सूबे में खुल गए परिषदीय स्कूल : विद्यार्थी नहीं आएंगे पढ़ने, शिक्षकों के जिम्मे होंगे यह काम
बुधवार यानी एक जुलाई से बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूल खुल गए हैं। सभी शिक्षकों को एक जुलाई से स्कूल में रहने के आदेश हैं। इस दौरान उन्हें मुख्यत लॉकडाउन अवधि व गर्मी की छुट्टियों के 76 दिनों का मिड डे मील राशन व कन्वर्जन कॉस्ट को अभिभावकों तक पहुंचाने की तैयारी करनी होगी। बेसिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने कहा है कि शिक्षकों समेत शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को भी स्कूल आना है। इसके साथ ही शिक्षकों ने इसका विरोध जताना शुरू कर दिया है।
शिक्षकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर इस आदेश को अविवेकपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा है कि शिक्षक स्कूल तक पहुंचने में काफी लम्बी दूरी तय करते हैं। ऐसे में सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करके जाना संक्रमण की दृष्टि से उचित नहीं है।विशिष्ट बीटीसी वेलफेयर एसोसिएशन की उपाध्यक्ष शालिनी मिश्र ने कहा है कि शिक्षकों ने लॉकडाउन में अपने सभी काम पूरी निष्ठा से निभाए लेकिन स्कूल जाने का औचित्य नहीं समझ आ रहा जबकि स्कूलों में बच्चे नहीं होंगे।
दूरदराज के गांवों में सार्वजनिक वाहनों में सवारियां भर कर चलाई जाती हैं ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग नहीं रह जाती। कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह निर्णय ठीक नहीं है।लिहाजा इस पर पुनर्विचार किया जाए। शिक्षकों द्वारा इस अवधि में किए जाने वाले कामों की सूची भी जारी की गई है। इसमें ऑपरेशन कायाकल्प, मानव संपदा पोर्टल, दीक्षा पोर्टल, ऑनलाइन प्रशिक्षण आदि विषय शामिल हैं।