पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव की तरह ही डा. सुनील कुमार जैन की नियुक्ति को
लेकर भी राज्य सरकार कोर्ट में घिरती नजर आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
गोरखपुर के डा. धीरेंद्र सिंह की याचिका पर उन्हें व एक सदस्य
फरमान अली को हटाने के लिए दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
इस याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका से संबद्ध कर दिया गया है।
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की। याची का कहना है कि जैन के खिलाफ आगरा में आपराधिक केस दर्ज है। इसकी अनदेखी कर उन्हें सदस्य नियुक्त किया गया था। सदस्य फरमान अली का अधिवक्ता के तौर पर पंजीकरण संदिग्ध है। उन्हें विधि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाला व्यक्ति नहीं माना जा सकता।
याचियों की ओर से अधिवक्ता आलोक मिश्र और अभिषेक मिश्र ने और प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सीबी यादव व आयोग की तरफ से निशीथ यादव ने पक्ष रखा। याचिका की सुनवाई 23 फरवरी को होगी। डा. जैन व आयोग के तीन सदस्यों को हटाने के लिए हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह और अधिवक्ता आनंद पांडेय ने दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि डा. जौन समेत आयोग के सदस्य फरमान अली, मेजर संजय यादव व जयराम वैद्य अपने पद योग्यता नहीं रखते। इनकी नियुक्ति राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई है।
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फरमान अली को हटाने के लिए दायर याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
इस याचिका को पूर्व में दाखिल याचिका से संबद्ध कर दिया गया है।
याचिका पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की। याची का कहना है कि जैन के खिलाफ आगरा में आपराधिक केस दर्ज है। इसकी अनदेखी कर उन्हें सदस्य नियुक्त किया गया था। सदस्य फरमान अली का अधिवक्ता के तौर पर पंजीकरण संदिग्ध है। उन्हें विधि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाला व्यक्ति नहीं माना जा सकता।
याचियों की ओर से अधिवक्ता आलोक मिश्र और अभिषेक मिश्र ने और प्रदेश सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सीबी यादव व आयोग की तरफ से निशीथ यादव ने पक्ष रखा। याचिका की सुनवाई 23 फरवरी को होगी। डा. जैन व आयोग के तीन सदस्यों को हटाने के लिए हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह और अधिवक्ता आनंद पांडेय ने दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि डा. जौन समेत आयोग के सदस्य फरमान अली, मेजर संजय यादव व जयराम वैद्य अपने पद योग्यता नहीं रखते। इनकी नियुक्ति राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई है।
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