2169 अनुदेशकों को समायोजित करने पर सालाना 78.60 करोड़ रुपये का खर्च

व्यावसायिक अनुदेशकों को आसान नहीं शिक्षक बनाना
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को लिखा पत्र
लखनऊ (ब्यूरो)। व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए रखे गए अनुदेशकों को शिक्षक बनाने की राह आसान नहीं। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शासन को पत्र लिखकर इस मामले में स्थिति साफ की है। इसमें कहा गया है कि व्यावसायिक अनुदेशकों के चयन के लिए शैक्षिक योग्यता निर्धारित किए बगैर ही सूबे में 2169 को रख लिया गया। समायोजन शासनादेश हुआ जारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News


ऐसे में इंटर कॉलेजों में पदों की व्यवस्था करने करने के साथ ही योग्यता निर्धारित करनी होगी। यही नहीं इनके समायोजन के लिए नियमावली में संशोधन करना होगा।
प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने निदेशालय से व्यावसायिक अनुदेशकों को नियमित करने के संबंध में पूरी जानकारी मांगी थी।
निदेशालय ने पत्र में बताया है कि शिक्षा नीति 1986 के प्लान ऑफ एक्शन के तहत माध्यमिक स्तर पर रोजगारपरक शिक्षा देने के लिए केंद्र की सहायता से 28 दिसंबर 1989 से व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए अतिथि विशेष विशेषज्ञों (अनुदेशकों) को रखा गया।
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इनको रखते समय योग्यता का निर्धारण नहीं किया गया। यही नहीं बजट में इनके लिए स्पष्ट प्रावधान भी नहीं किया गया, जबकि हिमाचल प्रदेश में 65 और हरियाणा में 1200 अनुदेशकों को रखते समय पूरी चयन प्रक्रिया अपनाई गई।
78.60 करोड़ आएगा सालाना खर्च
2169 शिक्षा मित्रों को उम्मीद आने लगी नजर
मौजूदा समय व्यावसासिक अनुदेशकों के समायोजन के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इनके समायोजन से पहले नियमावली में व्यवस्था करनी होगी। इसके बाद ही इन्हें शिक्षक पद पर समायोजित किया जा सकेगा।
2169 अनुदेशकों को समायोजित करने पर सालाना 78.60 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।


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