यूपी में सरकारी शिक्षकों की भर्ती के विवाद खत्म होंगे। प्रदेश सरकार अब राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों और शिक्षक भर्ती के मानकों को लागू करने जा रही है। इसके लिए शासन में गुरुवार को पहली उच्च स्तरीय बैठक हुई।
2010 में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) लागू होने के बाद से एनसीटीई ने शिक्षण प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की अर्हता और शिक्षक भर्ती के नियमों में भी व्यापक बदलाव किए हैं। जुलाई 2011 में आरटीई लागू कर दिया गया लेकिन अध्यापक सेवा नियमावली में जरूरी बदलाव नहीं किए गए। इसका नतीजा ये है कि बसपा सरकार में शुरू हुई 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती से लेकर अब तक की सभी भर्तियां विवाद में हैं।
कोर्ट में मुकदमों की लंबी होती लिस्ट और बेरोजगार युवाओं के आक्रोश को कम करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग एनसीटीई के मानक लागू करने पर विचार कर रहा है ताकि भविष्य में शिक्षकों की भर्तियां बिना किसी विवाद के पूरी हो सकें।
लखनऊ में गुरुवार को हुई बैठक में बेसिक शिक्षा निदेशक डीबी शर्मा, निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह समेत अन्य अफसर मौजूद थे। तय हुआ कि एनसीटीई के वे ही मानक लागू होंगे जो यूपी के परिप्रेक्ष्य में अनिवार्य हैं।
लागू होते मानक तो न होती फजीहत
एनसीटीई की ओर से समय-समय पर जारी गाइडलाइन यदि जुलाई 2011 में आरटीई के साथ यूपी में लागू कर दी जाती तो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सरकार की फजीहत नहीं होती। सपा सरकार ने एनसीटीई गाइडलाइन के खिलाफ 72,825 शिक्षक भर्ती में एकेडमिक रिकार्ड लागू किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आधार पर टीईटी मेरिट पर भर्ती की जा रही है। इसी प्रकार 29,334 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में प्रोफेशनल डिग्री वालों को परेशान किया गया। 15 हजार भर्ती में डीएड स्पेशल एजुकेशन को बाहर कर दिया जिनसे बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आवेदन कराया गया।
एनसीटीई की ओर से समय-समय पर जारी गाइडलाइन यदि जुलाई 2011 में आरटीई के साथ यूपी में लागू कर दी जाती तो हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सरकार की फजीहत नहीं होती। सपा सरकार ने एनसीटीई गाइडलाइन के खिलाफ 72,825 शिक्षक भर्ती में एकेडमिक रिकार्ड लागू किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आधार पर टीईटी मेरिट पर भर्ती की जा रही है। इसी प्रकार 29,334 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती में प्रोफेशनल डिग्री वालों को परेशान किया गया। 15 हजार भर्ती में डीएड स्पेशल एजुकेशन को बाहर कर दिया जिनसे बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आवेदन कराया गया।
बीटीसी की अर्हता में करना होगा संशोधन
एनसीटीई के मानक लागू होने के बाद बीटीसी में प्रवेश की अर्हता भी संशोधित करनी होगी। यूपी में स्नातक के बाद बीटीसी में दाखिला दिया जाता है जबकि एनसीटीई की गाइडलाइन के अनुसार 12वीं के बाद बीटीसी कराना चाहिए। यदि मानक लागू होंगे तो अध्यापक सेवा नियमावली 1981 समेत बीटीसी की अर्हता में बदलाव करना होगा।
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