गलत विज्ञापनों से फंसी इविवि में शिक्षक भर्ती

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) में वर्ष 2016 से अब तक शिक्षक भर्ती के लिए तीन बार विज्ञापन जारी किया गया और तीनों बार आरक्षण रोस्टर में गड़बड़ी के कारण विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती फंस गई। इविवि प्रशासन अपनी गलती पर पर्दा डालने के लिए पूर्व शिक्षकों को निशाना बनाता है और इसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराता है जबकि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू खुद इसके लिए जिम्मेदार हैं। यह बातें ऑटा के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम किशोर शास्त्री और पूर्व शिक्षक प्रो. एके श्रीवास्तव ने रविवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में कहीं।

प्रो. राम किशोर शास्त्री और प्रो. एके श्रीवास्तव ने बताया कि दो फरवरी 2016 को शिक्षकों के रिक्त पदां पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था लेकिन इसमें आरक्षण रोस्टर का खुला उल्लंघन किया गया। बाद में मामला हाईकोर्ट चला गया। इविवि प्रशासन ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई और कमेटी ने भी पाया कि आरक्षण रोस्टर का उल्लंघन हुआ है, जिसके बाद विज्ञापन वापस ले लिया गया लेकिन तब तक कुछ नियुक्तियां हो चुकीं थीं। न्यायालय जाने वालों में कोई पूर्व शिक्षक शामिल नहीं था।
इसके बाद बीएचयू की एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि अध्यापकों की नियुक्ति के लिए विभागवार आरक्षण रोस्टर लागू किया जाए। यह आदेश केवल बीएचयू के लिए बाध्यकारी थी लेकिन इस निर्णय के आधार पर इविवि प्रशासन ने भी विज्ञापन जारी कर भर्तियां शुरू कर दीं जबकि इस बारे में तब तक केंद्र सरकार या यूजीसी की ओर से कोई नियम नहीं बनाया गया था। विज्ञापन में कहा गया कि सभी नियुक्तियां यूजीसी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतिम आदेश के अनुसार होंगी।
यह नियुक्तियां तब रुकीं जब केंद्र सरकार ने 200 प्वाइंटर आरक्षण रोस्टर की व्यवस्था को पुन: लागू करने के लिए कानून बना दिया। 23 अप्रैल 2019 को विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुन: विज्ञापन जारी किया और इसमें भी आरक्षण रोस्टर के निर्धारण में गड़बड़ी की गई। नतीजा कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जांच होने तक नियुक्तियों पर रोक लगा दी। इसमें भी पूर्व शिक्षक कहीं भी शामिल नहीं थे। प्रो. शास्त्री और प्रो. श्रीवास्तव ने मंत्रालय से मांग की है कि भर्ती में अनियमितता की सीबीआई जांच कराई जाए और आरक्षण रोस्टर का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए।
वर्जन
‘अफवाह के पिटारे से फिर कुछ लोगों ने नया शिगूफा छोड़ा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने हर विज्ञापन में केंद्र सरकार और कार्मिक मंत्रालय के आरक्षण नियमों का पूर्ण पालन किया है। हर विज्ञापन में सभी वर्गों का विधि सम्मत प्रतिनिधित्व है। नियुक्ति को लेकर भ्रम फैलाने वाले कुछ लोगों की मंशा ठीक नहीं है।’ डॉ. चितरंजन कुमार, पीआरओ, इविवि