टीजीटी 2009 चयन बोर्ड के भर्ती अभियान को लगा झटका : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

विधि संवाददाता, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की वर्ष 2009 में हुई सामाजिक विज्ञान विषय परीक्षा का पिंड विवादों से नहीं अब भी नहीं छूट पाया है। अध्यापकों एवं चयन बोर्ड की विशेष अपील की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस परीक्षा के गलत सवालों की जांच विशेषज्ञ कमेटी से कराकर रिपोर्ट मांगी है। कमेटी को अपनी रिपोर्ट 19 मई को दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन तथा न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की खण्डपीठ ने उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड सहित 53 अध्यापकों की अपीलों पर दिया है।
याचिका के अनुसार वर्ष 2009 में सहायक अध्यापकों का चयन हुआ तथा वर्ष 2010 में चयनित अध्यापकों ने अध्यापन कार्य भी शुरू कर दिया। लिखित परीक्षा के सात सवाल गलत होने को लेकर याचिका दाखिल की गई थी, जिसकी सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने गलत सवालों को हटाकर परिणाम घोषित करने का आदेश दिया। बोर्ड ने फिर से परिणाम घोषित किया तो कई याची चयनित हो गए और पहले चयनित अध्यापक पद पर कार्यरत असफल घोषित हो गए। इस आदेश को विशेष अपील में चुनौती देते हुए कहा गया है कि गलत सवालों की विशेषज्ञों से जांच कराए बगैर हाईकोर्ट ने गलत मान लिया। इस पर खण्डपीठ ने प्रश्नों के उत्तरों की विशेषज्ञ जांच का आदेश देते हुए रिपोर्ट मांगी है।

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा फरवरी में रद टीजीटी इतिहास विषय की पुनर्परीक्षा 21 जून को होगी। आयोग ने इस बाबत अनौपचारिक निर्णय पहले ही किया था। एक दिन पहले कार्यवाहक अध्यक्ष ने भी इस पर मुहर लगा दी।

गौरतलब है कि चयन बोर्ड ने 22 फरवरी को पीजीटी इतिहास के पेपर में गड़बड़ी उजागर होने के बाद परीक्षा रद कर दिया था। अभ्यर्थियों की शिकायत की थी इतिहास के पेपर में दूसरे विषय के सवाल अधिक संख्या में सवाल पूछे गए थे। शिकायत को सही पाया गया था। तत्कालीन अध्यक्ष ने इस परीक्षा के लिए 17 मई की तारीख तय की थी लेकिन उनके इस्तीफे के बाद यह तारीख रद कर दी गई थी। गुरुवार को कार्यवाहक अध्यक्ष अनीता यादव की अध्यक्षता में इसकी नई तारीख तय की गई।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड कार्यालय पर प्रदर्शन करते अभ्यर्थी ।

राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : भर्तियों की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहे उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को शुक्रवार को उस समय करारा झटका लगा जबकि अधियाचन के लिए बुलाई गई बैठक में शिक्षा विभाग के अफसरों ने शामिल होने की जरूरत ही नहीं महसूस की। 18 संयुक्त निदेशकों (जेडी) में मात्र एक ही बैठक में शामिल हुआ। अब बोर्ड ने फिर 21 मई को बैठक बुलाई है। बोर्ड ने 2014-15 का अधियाचन जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआइओएस) द्वारा नहीं भेजे जाने को लेकर सभी संयुक्त निदेशकों की बैठक बुलाई थी। इसके लिए एक सप्ताह पूर्व सभी अधिकारियों को सूचित कर दिया गया था, लेकिन 15 मई की बैठक में महज एक मंडल के संयुक्त निदेशक बोर्ड की बैठक में पहुंचे। 17 मंडलों के जेडी ने महज नुमाइंदों को भेजकर खानापूर्ति कर दी। महत्वपूर्ण यह है कि बोर्ड की बैठक में शामिल होने पहुंचे ज्यादातर प्रतिनिधि बोर्ड द्वारा मांगी गई जानकारी भी लेकर नहीं आए।

ध्यान रहे, बोर्ड प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) और परास्नातक शिक्षक (पीजीटी) की 2014-15 की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए पिछले छह महीने से जूझ रहा है, लेकिन डीआइओएस रिक्तियों की सूचना नहीं भिजवा रहे हैं। बोर्ड इसकी शिकायत शासन से भी कर चुका है, फिर भी माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी बोर्ड की पहल को तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
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