शिक्षा को शिक्षाविदें के हवाले ही रहने दें : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक अहम मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षा को शिक्षाविदें के हवाले ही रहने जाना चाहिए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2018 के फैसले को रद कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा था कि शिक्षा शास्त्र के सहायक प्रोफेसर के पद पर एमएड डिग्रीधारी अभ्यर्थी को नहीं नियुक्त किया जा सकता।



दरअसल, उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग ने मार्च, 2014 में शिक्षा शास्त्र के सहायक प्रोफेसर के पद के लिए विज्ञापन दिया था। इस पर यह विवाद पैदा हो गया है कि क्या इस पद के लिए शैक्षिक योग्यता के रूप में एमएमड की डिग्री को शिक्षा शास्त्र में एमए की डिग्री के बराबर माना जा सकता है। यूपीएचईएसएससी ने इसका निर्धारण करने के लिए चार जाने-माने शिक्षा शास्नियों की एक समिति गठित की। समिति ने कहा कि कला संकाय में सहायक प्रोफेसर के पद के लिए शिक्षा शास्त्र में एमए की डिग्री के साथ ही साथ एमएड की डिग्री को भी स्वीकार किया जाना चाहिए। इसके आधार पर यूपीएचईएसएससी ने 11 जुलाई, 2016 को भूल-सुधार प्रकाशित करते हुए उक्त पद के लिए दोनों ही डिग्रियों को मान्य करार दिया। परंतु, हाई कोर्ट ने उक्त पद के लिए एमएड डिग्रीधारी अभ्यर्थी को अयोग्य करार देते हुए 11 जुलाई, 2016 को प्रकाशित भूल-सुधार को खारिज कर दिया था।