शैक्षिक सुधार की दिशा में सीबीएसई बड़ा कदम उठाने जा रहा है। इसके लिए स्कूलों का हब बनाया जाएगा। देश भर के स्कूलों को हब में बांट दिया जाएगा। एक हब में पांच या उससे ज्यादा स्कूल शामिल होंगे। एक हब के अंदर आने वाले स्कूल विभिन्न गतिविधियों में एक-दूसरे का सहयोग करेंगे। पांच या उससे ज्यादा स्कूलों का एक हब बनेगा जिनको कोलाबोरेटिव लर्निंग हब (सीएलएच) के नाम से जाना जाएगा।
ये सीएलएच आपस में एक दूसरे के संसाधनों को साझा करेंगे। ये स्कूल क्षमता निर्माण में एक-दूसरे की मदद करेंगे, आपस में मिलकर संयुक्त गतिविधियों का आयोजन करेंगे। इन स्कूल हब के बीच आपस में शिक्षक और छात्रों के आदान प्रदान का कार्यक्रम भी होगा और पहली से लेकर आठवीं क्लास तक के लिए अपना खुद का पाठ्यक्रम और प्रश्नपत्र भी तैयार करेंगे।
सीएलएच 1 जुलाई से शुरू होंगे। इसका जो परिणाम होगा उसको स्कूलों को मान्यता देने और उनके अपग्रेडेशन के लिए होने वाले ऑडिट में इस्तेमाल होगा। इस योजना के तहत करीब 22,000 मान्यता प्राप्त संस्थानों को 4,500 जिला हब के ग्रुपों में बांटा गया है।
इस पहल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आधारभूत ढांचा और शिक्षकों की कमी की वजह से किसी स्कूल में पढ़ाई प्रभावित नहीं होगा। किसी स्कूल में अगर शिक्षक की कमी है तो उसकी पूर्ति दूसरे स्कूल से की जा सकेगी। इस तरह इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधित जरूरतों के साथ भी होगा। ज्यादातर सरकारी और प्राइवेट स्कूलों ने इस क्रांतिकारी पहल का स्वागत किया है। सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने बताया, 'बहुत से स्कूल ऐसे होते हैं जहां संसाधनों का अभाव होता है तो वहीं कुछ संस्थान ऐसे भी हैं जिनके पास संसाधन तो होता है लेकिन वे उनका पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं।'
उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए हर स्कूल के पास कुछ बहुत अच्छे शिक्षक होते हैं। अब इस तरह के शिक्षक अन्य स्कूलों के शिक्षकों की मदद करेंगे। शिक्षकों और छात्रों के लिए आयोजित होने वाले आदान-प्रदान कार्यक्रम से शिक्षा पर एकाधिकार खत्म होगा।'
स्कूल हब आपस में खेलकूद की सुविधाओं, प्रयोगशालाओं, सभागारों को भी आपस में साझा करेंगे। वे आपस में मिलकर प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करने के साथ-साथ खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विज्ञान प्रदर्शनियों और क्विज का भी आयोजन करेंगे। स्कूल हब को छात्रों के लिए कुछ अहम मामलों जैसे सुरक्षा और सलामती, ऊर्जा और जल संरक्षण, पर्यावरण, डिजिटल नवाचार, नैतिकता और मूल्यों एवं नेतृत्व कौशल पर सेमिनारों के आयोजन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
हर हब अपने आसपास में स्थित औद्योगिक इकाइयों, कारखानों, प्रशासकीय मुख्यालयों, सुरक्षा सेवाओं, उच्च शिक्षा के संस्थानों और बिजनस हाउस से भी जुड़ेंगे ताकि उनसे कुछ सीख सकें और जीवन एवं समाज के बारे में गहरी जानकारी हासिल हो। स्कूल हब को कल्याणकारी गतिविधियों के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। उनको किसी स्कूल और गांव को गोद लेने या बागीचा विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
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ये सीएलएच आपस में एक दूसरे के संसाधनों को साझा करेंगे। ये स्कूल क्षमता निर्माण में एक-दूसरे की मदद करेंगे, आपस में मिलकर संयुक्त गतिविधियों का आयोजन करेंगे। इन स्कूल हब के बीच आपस में शिक्षक और छात्रों के आदान प्रदान का कार्यक्रम भी होगा और पहली से लेकर आठवीं क्लास तक के लिए अपना खुद का पाठ्यक्रम और प्रश्नपत्र भी तैयार करेंगे।
सीएलएच 1 जुलाई से शुरू होंगे। इसका जो परिणाम होगा उसको स्कूलों को मान्यता देने और उनके अपग्रेडेशन के लिए होने वाले ऑडिट में इस्तेमाल होगा। इस योजना के तहत करीब 22,000 मान्यता प्राप्त संस्थानों को 4,500 जिला हब के ग्रुपों में बांटा गया है।
इस पहल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आधारभूत ढांचा और शिक्षकों की कमी की वजह से किसी स्कूल में पढ़ाई प्रभावित नहीं होगा। किसी स्कूल में अगर शिक्षक की कमी है तो उसकी पूर्ति दूसरे स्कूल से की जा सकेगी। इस तरह इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधित जरूरतों के साथ भी होगा। ज्यादातर सरकारी और प्राइवेट स्कूलों ने इस क्रांतिकारी पहल का स्वागत किया है। सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने बताया, 'बहुत से स्कूल ऐसे होते हैं जहां संसाधनों का अभाव होता है तो वहीं कुछ संस्थान ऐसे भी हैं जिनके पास संसाधन तो होता है लेकिन वे उनका पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं।'
उन्होंने कहा, 'उदाहरण के लिए हर स्कूल के पास कुछ बहुत अच्छे शिक्षक होते हैं। अब इस तरह के शिक्षक अन्य स्कूलों के शिक्षकों की मदद करेंगे। शिक्षकों और छात्रों के लिए आयोजित होने वाले आदान-प्रदान कार्यक्रम से शिक्षा पर एकाधिकार खत्म होगा।'
स्कूल हब आपस में खेलकूद की सुविधाओं, प्रयोगशालाओं, सभागारों को भी आपस में साझा करेंगे। वे आपस में मिलकर प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन करने के साथ-साथ खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों, विज्ञान प्रदर्शनियों और क्विज का भी आयोजन करेंगे। स्कूल हब को छात्रों के लिए कुछ अहम मामलों जैसे सुरक्षा और सलामती, ऊर्जा और जल संरक्षण, पर्यावरण, डिजिटल नवाचार, नैतिकता और मूल्यों एवं नेतृत्व कौशल पर सेमिनारों के आयोजन के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा।
हर हब अपने आसपास में स्थित औद्योगिक इकाइयों, कारखानों, प्रशासकीय मुख्यालयों, सुरक्षा सेवाओं, उच्च शिक्षा के संस्थानों और बिजनस हाउस से भी जुड़ेंगे ताकि उनसे कुछ सीख सकें और जीवन एवं समाज के बारे में गहरी जानकारी हासिल हो। स्कूल हब को कल्याणकारी गतिविधियों के लिए भी प्रोत्साहित किया जाएगा। उनको किसी स्कूल और गांव को गोद लेने या बागीचा विकसित करने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा।
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