बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डा. सतीश चन्द्र द्विवेदी ने 69 हजार शिक्षक भर्ती की मजबूत पैरवी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि 14 जुलाई को इसकी सुनवाई होनी है। इसकी प्रभावी पैरवी की जाए ताकि सकारात्मक निर्णय आ सके। बेसिक शिक्षा विभाग पर 16 हजार मुकदमे हैं। उन्होंने एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए जो मुकदमों को कम करने के लिए सुझाव दे।
वहीं उन्होंने लीगल सेल में विधि विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए भी विभाग से प्रस्ताव मांगा। डा. द्विवेदी बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग के खिलाफ न्यायालय में लंबित मुकदमों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कमेटी के गठन के निर्देश देते हुए कहा कि ये कमेटी सभी मुकदमों के प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए भी सुझाव देगी। उन्होंने कहा कि विभागीय मामलों में उच्च न्यायालय प्रयागराज व लखनऊ खण्डपीठ में एक तरह की प्रकृति वाले वाद दायर होने और उनमें अलग-अलग निर्णय आने पर भ्रम की स्थिति पैदा होती है।उन्होंने निर्देश दिए कि महाधिवक्ता से चर्चा की जाए और देखा जाए कि क्या ऐसा संभव है कि नीतिगत मामलों में एक ही बेंच से सुनवाई हो सके। विभागीय मुकदमों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि 14 हजार मुकदमे उच्च न्यायालय में है। इनमें से लगभग 2000 मुकदमों में प्रतिशपथ पत्र दाखिल किया जा सकता है। इसे अभियान चलाकर एक महीने के अंदर दाखिल कराया जाए। उन्होंने नाराजगी जताई कि लगभग 50 से ज्यादा मुकदमों में प्रतिशपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया है।
वहीं उन्होंने लीगल सेल में विधि विशेषज्ञों की सेवाएं लेने के लिए भी विभाग से प्रस्ताव मांगा। डा. द्विवेदी बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग के खिलाफ न्यायालय में लंबित मुकदमों की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कमेटी के गठन के निर्देश देते हुए कहा कि ये कमेटी सभी मुकदमों के प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए भी सुझाव देगी। उन्होंने कहा कि विभागीय मामलों में उच्च न्यायालय प्रयागराज व लखनऊ खण्डपीठ में एक तरह की प्रकृति वाले वाद दायर होने और उनमें अलग-अलग निर्णय आने पर भ्रम की स्थिति पैदा होती है।उन्होंने निर्देश दिए कि महाधिवक्ता से चर्चा की जाए और देखा जाए कि क्या ऐसा संभव है कि नीतिगत मामलों में एक ही बेंच से सुनवाई हो सके। विभागीय मुकदमों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि 14 हजार मुकदमे उच्च न्यायालय में है। इनमें से लगभग 2000 मुकदमों में प्रतिशपथ पत्र दाखिल किया जा सकता है। इसे अभियान चलाकर एक महीने के अंदर दाखिल कराया जाए। उन्होंने नाराजगी जताई कि लगभग 50 से ज्यादा मुकदमों में प्रतिशपथ पत्र दाखिल नहीं किया गया है।