वाराणसी.बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती
के साक्षात्कार के दौरान अभ्यर्थियों से अंग्रेजी में इंटरव्यू देने का
मामला अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। कांग्रेस ने इस मुद्दा बनाते हुए
कुलपति को बरखास्त करने की मांग की है।
उत्तर प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव अमृता पांडेय ने कहा है कि महामना मालवीय ने काशी हिन्दू विशवविद्यालय की स्थापना हिंदी, हिदुत्व और स्वतंत्रता संग्राम में बिना जाति, धर्म, सेक्स, जन्म स्थान व भाषा के आधार पर भेदभाव से रहित हो कर की थी। इसका संदर्भ भारतीय संविधान की सातवीं एवम आठवीं अनुसूची में वर्णित है। भाषा के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस शिक्षकों की नियुक्ति के सभी साक्षात्कार को अवैध मानती है, क्योंकि ये सभी नियुक्तियां असंवैधानिक है। साथ ही ये महामना और काशी की सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान है। कांग्रेस पार्टी यह भी मांग करती है कि ऐसे असंवेदशील कुलपति को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और इनके द्वारा को गई नियुक्तियों की जांच की जाए क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार की महक आती है।
बताया जा रहा है कि प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर पद के लिए साक्षात्कार में शामिल अभ्यर्थियों को हिंदी में इंटरव्यू देने से रोका गया। और यह रोक खुद कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने लगाई। अभ्यर्थियों का आरोप है कि कुलपति ने यहां तक कहा कि हमें विदेशों से शिक्षक बुलाने का अधिकार है।
अभ्यर्थियों के मुताबिक कुलपति ने कहा कि इंस्टीट्यूट आफ इमिनेन्स के तहत भारत सरकार ने बीएचयू को 10 सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में शामिल किया है। इसके तहत एक हजार करोड़ का अनुदान मिलेगा। हमें यह भी अधिकार है कि हम विदेशों से शिक्षक बुला सकते हैं। इसलिए हमें हिन्दी भाषा में साक्षात्कार की आवश्यकता नहीं है। आरोप है कि कुलपति ने कुलपति ने अंग्रेजी भाषा के रिमेडियल क्लास या प्राइवेट ट्यूशन लेने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि जब हम जर्मनी गये थे तो हमें भी जर्मन भाषा सीखने के लिए ट्यूटर रखना पड़ा। इस पर कई अभ्यर्थियों ने मौके पर ही आपत्ति उठाई।
इस मुद्दे को लेकर शनिवार को छात्रों के एक समूह ने धरना प्रदर्श भी किया था। साथ ही कुलसचिव को ज्ञापन भी सौपा था।
उत्तर प्रदेश महिला कांग्रेस की महासचिव अमृता पांडेय ने कहा है कि महामना मालवीय ने काशी हिन्दू विशवविद्यालय की स्थापना हिंदी, हिदुत्व और स्वतंत्रता संग्राम में बिना जाति, धर्म, सेक्स, जन्म स्थान व भाषा के आधार पर भेदभाव से रहित हो कर की थी। इसका संदर्भ भारतीय संविधान की सातवीं एवम आठवीं अनुसूची में वर्णित है। भाषा के आधार पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस शिक्षकों की नियुक्ति के सभी साक्षात्कार को अवैध मानती है, क्योंकि ये सभी नियुक्तियां असंवैधानिक है। साथ ही ये महामना और काशी की सांस्कृतिक परंपराओं का अपमान है। कांग्रेस पार्टी यह भी मांग करती है कि ऐसे असंवेदशील कुलपति को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाए और इनके द्वारा को गई नियुक्तियों की जांच की जाए क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार की महक आती है।
बताया जा रहा है कि प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग में सहायक प्रोफेसर पद के लिए साक्षात्कार में शामिल अभ्यर्थियों को हिंदी में इंटरव्यू देने से रोका गया। और यह रोक खुद कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने लगाई। अभ्यर्थियों का आरोप है कि कुलपति ने यहां तक कहा कि हमें विदेशों से शिक्षक बुलाने का अधिकार है।
अभ्यर्थियों के मुताबिक कुलपति ने कहा कि इंस्टीट्यूट आफ इमिनेन्स के तहत भारत सरकार ने बीएचयू को 10 सर्वश्रेष्ठ संस्थाओं में शामिल किया है। इसके तहत एक हजार करोड़ का अनुदान मिलेगा। हमें यह भी अधिकार है कि हम विदेशों से शिक्षक बुला सकते हैं। इसलिए हमें हिन्दी भाषा में साक्षात्कार की आवश्यकता नहीं है। आरोप है कि कुलपति ने कुलपति ने अंग्रेजी भाषा के रिमेडियल क्लास या प्राइवेट ट्यूशन लेने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा कि जब हम जर्मनी गये थे तो हमें भी जर्मन भाषा सीखने के लिए ट्यूटर रखना पड़ा। इस पर कई अभ्यर्थियों ने मौके पर ही आपत्ति उठाई।
इस मुद्दे को लेकर शनिवार को छात्रों के एक समूह ने धरना प्रदर्श भी किया था। साथ ही कुलसचिव को ज्ञापन भी सौपा था।