गोरखपुर: जनपद के परिषदीय विद्यालयों में फर्जी डिग्री पर नौकरी करने वाले शिक्षकों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। इसकी वजह जिले के परिषदीय विद्यालयों में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की डिग्री के आधार पर चयनित 100 शिक्षक हैं। बीएसए कार्यालय ने इनके प्रमाण पत्रों के सत्यापन के लिए लगभग चार माह पूर्व विवि को सूची भेजी थी। गोरखपुर के अलावा प्रदेश के अन्य जनपदों में भी विवि की डिग्री पर नौकरी हासिल करने वाले शिक्षकों की जांच एसआइटी कर रही है।
हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा 71 जनपदों के शिक्षकों के सत्यापन की रिपोर्ट एसआइटी को सौंपे गई है। इसके बाद जनपद में भी फर्जी डिग्री वाले शिक्षकों की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है। एसआइटी पिछले तीन वर्षों से विवि के प्रमाण पत्रों के आधार पर नौकरी कर रहे शिक्षकों के मामले की जांच कर रही है। जनपद में संपूर्णानंद संस्कृत विवि की डिग्री पर नौकरी कर रहे लगभग 125 पुराने शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन बेसिक शिक्षा विभाग पहले ही करा चुका है। शेष लगभग 100 शिक्षकों की सूची विवि को सितंबर में विभाग ने सत्यापन के लिए भेजी है, जिसकी रिपोर्ट अभी नहीं आई है। एसआइटी ने विभाग से पुराने शिक्षकों की भी सूची तलब की है। जिन शिक्षकों के अंकपत्रों का सत्यापन अभी पूरा नहीं हो पाया है, उनकी रिपोर्ट लेने के बाद दोनों का अपने स्तर से जांच कर फर्जी डिग्री वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करेगी।
’>>अंकपत्रों के सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई
’>>71 जनपदों के शिक्षकों के सत्यापन की रिपोर्ट एसआइटी को सौंपे गई
अब तक बर्खास्त हो चुके हैं 76 शिक्षक
जनपद में फर्जी अंक पत्रों पर नौकरी करने के मामले में अब तक 76 शिक्षक बर्खास्त हो चुके हैं। इनमें चार संपूर्णानंद संस्कृत विवि की फर्जी डिग्री वाले शिक्षक भी शामिल हैं। निलंबित दो दर्जन शिक्षकों के विरुद्ध अभी भी जांच चल रही है।
इन प्रमाण पत्रों की हो रही जांच
एसआइटी संस्कृत विवि के जिन प्रमाण पत्रों की जांच कर रही है, उनमें पूर्व मध्यमा(हाईस्कूल), उत्तर मध्यमा (इंटर), शास्त्री (स्नातक) तथा बीएड के प्रमाण पत्र शामिल हैं।
एसआइटी जांच कर रही है। उसके द्वारा समय-समय पर जो भी जानकारी मांगी जाती है, उपलब्ध कराई जाती है। विभाग जांच में पूर्ण सहयोग कर रहा है।
बीएन सिंह, बीएसए