सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में सरकार द्वारा दिए गए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण के तहत अंकों में छूट को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर अब कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है। सीटेट में अभी तक सरकार द्वारा दिए गए 10 फासदी आरक्षण को शामिल नहीं किया गया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, कोर्ट ने यह कहते हुए अधिसूचना पर रोक लगाने से इंकार कर दिया कि यह नीतिगत निर्णय है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि प्रवेश की पात्रता के लिए आयोजित परीक्षा में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं हो सकता। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की पीठ ने सीटेट, 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी के आरक्षण के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण दिया था।
पीठ ने कहा था कि प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कोई आरक्षण नहीं हो सकता। ये पूरी तरह से गलत है। ये केवल पात्रता प्राप्त करने की परीक्षा है। आरक्षण का सवाल तो प्रवेश के समय उठेगा। वहीं जब याचिकाकर्ता के वकील ने सात जुलाई को होने वाली परीक्षा की अधिसूचना का जिक्र किया था तो पीठ ने कहा कि परीक्षा की अधिसूचना अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को भी किसी प्रकार का आरक्षण प्रदान नहीं करती है।
जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के हैं और इस परीक्षा को देने जा रहे हैं। सीबीएसई ने 23 जनवरी, 2019 को इस परीक्षा के आयोजन को लेकर विज्ञापन जारी किया था, जिसमे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों को यह लाभ नहीं दिया गया था। जिसके चलते याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी।
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि प्रवेश की पात्रता के लिए आयोजित परीक्षा में किसी प्रकार का आरक्षण नहीं हो सकता। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की पीठ ने सीटेट, 2019 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी के आरक्षण के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्टीकरण दिया था।
पीठ ने कहा था कि प्रवेश परीक्षा को पास करने के लिए कोई आरक्षण नहीं हो सकता। ये पूरी तरह से गलत है। ये केवल पात्रता प्राप्त करने की परीक्षा है। आरक्षण का सवाल तो प्रवेश के समय उठेगा। वहीं जब याचिकाकर्ता के वकील ने सात जुलाई को होने वाली परीक्षा की अधिसूचना का जिक्र किया था तो पीठ ने कहा कि परीक्षा की अधिसूचना अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को भी किसी प्रकार का आरक्षण प्रदान नहीं करती है।
जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ताओं का दावा था कि वे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के हैं और इस परीक्षा को देने जा रहे हैं। सीबीएसई ने 23 जनवरी, 2019 को इस परीक्षा के आयोजन को लेकर विज्ञापन जारी किया था, जिसमे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभ्यर्थियों को यह लाभ नहीं दिया गया था। जिसके चलते याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर की थी।
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