बरेली। बेसिक शिक्षा विभाग में 12 फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में
कार्रवाई भले ही फाइल में कैद हो, लेकिन सूत्रों की मानें तो विजिलेंस
जांच में दो पूर्व बेसिक शिक्षा अधिकारी और दो सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी
समेत 29 शक के दायरे में हैं। बताया जाता है कि विजिलेंस ने इस मामले की
जांच पूरी कर ली है और चार्जशीट लगाने के लिए शासन की अनुमति का इंतजार
किया जा रहा है।
वर्ष 2002 में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति और उनकी
ट्रांसफर-पोस्टिंग का मामला प्रकाश में आया था। शिकायतों के बाद जांच शुरू
हुई, लेकिन विभाग ने मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। थाना फरीदपुर और
सुभाषनगर में तत्कालीन एबीएसए भुता राजेंद्र प्रसाद गंगवार ने इन 12 फर्जी
शिक्षकों पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस की जांच में इन शिक्षकों के
पते फर्जी पाए गए और जिन स्कूलों में पोस्टिंग बताई गई, वहां भी नहीं
मिले। नतीजतन, दोनों थानों की पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगाकर मामला बंद कर
दिया। इसके बाद मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ा और तत्कालीन डीएम रमारमण ने
विजिलेंस जांच के आदेश कर दिए। विजिलेंस ने जांच शुरू की, मगर शिक्षा विभाग
की ओर से कोई मदद नहीं मिली। एक भी शिक्षक की पत्रावली उपलब्ध नहीं कराई
गई। अधिकारी हों या बाबू इस मामले में सबकी संलिप्तता के संकेत विजिलेंस के
जांच अधिकारियों को मिले। इसके बाद आरोपियों की नियुक्ति के दौरान तैनात
रहे अधिकारियों-कर्मचारियों को भी को इस फर्जीवाड़े में शामिल मानते हुए
चार्जशीट लगाने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है।
इन पर कार्रवाई की तलवार
मदन पाल कुशवाहा, तत्कालीन बीएसए। दीपचंद्र प्रजापति, तत्कालीन बीएसए। सोहनलाल वर्मा, तत्कालीन एबीएसए, फरीदपुर। एससी दीक्षित, तत्कालीन एबीएसए, फरीदपुर। अरुण कुमार सक्सेना, पटल सहायक। राधेश्याम रस्तोगी, सहायक अध्यापक संबद्ध बीएसए कार्यालय। शाहिद खां, सहायक अध्यापक संबद्ध बीएसए कार्यालय। किशन स्वरूप सक्सेना, तत्कालीन प्रधान लिपिक बीएसए कार्यालय। बृजपाल सिंह, तत्कालीन लिपिक बीएसए कार्यालय। इशरत अली, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि केहरा। जंगबहादुर शर्मा, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि चमरौआ। श्यामसुंदर, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि रंपुरा। हरिप्रसाद, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि धौरेरा। रघुनंदन प्रसाद, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि सुकटिया। सत्यप्रकाश गंगवार, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि कुरमुरी। रामस्वरूप गंगवार, तत्कालीन प्रधान अध्यापक, प्रावि बढ़रा कासिमपुर। राजकुमार शर्मा, तत्कालीन लिपिक, कार्यालय बेसिक शिक्षा परिषद इलाहबाद। शिक्षक अंजू गुप्ता, अशफाक, रामप्रताप गंगवार, नईम रजा, रियासत हुसैन, श्यामबाबू, अनोखे लाल, भागीरथ, अनिल कुमार पाल, राजपाल, अनूप कुमार, ओमप्रकाश।
वेतन रुकने पर बाबू दीपचंद्र की हुई थी हत्या
वर्ष 2009 में तीन जुलाई की शाम बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक दीपचंद गंगवार की कार्यालय से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दीप के मामा गोपालनगर निवासी नंदराम ने थाना सुभाषनगर में तत्कालीन बीएसए धर्मेंद्र कुमार सक्सेना और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि पुलिस जांच में बीएसए का नाम निकाल दिया गया था। बताया जाता है कि फर्जी नियुक्तियों के मामले में वेतन रुकने के चलते ही दीप की हत्या हुई थी।
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इन पर कार्रवाई की तलवार
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वेतन रुकने पर बाबू दीपचंद्र की हुई थी हत्या
वर्ष 2009 में तीन जुलाई की शाम बेसिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ सहायक दीपचंद गंगवार की कार्यालय से घर लौटते समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दीप के मामा गोपालनगर निवासी नंदराम ने थाना सुभाषनगर में तत्कालीन बीएसए धर्मेंद्र कुमार सक्सेना और दो अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। हालांकि पुलिस जांच में बीएसए का नाम निकाल दिया गया था। बताया जाता है कि फर्जी नियुक्तियों के मामले में वेतन रुकने के चलते ही दीप की हत्या हुई थी।
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