शिक्षक भर्ती के दबाव में चयन बोर्ड के अध्यक्ष का इस्तीफा
लखनऊ। डॉ. परशुराम पाल शिक्षकों की भर्ती का दबाव झेल नहीं पाए और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसे मंजूर भी कर लिया गया है। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने इसकी पुष्टि की है। अध्यक्ष पद पर फिलहाल किसी की तैनाती नहीं की गई है। चयन बोर्ड के सचिव को अध्यक्ष का कार्यभार दे दिया गया है।
सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें अध्यक्ष के अलावा 10 सदस्य होते हैं। अखिलेश यादव सरकार ने 20 अगस्त 2014 को डॉ. परशुराम पाल को अध्यक्ष नियुक्त किया था। इनके कार्यकाल में 6028 प्रशिक्षित शिक्षक व 1147 प्रवक्ता पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराई गई। इसका रिजल्ट आने से पहले डॉ. पाल का इस्तीफा देना सभी को खटक रहा है। सूत्रों का कहना है कि डॉ. पाल पर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी कराने का दबाव था। चयन बोर्ड की बैठक में भी इसको लेकर कुछ सदस्यों से उनका विवाद हो चुका था। बताया जाता है कि वे शिक्षक भर्ती में किसी तरह का दबाव नहीं चाहते थे, इसके चलते उन्होंने इस्तीफा दिया है।
डॉ. परशुराम पाल का त्यागपत्र मंजूर, बोर्ड सचिव को कार्यभार
पाल बोले, मुझ पर नहीं था कोई दबाव
डॉ. परशुराम पाल ने कहा कि आठ माह के कार्यकाल में उन्होंने बेहतर करने का प्रयास किया। शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा पारदर्शी तरीके से कराई गई। कहीं किसी गड़बड़ी की शिकायत नहीं मिली। उन्होंने कहा, मैं मूल रूप से प्रोफेसर हूं और कुछ किताबें लिख रहा हूं। अध्यक्ष रहते यह संभव नहीं था, इसके चलते गुरुवार को प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को इस्तीफा भेजते हुए इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया था। रही बात शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर किसी तरह के दबाव की, तो ऐसा कुछ भी नहीं था।
चयन बोर्ड के कुछ सदस्यों से हो चुका था विवाद
96 हजार शिक्षकों की और होनी है भर्ती
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को अभी 96 हजार से अधिक और शिक्षकों की भर्तियां करनी हैं। इनमें 72,120 प्रशिक्षित शिक्षक, 22,303 प्रवक्ता व 2,440 प्रधानाचार्य के पद शामिल हैं। अखिलेश सरकार शिक्षकों की अधिक से अधिक भर्तियां करना चाहती है, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके। सूत्रों का कहना है कि डॉ. परशुराम पाल तुरंत भर्तियां शुरू करने के पक्ष में नहीं थे। वे चाहते थे कि पूर्व में चली आ रही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पहले पूरी हो जाए, इसके बाद नई भर्तियां शुरू की जाएं।
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लखनऊ। डॉ. परशुराम पाल शिक्षकों की भर्ती का दबाव झेल नहीं पाए और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसे मंजूर भी कर लिया गया है। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने इसकी पुष्टि की है। अध्यक्ष पद पर फिलहाल किसी की तैनाती नहीं की गई है। चयन बोर्ड के सचिव को अध्यक्ष का कार्यभार दे दिया गया है।
सहायता प्राप्त इंटर कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें अध्यक्ष के अलावा 10 सदस्य होते हैं। अखिलेश यादव सरकार ने 20 अगस्त 2014 को डॉ. परशुराम पाल को अध्यक्ष नियुक्त किया था। इनके कार्यकाल में 6028 प्रशिक्षित शिक्षक व 1147 प्रवक्ता पदों पर भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराई गई। इसका रिजल्ट आने से पहले डॉ. पाल का इस्तीफा देना सभी को खटक रहा है। सूत्रों का कहना है कि डॉ. पाल पर शिक्षक भर्ती प्रक्रिया जल्द पूरी कराने का दबाव था। चयन बोर्ड की बैठक में भी इसको लेकर कुछ सदस्यों से उनका विवाद हो चुका था। बताया जाता है कि वे शिक्षक भर्ती में किसी तरह का दबाव नहीं चाहते थे, इसके चलते उन्होंने इस्तीफा दिया है।
डॉ. परशुराम पाल का त्यागपत्र मंजूर, बोर्ड सचिव को कार्यभार
पाल बोले, मुझ पर नहीं था कोई दबाव
डॉ. परशुराम पाल ने कहा कि आठ माह के कार्यकाल में उन्होंने बेहतर करने का प्रयास किया। शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा पारदर्शी तरीके से कराई गई। कहीं किसी गड़बड़ी की शिकायत नहीं मिली। उन्होंने कहा, मैं मूल रूप से प्रोफेसर हूं और कुछ किताबें लिख रहा हूं। अध्यक्ष रहते यह संभव नहीं था, इसके चलते गुरुवार को प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा को इस्तीफा भेजते हुए इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया था। रही बात शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर किसी तरह के दबाव की, तो ऐसा कुछ भी नहीं था।
चयन बोर्ड के कुछ सदस्यों से हो चुका था विवाद
96 हजार शिक्षकों की और होनी है भर्ती
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को अभी 96 हजार से अधिक और शिक्षकों की भर्तियां करनी हैं। इनमें 72,120 प्रशिक्षित शिक्षक, 22,303 प्रवक्ता व 2,440 प्रधानाचार्य के पद शामिल हैं। अखिलेश सरकार शिक्षकों की अधिक से अधिक भर्तियां करना चाहती है, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके। सूत्रों का कहना है कि डॉ. परशुराम पाल तुरंत भर्तियां शुरू करने के पक्ष में नहीं थे। वे चाहते थे कि पूर्व में चली आ रही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पहले पूरी हो जाए, इसके बाद नई भर्तियां शुरू की जाएं।
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