लखनऊ. इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ
बेंच (Lucknow Bench) ने यूपी के शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के 69
हजार पदों पर भर्ती मामले (69000 Assistant Teachers Recruitment) में आंसर
शीट (Answer Sheet) विवाद में अंतरिम राहत के बिन्दु पर अपना आदेश
सुरक्षित कर लिया है. 3 जून को कोर्ट अपना आदेश सुनाएगी.
सोमवार को जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने इस मामले में दाखिल रिषभ मिश्रा व अन्य समेत कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा.
वीडियो कॉंफ्रेसिंग के माध्यम से लगभग 5 घंटे चली सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने विवादित प्रश्नों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष भेजने व चयन प्रक्रिया रोकने के बिन्दु पर आदेश सुरक्षित कर लिया. बता दें याचियों ने 8 मई 2020 को जारी आंसर की में 4 उत्तरों को लेकर आपत्ति जताई है. याचियों का कहना है कि आपत्ति के सम्बंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा कोई एक्शन न करने पर उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
1 या 2 अंक से पीछे रह गए हजारों अभ्यर्थियों को नहीं मिली अंतरिम राहत
उधर प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों को कोई अंतरिम राहत नहीं दी है. हाईकोर्ट ने कहा है कि नियुक्तियां याचिका के अंतिम निर्णय की विषय वस्तु होगी. कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है. अब मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी. कोर्ट ने रोहित, अंशू सिंह सहित दर्जनों याचिकाओं पर ये आदेश दिया है. याचिकाओं में चयन परिणाम रद्द करने मांग की गई है. जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ में सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट ने विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट देखने और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद ये आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का जवाब आना जरूरी है. याचियों को प्रत्युत्तर दाखिल करने का कोर्ट ने 2 सप्ताह का समय दिया है.
बता दें उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती का परिणाम घोषित होने के बाद प्रश्नों के उत्तर विकल्प गलत होने को लेकर 1 या 2 अंक से पीछे रह गए हजारों अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है. अमरेंद्र कुमार सिंह व 706 अन्य, मनोज कुमार यादव व 36 अन्य, अंशुल सिंह व 29 अन्य और सुनीता व 35 अन्य की याचिकाएं हैं.
मांग- गलत उत्तर वाले प्रश्न हटाएं, घोषित परिणाम रद्द हो
याचियों का कहना है कि कई सवालों के उत्तर विकल्प गलत होने के कारण, सही जवाब देने के बावजूद उन्हें मेरिट में स्थान नहींं दिया गया है. गलत उत्तर देने वालों को चयनित कर दिया गया है. याचिकाओं में मांग की गई है कि गलत उत्तर वाले प्रश्न हटाकर नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाई जाए और घोषित परिणाम रद्द किया जाए. याचिकाओं में अन्य कानूनी मुद्दे भी उठाये गए हैं.
सोमवार को जस्टिस आलोक माथुर की बेंच ने इस मामले में दाखिल रिषभ मिश्रा व अन्य समेत कई याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने पक्ष रखा.
वीडियो कॉंफ्रेसिंग के माध्यम से लगभग 5 घंटे चली सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने विवादित प्रश्नों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष भेजने व चयन प्रक्रिया रोकने के बिन्दु पर आदेश सुरक्षित कर लिया. बता दें याचियों ने 8 मई 2020 को जारी आंसर की में 4 उत्तरों को लेकर आपत्ति जताई है. याचियों का कहना है कि आपत्ति के सम्बंध में सक्षम अधिकारियों द्वारा कोई एक्शन न करने पर उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
1 या 2 अंक से पीछे रह गए हजारों अभ्यर्थियों को नहीं मिली अंतरिम राहत
उधर प्रयागराज में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 सहायक शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थियों को कोई अंतरिम राहत नहीं दी है. हाईकोर्ट ने कहा है कि नियुक्तियां याचिका के अंतिम निर्णय की विषय वस्तु होगी. कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकार से 3 हफ्ते में जवाब मांगा है. अब मामले की अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी. कोर्ट ने रोहित, अंशू सिंह सहित दर्जनों याचिकाओं पर ये आदेश दिया है. याचिकाओं में चयन परिणाम रद्द करने मांग की गई है. जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ में सुनवाई हुई.
हाईकोर्ट ने विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट देखने और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद ये आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का जवाब आना जरूरी है. याचियों को प्रत्युत्तर दाखिल करने का कोर्ट ने 2 सप्ताह का समय दिया है.
बता दें उत्तर प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती का परिणाम घोषित होने के बाद प्रश्नों के उत्तर विकल्प गलत होने को लेकर 1 या 2 अंक से पीछे रह गए हजारों अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट की शरण ली है. अमरेंद्र कुमार सिंह व 706 अन्य, मनोज कुमार यादव व 36 अन्य, अंशुल सिंह व 29 अन्य और सुनीता व 35 अन्य की याचिकाएं हैं.
मांग- गलत उत्तर वाले प्रश्न हटाएं, घोषित परिणाम रद्द हो
याचियों का कहना है कि कई सवालों के उत्तर विकल्प गलत होने के कारण, सही जवाब देने के बावजूद उन्हें मेरिट में स्थान नहींं दिया गया है. गलत उत्तर देने वालों को चयनित कर दिया गया है. याचिकाओं में मांग की गई है कि गलत उत्तर वाले प्रश्न हटाकर नए सिरे से मेरिट लिस्ट बनाई जाए और घोषित परिणाम रद्द किया जाए. याचिकाओं में अन्य कानूनी मुद्दे भी उठाये गए हैं.