रणाली की पुन: समीक्षा कर इसे स्नातक स्तर पर तत्काल समाप्त करने की मांग की गई। विश्वविद्यालयों में स्थापित विभिन्न शोध-पीठों के औचित्य पर सवाल खड़ा किया गया। कहा गया कि शोध क्षेत्र में इसका लाभ नहीं मिल पा रहा। राज्य स्तर पर शोध के लिए विश्वविद्यालयों की संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित कराने की मांग उठी।
चयन बोर्ड का कैलेंडर नियमित करने, शिक्षक व प्रधानाचार्यो की लंबित भर्ती शीघ्र पूरी करने की मांग उठाई गई। इसके साथ परिषद ने नदी व जल संरक्षण का प्रस्ताव पारित कर इसे सरकार को भेजने का निर्णय लिया।