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डीएड अभ्यर्थियों ने लगा दी 15000 शिक्षक भर्ती की बाट

डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशनन) के अभ्यर्थियों ने सूबे में चल रही 15000 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की बाट लगा दी है। सरकार से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद 30 जून तक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने और जुलाई में सबको ज्वाइन करा देने की योजना पर फिलहाल पानी फिर गया है।
प्रदेश के दो दर्जन जिलों को छोड़कर बाकी में नियुक्ति पत्र पा चुके अभ्यर्थियों को भी अब 27 अगस्त तक इंतजार करना होगा। इसके बाद भी कोर्ट के फैसले पर निर्भर होगा कि काउंसिलिंग फिर से कराई जाएगी या पुराने फैसले पर अमल होगा.
चार बार हो चुका है आवेदन
प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में 15000 शिक्षकों की नियुक्ति का नोटीफिकेशन 9 दिसंबर 2014 को आया था। फरवरी 2015 से आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई और मार्च तक चली। इसके बाद प्रक्रिया ने तमाम झंझावात देखे। मामला हाईकोर्ट में चला गया। नतीजा अब तक कुल चार बार आवेदन कराया जा चुका है। इसके बाद परिषद ने सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद तय किया था कि 30 जून तक नियुक्ति पत्र बांट दिए जाएं ताकि जुलाई के पहले सप्ताह में सबको ज्वाइन करा लिया जाय। भर्ती का मामला कोर्ट में पेंडिंग था, इसलिए रास्ता निकाला गया कि नियुक्ति पत्र पर लिखकर दे दिया जाय कि भर्ती कोर्ट के फैसले के अधीन होगी। इसके तहत 28 से नियुक्ति पत्र का वितरण शुरू कर दिया गया। इलाहाबाद और बदायूं समेत करीब दो दर्जन जिले ही ऐसे थे जहां अभी इसका वितरण शुरू नहीं हुआ था। कोर्ट का फैसला आने के बाद बेसिक शिक्षा सचिव संजय सिनहा ने सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर कहा है कि वे नियुक्ति पत्र का वितरण रोक दें और जहां इसे बांटा जा चुका है, वहां ज्वाइन न कराया जाय.
डीएड अभ्यर्थी कैसे बने रोड़ा

डीएड यानी डिप्लोमा इन एजुकेशन को भारतीय पुनर्वास परिषद से 2008 में नए नाम के साथ मान्यता मिली। डिप्लोमा कोर्स का नामकरण विशेष शिक्षा (हियरिंग इम्पेयरमेंट ) कर दिया गया है। यह दो साल का डिग्री कोर्स है लेकिन इसके डिग्री धारकों को शिक्षक भर्ती में शामिल नहीं किया गया। इसे लेकर अभ्यर्थी कोर्ट गए तो हाईकोर्ट ने 2 फरवरी 15 को आदेश दिया कि उन्हें भी भर्ती प्रक्रिया में शामिल कराया जाय। इसके बाद अभ्यर्थियों से आवेदन तो ले लिए गए लेकिन काउंसिलिंग में शामिल नहीं किया गया। इसी को आधार बनाकर दीपक कुमार तिवारी व 12 अन्य ने हाईकोर्ट की फिर से शरण ली। इस पर जस्टिस राम सूरत राम की कोर्ट ने ज्वाइनिंग पर रोक लगाते हुए सुनवाई की अगली तिथि 27 अगस्त मुकर्रर कर दी है। कोर्ट के फैसले के आधार पर परिषद ने अपना फैसला बदला तो उसे फिर से काउंसिलिंग करानी पड़ेगी।
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