नई दिल्ली : कोरोना संकटकाल में घर बैठे स्कूली बच्चों को आनलाइन पढ़ाने की मुहिम को भले ही एक विकल्प के रूप में आजमाया गया था, लेकिन इससे आगे भी उनका नाता नहीं छूटने वाला है। फिलहाल छठवीं से बारहवीं तक के स्कूली बच्चों को कोर्स का करीब 40 फीसद हिस्सा आनलाइन ही पढ़ाया जाएगा। स्कूलों के लिए तैयार किए जा रहे नए पाठ्यक्रम को एनसीईआरटी अब कुछ इसी तरह से डिजाइन करने में भी जुटा हुआ है।
स्कूलों में आनलाइन पढ़ाई को लेकर यह जोर इसलिए भी दिया जा रहा है, क्योंकि इससे स्कूली बच्चों को दूसरी गतिविधियों से जोड़ने के लिए समय निकलेगा। जो मौजूदा समय में कोर्स के भारी बोझ के चलते संभव नहीं था। यही वजह है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद स्कूलों के लिए जो नया पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क किया जा रहा है, उनमें इस बात जोर दिया जा रहा है, स्कूलों में बच्चों को ज्यादा से ज्यादा ऐसी गतिविधियों से जोड़ा जाए, जिससे उनके विकास में मदद मिल सके। स्कूलों के लिए नए पाठ्यक्रम को फ्रेमवर्क तैयार करने में जुटे एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की मानें तो चालीस फीसद कोर्स की पढ़ाई आनलाइन कराने से स्कूलों में बच्चों के पास दूसरी गतिविधियों के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। जिसमें उन्हें कला, खेल, वोकेशनल, भाषा और 21 वीं सदी की जरूरत के मुताबिक स्किल आदि से जोड़ा जा सकेगा।
स्कूलों के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार करने में जुटी एनसीईआरटी फिलहाल छठवीं से लेकर बारहवीं तक के कोर्स से कौन सी सामग्री को आनलाइन पढ़ाया जा सकता है, इन दिनों इसे चिह्नित करने में जुटी हुई है। ताकि उसके मुताबिक उसे और रोचक ढंग से अभी से ही तैयार किया जा सके। फिलहाल स्कूलों के लिए यह नया पाठ्यक्रम 2022 तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बीच राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूली पाठ्यक्रम के लिए नेशनल कैरीकुलम फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। जिसे फिलहाल इस साल के अंत तक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। बाद में इसी के आधार पर स्कूली पाठ्य पुस्तकें तैयार की जाएंगी।
आनलाइन सामग्री को रुचिकर बनाने पर जोर
स्कूलों में इस बीच आनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा देने की जो योजना है, उसके तहत पहली कोशिश पाठ्य सामग्री को रोचक बनाने की है। यही वजह है कि विशेषज्ञों की इस पर प्रमुखता से काम करने के लिए कहा है। यह इसलिए भी है क्योंकि पिछले छह महीनों में आनलाइन पढ़ाई को जो फीडबैक सामने आया है, उनमें पाठ्य सामग्री को लेकर ही छात्रों की शिकायत थी। जो उन्हें या तो समय में नहीं आती थी, या फिर उबाऊ लगती थी।