सोनभद्र : प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में गर्मी में हेडमास्टरों की सांसत हो गई है। इसके विपरीत सहायक अध्यापक मजा मार रहे हैं। अफसोस की बात तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट व सरकार के आदेशों की अवहेलना करने वाले सहायक अध्यापक व रसोइयों पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है।
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सारा दारोमदार हेडमास्टरों के कंधे पर डाल दिया गया है। इससे लोगों में आक्रोश फैल रहा है और वे सहायक अध्यापक व रसोइयों का जून माह का वेतन व मानदेय निकासी पर रोक लगाने की मांग करने लगे हैं।
जून माह में परिषदीय विद्यालयों में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अफसोस की बात तो यह है कि तमाम स्कूल के सहायक अध्यापक 20 मई के बाद से ही स्कूल जाना छोड़ दिए हैं। कमोवेश यही स्थिति शिक्षामित्र व रसोइयों की भी है। हालात उस वक्त बेकाबू हो गई जब एक जून से सहायक अध्यापक व रसोइयों ने विद्यालय की डगर को छोड़ दिया। जबकि शासनादेश के अनुसार शिक्षामित्रों को जून माह में मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता है। ऐसी स्थिति में शिक्षामित्रों के स्कूल न जाने की बात तो समझ में आती है लेकिन सहायक अध्यापक व रसोइयों के स्कूल से मुंह मोड़ लेने से व्यवस्था ही बेपटरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट व शासनादेश के मुताबिक सूखाग्रस्त जिले में स्कूल को संचालन कर मिड-डे-मील बनवाया जाए लेकिन हैरत की बात तो यह है कि जून से तमाम स्कूलों की रसोइयां आ ही नहीं रही हैं। सबसे बड़ी मुश्किल व इस योजना में रुकावट सहायक अध्यापक बन गए जो 20 मई से लापरवाही से ड्यूटी को अंजाम देने वाले एक जून से स्कूल आना ही बंद कर दिए। महज हेडमास्टर स्कूल खोल कर अकेले ड्यूटी बजा रहे हैं। हेडमास्टरों का तर्क है कि क्या सहायक अध्यापक जून माह में वेतन नहीं लेंगे। यदि वे वेतन लेंगे तो यह आदेश क्या सिर्फ हेडमास्टरों के लिए ह है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों के बीच मतभेद उभरने से स्थिति सामान्य नहीं है। हैरत की बात तो यह है कि स्कूल न जाने वाले हेडमास्टर व सहायक अध्यापक के खिलाफ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई भी नहीं की जा रही है।
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स्कूल में नहीं आ रहे बच्चे
स्कूल में बच्चे ही नहीं आ रहे, मिड-डे-मील किसे खिलाया जाए। इन दिनों यह सवाल प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों से पूछ रहे हैं। हालांकि शासन के अफसरों की मानें तो उन्हें गर्मियों की छुट्टियों में शिक्षकों को रोज स्कूल जाना है। शिक्षकों में हेडमास्टर ही नहीं सहायक अध्यापक भी शामिल हैं। नियमानुसार स्कूल में यदि एक भी बच्चा आ रहा है, तो उसे मिड-डे- मील उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी शिक्षक की है।
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बोले बीएसए
परिषदीय विद्यालयों में यदि एक बच्चा आ रहा है तो मिड-डे-मील का संचालन किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल में हर दिन हेडमास्टर के अलावा सहायक अध्यापक व रसोईयों की उपस्थिति अनिवार्य है। यदि किसी हेडमास्टर द्वारा यह रिपोर्ट की जाती है कि उनके स्कूल पर सहायक अध्यापक या फिर रसोइयां नहीं आ रही हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सहायक अध्यापक को निलंबित करने के साथ ही रसोइयों को हमेशा के लिए स्कूल से हटाया जाएगा।
-मन भरन राम राजभर, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सोनभद्र।
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