बर्खास्तगी आदेश रद्द होने पर सेवा से बाहर रखना अनुचित : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

इलाहाबाद (ब्यूरो)। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है यदि कर्मचारी की बर्खास्तगी का आदेश गलत पाते हुए रद्द किया जाता है तो उसे वापस सेवा में नहीं रखने का निर्णय अनुचित है। बर्खास्तगी आदेश रद्द होने के बाद नियोजक और कर्मचारी के बीच का संबंध पुनर्जीवित हो जाता है।
यदि जांच जारी है तो कर्मचारी को उस अवधि में निलंबित रखा जाना चाहिए। गाजियाबाद के बर्खास्त पुलिसकर्मी के मामले में विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति डॉ. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कर्मचारी अधिकरण द्वारा कर्मचारी को बिना सेवा में वापस लिए नए सिरे से जांच करने के आदेश को रद्द कर दिया है।


पीठ का मानना है कि एक बार बर्खास्तगी का आदेश समाप्त हो गया तो नियोजक तथा कर्मचारी के बीच का संबंध पुनर्जीवित हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि धारा 17 (4) अनुसार यदि कर्मचारी पहले से निलंबित नहीं है तथा उसकी बर्खास्तगी का आदेश रद्द करके पुन: जांच का आदेश दिया गया है तो उसे वापस सेवा में निलंबित रखते हुए रखा जाएगा। याची धर्मेंद्र सिंह गाजियाबाद में सहायक सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात था। उसे एक पत्नी के रहते हुए दूसरी शादी कर लेने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। बर्खास्तगी आदेश के खिलाफ अपीलें भी खारिज हो गईं। उसने राज्य लोक सेवा ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल की।

ट्रिब्यूनल ने बर्खास्तगी की प्रक्रिया सही तरीके से न अपनाए जाने के आधार पर बर्खास्तगी आदेश रद्द करते हुए कहा कि कर्मचारी को नए सिरे से आरोपपत्र जारी कर प्रक्रिया प्रारंभ की जाए, मगर ट्रिब्यूनल ने कहा कि कर्मचारी को वापस सेवा में लेने की आवश्यकता नहीं है। इस आदेश को विभिन्न याचिकाओें के बाद अपील में चुनौती दी गई थी।

•यदि जांच जारी है तो निलंबित रखा जा सकता है कर्मचारी

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