जागरण संवाददाता, मैनपुरी: परिषदीय विद्यालयों में हुई फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में गुरुवार को नया मोड़ आ गया। दो दिन पहले इस्तीफा देने वाले एक शिक्षक ने अपना इस्तीफा वापस मांगा है। उसका कहना है कि मानसिक रूप से परेशान होने के कारण उसने इस्तीफा दिया था।
उधर, फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में यहां तैनात रहे एक बीएसए की भूमिका भी संदिग्ध लग रही है।
बताते चलें कि सितंबर 2015 में जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में गणित और विज्ञान के 333 शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। इनमें कई शिक्षकों के शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) के प्रमाण पत्र फर्जी थे, लेकिन बगैर प्रमाण पत्रों का सत्यापन किए ही शिक्षकों का वेतन और एरियर निकाल दिया गया। बाद में शिकायत पर जांच हुई, तो अब तक 11 शिक्षकों के टेट प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं। इन शिक्षकों का मई का वेतन रोक दिया गया है। अब तक इनमें से तीन शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया। दो दिन पहले इस्तीफा देने वाले उच्च प्राथमिक विद्यालय बसैत में तैनात अध्यापक राजकुमार ने गुरुवार को फिर से प्रार्थना पत्र देकर अपना इस्तीफा वापस मांगा है। उसने प्रार्थना पत्र में कहा है कि वह मानसिक रूप से परेशान था, इसलिए त्याग पत्र दिया था, जबकि जांच टीम को उसके शैक्षिक पात्रता परीक्षा की अंकतालिका फर्जी मिली है।
उधर, फर्जी शिक्षकों की नियुक्तियों में तत्कालीन बीएसए हरकेश यादव की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति एक दलाल के माध्यम से हुई थी। इस नियुक्ति में बड़ा खेल किया गया था।
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'जिलाधिकारी के निर्देश पर राजस्व अधिकारी कृपाशंकर यादव के नेतृत्व में जांच प्रक्रिया चल रही है। जांच पूरी होने के बाद ही वास्तविकता सामने आ सकेगी। फिलहाल जिन शिक्षकों के दस्तावेज फर्जी मिले हैं, उनका वेतन रोक दिया गया है। एक शिक्षक ने अपना त्यागपत्र वापस करने को प्रार्थना पत्र भी दिया है।'
भारती शाक्य, प्रभारी बीएसए।
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