नई दिल्ली वयनाड के छोटे से गांव चेन्नालोड में पले बढ़े पी सी मुस्तफा की सक्सेस स्टोरी ऐसी है कि हर कोई उनके जैसी मेहनत कर आगे बढऩा चाहेगा। मुस्तफा ने बचपन में ही सोच लिया था कि वह व्यवसायी बनेंगे और ग्रामीण लोगों को रोजगार देंगे। लेकिन उन्होंने जैसा सोचा वह कर दिखाया।
जिसका परिणाम है कि आज पी सी मुस्तफा की कंपनी के बने ताजा इडली और डोसे बैंगलौर, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, मंगलुरु और यहां तक की दुबई के घर घर में लोगों के मुंह कर जायका बन गए हैं।
छठीं में फेल होने के बाद उनका स्कूल जाने में भी मन नहीं लगता था। उनके पिता ने उन्हें कुली बनने के लिए कहा। लेकिन उनके गणित के शिक्षक को ऐसे उनका स्कूल छोडऩा पसंद न आया। उन्होंने उनके पिता से बात की जिससे उनके पिता उन्हें एक और मौका देने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद उनके शिक्षक ने उनसे पूछा कि तुम एक कुली बनना चाहोगे या शिक्षक। मुस्तफा ने अपने शिक्षक को ध्यान से देखा और अपने पिता के बारे में सोचा। अपने शिक्षक को उन्होंने जवाब दिया कि मैं आपकी तरह एक शिक्षक बनना चाहता हूं।
जब वो वापस स्कूल पहुंचे तो उन्हें अपने से छोटी कक्षा वाले बच्चों के साथ बैठना पड़ा। उनके सभी दोस्त उनसे एक कक्षा ऊपर पहुंच चुके थे। वो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कमजोर थे। लेकिन उनके गणित के शिक्षक ने उनकी बहुत मदद की। अपने कठिन परिश्रम के बलबूते सातवीं कक्षा में उन्होंने टॉप करके अपने शिक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वह हाईस्कूल की परीक्षा में भी वो पूरे स्कूल में अव्वल आए। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिले की परीक्षा दी जिसमें उन्हें 63वां रैंक मिला और उनका दाखिला रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज जिसे अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हो गया। यहां अंग्रेजी में थोड़ी समस्या आई लेकिन आज यह 100 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
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जब वो वापस स्कूल पहुंचे तो उन्हें अपने से छोटी कक्षा वाले बच्चों के साथ बैठना पड़ा। उनके सभी दोस्त उनसे एक कक्षा ऊपर पहुंच चुके थे। वो हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कमजोर थे। लेकिन उनके गणित के शिक्षक ने उनकी बहुत मदद की। अपने कठिन परिश्रम के बलबूते सातवीं कक्षा में उन्होंने टॉप करके अपने शिक्षकों को आश्चर्यचकित कर दिया। उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद वह हाईस्कूल की परीक्षा में भी वो पूरे स्कूल में अव्वल आए। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिले की परीक्षा दी जिसमें उन्हें 63वां रैंक मिला और उनका दाखिला रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज जिसे अब नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हो गया। यहां अंग्रेजी में थोड़ी समस्या आई लेकिन आज यह 100 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं।
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