इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती को लेकर जारी विज्ञापन सवालों के
घेरे में है। एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर ओबीसी आरक्षण को
लेकर सवाल उठाए गए हैं। कुलपति और रजिस्ट्रार को प्रत्यावेदन देकर पूछा गया
है कि एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए गरीब
सवर्णों के लिए आरक्षण
की व्यवस्था नहीं की गई है तो ओबीसी क्रीमी लेयर को यह लाभ किस आधार पर दिया जा रहा है जबकि दोनों को आरक्षण का लाभ देने का पैमाना समान है। प्रत्यावेदन में मांग की गई है कि विज्ञापन संशोधित किया जाए। प्रत्यावेदन देने वालों ने कहा है कि कि संशोधन न होने पर न्यायालय की शरण में जाएंगे।
इविवि में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए 23 अप्रैल को जारी
विज्ञापन में दस फीसदी गरीब सवर्ण आरक्षण को लागू किया गया है लेकिन
एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद पर गरीब सवर्णों के अरक्षण की व्यवस्था
लागू नहीं की गई है। वहीं, इन दोनों प्रकार के पदों पर ओबीसी के लिए
आरक्षण व्यवस्था लागू की गई है और अब इसी पर सवाल उठ रहे हैं। असिस्टेंट
प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के पद
पर न्यूनतम आठ वर्ष और प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए असिस्टेंट एवं एसोसिएट
प्रोफेसर के पद पर न्यूनतम दस वर्ष का शैक्षिक अनुभव होना चाहिए।
एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद पर गरीब सवर्णों को इस तर्क के साथ आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया, क्योंकि इसके लिए वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए लेकिन आठ साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम कर चुके शिक्षक की वेतन के रूप में वार्षिक आय आठ लाख रुपये से अधिक हो रही है। ओबीसी क्रीमी लेयर को भी आरक्षण के लिए यही व्यवस्था लागू। असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात ओबीसी अभ्यर्थी भी अपने समकक्ष अनारक्षित अभ्यर्थियों के समान वेतन प्राप्त कर रहे हैं और उनकी वार्षिक आय भी आठ लाख रुपये से अधिक है।
इसी आधार पर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर भर्ती में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं और मांग की जा रही है कि अगर ओबीसी क्रीम लेयर को आरक्षण मिल सकता है तो गरीब सवर्ण को क्यों नहीं? आपत्ति करने वालों का यह दावा भी है कि वर्ष 2012, 2016 और 2017 में शिक्षक भर्ती के लिए तीन अलग-अलग विज्ञापन जारी किए गए और किसी भी विज्ञापन में एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर पद पर ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। ऐसे में इस बार जारी विज्ञापन संशोधित होना चाहिए।
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की व्यवस्था नहीं की गई है तो ओबीसी क्रीमी लेयर को यह लाभ किस आधार पर दिया जा रहा है जबकि दोनों को आरक्षण का लाभ देने का पैमाना समान है। प्रत्यावेदन में मांग की गई है कि विज्ञापन संशोधित किया जाए। प्रत्यावेदन देने वालों ने कहा है कि कि संशोधन न होने पर न्यायालय की शरण में जाएंगे।
एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पद पर गरीब सवर्णों को इस तर्क के साथ आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया, क्योंकि इसके लिए वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम होनी चाहिए लेकिन आठ साल तक असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर काम कर चुके शिक्षक की वेतन के रूप में वार्षिक आय आठ लाख रुपये से अधिक हो रही है। ओबीसी क्रीमी लेयर को भी आरक्षण के लिए यही व्यवस्था लागू। असिस्टेंट प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर तैनात ओबीसी अभ्यर्थी भी अपने समकक्ष अनारक्षित अभ्यर्थियों के समान वेतन प्राप्त कर रहे हैं और उनकी वार्षिक आय भी आठ लाख रुपये से अधिक है।
इसी आधार पर एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर भर्ती में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं और मांग की जा रही है कि अगर ओबीसी क्रीम लेयर को आरक्षण मिल सकता है तो गरीब सवर्ण को क्यों नहीं? आपत्ति करने वालों का यह दावा भी है कि वर्ष 2012, 2016 और 2017 में शिक्षक भर्ती के लिए तीन अलग-अलग विज्ञापन जारी किए गए और किसी भी विज्ञापन में एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर पद पर ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। ऐसे में इस बार जारी विज्ञापन संशोधित होना चाहिए।
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