लखीमपुर : शासन से सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में शिक्षकों की
नियुक्ति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। बेसिक शिक्षा विभाग के
लेखाधिकारी डॉ. डीके सिंह ने तीन स्कूलों के सात शिक्षकों की नियुक्तियां
रद्द करने की संस्तुति शासन को भेज दी है।
आरोप है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति आरक्षण व्यवस्था को दरकिनार कर की गई है। लेखाधिकारी ने स्कूलों में एकल संचालन की व्यवस्था लागू की है, जिससे प्रबंधक का नियंत्रण पूरी तरह समाप्त होकर लेखाधिकारी के जिम्मे चला जाएगा। लेखाधिकारी की इस कार्रवाई से स्कूल प्रबंधकों में हड़कंप मचा हुआ है।
लेखाधिकारी के मुताबिक, जांच में पाया गया कि लखनियापुर के पंचवटी
नेहरू विद्यालय के दो शिक्षकों, सिगाही के क्वीन मेरी गर्ल्स स्कूल के तीन
शिक्षक तथा मोहदियापुर श्री नेहरू सीनियर स्कूल के दो शिक्षकों की
नियुक्तियों में गड़बड़ी पाई गई है। जिसके बाद वेतन निर्धारण अधिनियम 1978 के
अंतर्गत इन तीनों स्कूलों में कार्रवाई करते हुए प्रधानाध्यापकों का वेतन
बाधित कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों के एकल संचालन के निर्देश दे दिए गए
हैं। जांच में यह भी पाया गया कि इन शिक्षकों की नियुक्ति में चयन कमेटी
द्वारा नियमों का पालन नहीं किया गया। शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण
व्यवस्था को पूरी तरह दरकिनार किया गया है। वहीं विभागीय सूत्रों का कहना
है कि शिक्षकों की नियुक्ति मामले में विज्ञप्ति की अनुमति से पूर्व कमेटी
को प्रस्ताव की कॉपी ही नहीं मिल पाई थी। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव में
कमेटी के कुछ सदस्यों के दस्तखत भी सही नहीं हैं लेकिन, कमेटी के
जिम्मेदारों ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। यह सारे बिदु लेखाधिकारी की जांच
में उजागर हुए हैं। जिसके बाद लेखाधिकारी ने शिक्षकों की नियुक्ति रद्द
करने तथा स्कूलों की मान्यता समाप्त करने की संस्तुति कर दी है। लेखाधिकारी
ने बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण को दरकिनार करने के साथ ही
नियमों की भी अनदेखी की गई है। बताया कि सिगाही के क्वीन मेरी गर्ल्स
स्कूल में कमेटी के बीच विवाद चल रहा है, इसलिए अभी पूरे मामले की जांच की
जा रही है। लेखाधिकारी ने संस्तुति पत्रावली सचिव बेसिक शिक्षा परिषद,
प्रमुख सचिव वित्त नियंत्रक तथा निदेशक बेसिक शिक्षा परिषद को भेज दी है।
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बीएसए की सुनिए
बीएसए बुद्धप्रिय सिंह कहते हैं कि लेखाधिकारी की कार्रवाई की जानकारी नहीं है। वैसे स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए कमेटी बनाई जाती है, जिसमें डीएम के प्रतिनिधि भी होते हैं। अकेले लेखाधिकारी मान्यता रद्द करने की संस्तुति नहीं कर सकते हैं। लेखाधिकारी बार-बार अभिलेखों की मांग कर रहे हैं। अगर उन्हें अभिलेख देखने हैं तो वह उनसे देख सकते हैं। जो दस्तावेज उनके पास हैं, उससे कहीं भी नियुक्तियों में गड़बड़ी की आशंका नहीं है।
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आरोप है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति आरक्षण व्यवस्था को दरकिनार कर की गई है। लेखाधिकारी ने स्कूलों में एकल संचालन की व्यवस्था लागू की है, जिससे प्रबंधक का नियंत्रण पूरी तरह समाप्त होकर लेखाधिकारी के जिम्मे चला जाएगा। लेखाधिकारी की इस कार्रवाई से स्कूल प्रबंधकों में हड़कंप मचा हुआ है।
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बीएसए की सुनिए
बीएसए बुद्धप्रिय सिंह कहते हैं कि लेखाधिकारी की कार्रवाई की जानकारी नहीं है। वैसे स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए कमेटी बनाई जाती है, जिसमें डीएम के प्रतिनिधि भी होते हैं। अकेले लेखाधिकारी मान्यता रद्द करने की संस्तुति नहीं कर सकते हैं। लेखाधिकारी बार-बार अभिलेखों की मांग कर रहे हैं। अगर उन्हें अभिलेख देखने हैं तो वह उनसे देख सकते हैं। जो दस्तावेज उनके पास हैं, उससे कहीं भी नियुक्तियों में गड़बड़ी की आशंका नहीं है।
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