Uttar Pradesh 69000 Teacher Recruitment: उत्तर
प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में की गई स्पेशल अपील पर सरकार को
अंतरिम राहत मिल गई है। हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि सुप्रीम कोर्ट के
21 मई व 9 जून के आदेश के क्रम में ही उत्तर प्रदेश के इस मामले में भर्ती
प्रक्रिया की जाए।
बता दें कि इस संबंध में 3 विशेष अपील दायर की गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल एवं जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की डिविजन बेंच फैसला सुनाते हुए सरकार को राहत दी है। ये अपीलें सिंगल बेंच के 3 जून के अंतरिम स्टे के खिलाफ दायर की गई थीं। लेकिन हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने मामले में 8 जून को सुनवाई पूरी करते हुए अपीलों को स्वीकार कर दिया था और सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने की मांग पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। ये अपील परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण ने दाखिल की थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विशेष याचिका दाखिल कर प्रदेश में 69000 बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रोके जाने के फैसले को चुनौती दी थी। इसी पर फैसला सुनाते ही अदालत ने सरकार को राहत दी।
हाई
कोर्ट बेंच ने राज्य सरकार की 3 स्पेशल अपील पर आदेश सुनाते हुए एकल पीठ
के 3 जून के आदेश को स्टे कर दिया। इससे साफ हो गया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट
के 9 जून के आदेश के मुताबिक करीब 37 हजार पदों पर लगी रोक के अलावा शेष
बचे पदों पर भर्ती प्रकिया आगे बढ़ा सकती है।
सिंगल बेंच ने दिया था ये आदेश
3 जून को उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग की 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर हाई कोर्ट की लखनऊ की सिंगल बेंच ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपने निर्देश में अभ्यर्थियों को विवादित सवालों पर आपत्ति दर्ज करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। साथ ही सरकार को निर्देश दिए कि वो इन आपत्तियों को यूजीसी को भेजे और यूजीसी ही आपत्तियों का निस्तारण करेगा। इसके अलावा कोर्ट ने 8 मई के बाद से सरकार द्वारा की गई सभी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इसके चलते काउंसिलिंग तक रूक गई थी।
इधर अन्य मामलों को लेकर भी 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 को लेकर अदालत में याचिकाएं लगाई गई है। इनमें NCTE और राज्य सरकार द्वारा TET पात्रता के लिए 5% की छूट, ARTE परीक्षा में पुनः 5% की छूट तथा उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) एवं शासनादेश 25-मार्च 1994 द्वारा आरक्षित वर्ग को आयु की छूट देने के फैसले को भी चुनौती दी गई है।
बता दें कि इस संबंध में 3 विशेष अपील दायर की गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल एवं जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की डिविजन बेंच फैसला सुनाते हुए सरकार को राहत दी है। ये अपीलें सिंगल बेंच के 3 जून के अंतरिम स्टे के खिलाफ दायर की गई थीं। लेकिन हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने मामले में 8 जून को सुनवाई पूरी करते हुए अपीलों को स्वीकार कर दिया था और सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगाने की मांग पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। ये अपील परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण ने दाखिल की थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने एक विशेष याचिका दाखिल कर प्रदेश में 69000 बेसिक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया रोके जाने के फैसले को चुनौती दी थी। इसी पर फैसला सुनाते ही अदालत ने सरकार को राहत दी।
गौरतलब है कि
घोषित परीक्षा परिणाम को चुनौती देने वाली दर्जनों याचिकाएं जब सुनवाई के
लिए अदालत पहुंची तो सिंगल बेंच ने विभाग द्वारा जारी आंसर की में कई उत्तर
गलत या भ्रमित करने वाले पाए। इस पर अदालत ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए
चयन प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।
3 जून को उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग की 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पर हाई कोर्ट की लखनऊ की सिंगल बेंच ने रोक लगा दी थी। कोर्ट ने अपने निर्देश में अभ्यर्थियों को विवादित सवालों पर आपत्ति दर्ज करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था। साथ ही सरकार को निर्देश दिए कि वो इन आपत्तियों को यूजीसी को भेजे और यूजीसी ही आपत्तियों का निस्तारण करेगा। इसके अलावा कोर्ट ने 8 मई के बाद से सरकार द्वारा की गई सभी प्रक्रिया पर रोक लगा दी। इसके चलते काउंसिलिंग तक रूक गई थी।
ये मामला भी अदालत में
इधर अन्य मामलों को लेकर भी 69000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा 2019 को लेकर अदालत में याचिकाएं लगाई गई है। इनमें NCTE और राज्य सरकार द्वारा TET पात्रता के लिए 5% की छूट, ARTE परीक्षा में पुनः 5% की छूट तथा उत्तर प्रदेश आरक्षण नियमावली 1994 की धारा 3(6) एवं शासनादेश 25-मार्च 1994 द्वारा आरक्षित वर्ग को आयु की छूट देने के फैसले को भी चुनौती दी गई है।