परिषदीय विद्यालयों के लिए 69 हजार शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थियों की ओर से लगाए जा रहें सारे पूर्वानुमान गलत साबित हुए। मेरिट को इस बाजीगरी के शिकार हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि 68,500 शिक्षक भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की ओर से कोर्ट में जिला आवंटन को लेकर एक याचिका दायर की गई थी।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि 68500 भर्ती में आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी अनारक्षित कोटे में नियुक्ति पा गए थे, उनको प्रथम वरीयता के जिले न मिलकर नीचे की बरीयता बाले जिले मिले थे। वहीं उनसे कम नंबर पाकर
आरक्षित कोटे में नियुक्त शिक्षकों को कोटे में टॉपर होने की वजह से प्रथम बरीयता का जिला मिल गया था।उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में हुई 68500 भर्ती में आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी अनारक्षित कोटे में नियुक्ति पा गए थे, उनकोप्रथम बरीयता के जिले न मिलकर नीचे की बरीयता बाले जिले मिले थे, जबकि उनसे कम नंबर पाकर आरक्षित कोटे में नियुक्त शिक्षकों को कोटे में टॉपर होने की बजह से प्रथम बरीयता का जिला मिल\ गया था। अनारक्षित कोटे में नियुक्त आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने इस विषमता को आधार बनाकर कोर्ट का सहारा लिया था। जिस पर हाई कोर्ट का आदेश आरक्षित वर्ग के मेरिट बाले अभ्यर्थियों के पक्ष में आया था। जिसमें कहा गया कि मेरिट बाले आरक्षित कोटे के अभ्यर्थियों को उनकी वरीयता का जिला ही मिले।
अगर वो अनारक्षित में न मिले, तो उन्हें आरक्षित कोटे में मानते हुए प्रथम वरीयता का जिला दिया जाए। इस बार 69 हजार शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन किया, इसीलिए शिक्षक भर्ती की मेरिट सबके पूर्वानुमानों को गलत साबित करते हुए नीचे आ गई।
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि 68500 भर्ती में आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी अनारक्षित कोटे में नियुक्ति पा गए थे, उनको प्रथम वरीयता के जिले न मिलकर नीचे की बरीयता बाले जिले मिले थे। वहीं उनसे कम नंबर पाकर
अगर वो अनारक्षित में न मिले, तो उन्हें आरक्षित कोटे में मानते हुए प्रथम वरीयता का जिला दिया जाए। इस बार 69 हजार शिक्षक भर्ती में बेसिक शिक्षा विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन किया, इसीलिए शिक्षक भर्ती की मेरिट सबके पूर्वानुमानों को गलत साबित करते हुए नीचे आ गई।