अर्द्ध सैनिक बलों में जवानों के 72,309 पदों पर भर्ती हेतु जारी चयन परिणाम को याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है। परिणाम को रद्द करने की मांग की गई है, जिस पर हाईकोर्ट ने भारत सरकार और कर्मचारी चयन आयोग से जवाब मांगा है।
याचिका में सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी और बीएसएफ में भर्ती के लिए पांच फरवरी 2011 और 21 फरवरी 2011 को जारी विज्ञापन को चुनौती दी गई है। राजीव कुमार और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति बी अमित स्थालकर ने केंद्र और आयोग से जवाब मांगा है।
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता विजय गौतम ने बताया कि 72,309 पद विज्ञापित किए गए थे। इसके सापेक्ष 44,152 जवानों को ही चयनित किया गया। शेष पदोें का परिणाम घोषित नहीं किया गया। इससे 28 हजार 44 पद रिक्त रह गए। भर्ती परीक्षा में यह नियम था कि ओएमआर शीट के पहले पन्ने पर यदि किसी प्रकार की त्रुटि पायी जाएगी तो अभ्यर्थी को शून्य अंक देकर आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा। आरोप है कि इसकी आड़ में व्यापक पैमाने पर धांधली की गई। तमाम ऐसे लोगों को चयनित किया गया है जिनकी ओएमआर शीट में त्रुटियां थी, जबकि याचीगण का चयन हो सका और उनसे कम अंक पाने वाले चयनित हो गए हैं। याचिका में कहा गया है कि चयन में पसंद के आधार पर वरीयता दी गई है। इस भर्ती प्रक्रिया को अन्य राज्यों के हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई है। दूसरे राज्यों में याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों को चयनित कर लिया गया है।
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याचिका में सीआरपीएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी और बीएसएफ में भर्ती के लिए पांच फरवरी 2011 और 21 फरवरी 2011 को जारी विज्ञापन को चुनौती दी गई है। राजीव कुमार और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति बी अमित स्थालकर ने केंद्र और आयोग से जवाब मांगा है।
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता विजय गौतम ने बताया कि 72,309 पद विज्ञापित किए गए थे। इसके सापेक्ष 44,152 जवानों को ही चयनित किया गया। शेष पदोें का परिणाम घोषित नहीं किया गया। इससे 28 हजार 44 पद रिक्त रह गए। भर्ती परीक्षा में यह नियम था कि ओएमआर शीट के पहले पन्ने पर यदि किसी प्रकार की त्रुटि पायी जाएगी तो अभ्यर्थी को शून्य अंक देकर आवेदन निरस्त कर दिया जाएगा। आरोप है कि इसकी आड़ में व्यापक पैमाने पर धांधली की गई। तमाम ऐसे लोगों को चयनित किया गया है जिनकी ओएमआर शीट में त्रुटियां थी, जबकि याचीगण का चयन हो सका और उनसे कम अंक पाने वाले चयनित हो गए हैं। याचिका में कहा गया है कि चयन में पसंद के आधार पर वरीयता दी गई है। इस भर्ती प्रक्रिया को अन्य राज्यों के हाईकोर्ट में भी चुनौती दी गई है। दूसरे राज्यों में याचिका दाखिल करने वाले अभ्यर्थियों को चयनित कर लिया गया है।
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