सुलतानपुर : करीब तीन साल पहले गैर जिलों से तबादले पर आए करीब 300
बेसिक शिक्षकों को अब शासन के नए फरमान ने दुविधा में डाल दिया है। उन्हें
डर सता रहा है कि कहीं ऐसा न हो कि वे पदोन्नति से ही वंचित न रह जाएं।
प्राथमिक शिक्षक संघ ने महकमे के बाबुओं पर रिक्त पदों की संख्या को लेकर जिम्मेदारों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। साथ ही अधिकारियों से इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार कर समस्याओं के निराकरण की बात कही है।
तीन साल पहले बेसिक शिक्षकों की सामान्य तौर पर गैर जिला तबादले की व्यवस्था नहीं थी। शासन ने इसे संज्ञान में लेते हुए सन 2013 में पहली बार बड़े पैमाने पर विभिन्न जिलों में शिक्षकों को गैर जिला स्थानांतरित किया। जिसके अंतर्गत जिले को 456 नए शिक्षक मिले। इनमें से तकरीबन डेढ़ सौ को वरिष्ठता के अनुरूप पदोन्नति का लाभ भी मिल गया। लेकिन शेष पद खाली न होने की वजह से तीन सौ शिक्षक अभी भी पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। इनमें बड़ी तादाद प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की है। महकमे के अधिकारियों ने दिलासा दी थी कि आने वाले वक्त में पद जब रिक्त होते जाएंगे उसी के अनुसार पदोन्नति का लाभ भी स्थानीय शिक्षकों के साथ-साथ गैर जिलों से तबादले पर आए बेसिक शिक्षकों को मिलता जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बीच गत दिवस शासन ने नया फरमान जारी करते हुए प्रत्येक जिले में विभिन्न पदों पर रिक्तियों के अनुरूप शिक्षकों से गैर जिला तबादले को अनुमति दे दी है। जिससे कि पदोन्नति की बाट जोह रहे तीन साल पहले आए शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फिरने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
प्राशिसं ने बुलाई आपात बैठक
रविवार को प्राथमिक शिक्षक संघ की आपात बैठक जिलाध्यक्ष दिलीप पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें पदोन्नति का मुद्दा छाया रहा। वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीरेंद्र मिश्र व प्रशांत पांडेय ने आरोप लगाया कि महकमे के दफ्तर से विभिन्न पदों पर रिक्त की संख्या को लेकर संगठन को गुमराह किया जाता रहा है। अब अंतरजनपदीय तबादले के लिए रिक्त पदों की संख्या अचानक बढ़ा दी गई है। जिससे कि कई वर्षों तक पद से वंचित होने की आशंका गैर जिलों से तबादले पर आए पुराने शिक्षकों की पदोन्नति प्रभावित होने की आशंका है। संगठन इसे गंभीरता से लेगा और वस्तुस्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत कराएगा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीवान ¨सह यादव का कहना है कि वे प्रकरण संज्ञान में लेंगे। हकीकत से अवगत होने के बाद जो यथोचित होगा वो किया जाएगा।
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प्राथमिक शिक्षक संघ ने महकमे के बाबुओं पर रिक्त पदों की संख्या को लेकर जिम्मेदारों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। साथ ही अधिकारियों से इस विषय पर गंभीरतापूर्वक विचार कर समस्याओं के निराकरण की बात कही है।
तीन साल पहले बेसिक शिक्षकों की सामान्य तौर पर गैर जिला तबादले की व्यवस्था नहीं थी। शासन ने इसे संज्ञान में लेते हुए सन 2013 में पहली बार बड़े पैमाने पर विभिन्न जिलों में शिक्षकों को गैर जिला स्थानांतरित किया। जिसके अंतर्गत जिले को 456 नए शिक्षक मिले। इनमें से तकरीबन डेढ़ सौ को वरिष्ठता के अनुरूप पदोन्नति का लाभ भी मिल गया। लेकिन शेष पद खाली न होने की वजह से तीन सौ शिक्षक अभी भी पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। इनमें बड़ी तादाद प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों की है। महकमे के अधिकारियों ने दिलासा दी थी कि आने वाले वक्त में पद जब रिक्त होते जाएंगे उसी के अनुसार पदोन्नति का लाभ भी स्थानीय शिक्षकों के साथ-साथ गैर जिलों से तबादले पर आए बेसिक शिक्षकों को मिलता जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बीच गत दिवस शासन ने नया फरमान जारी करते हुए प्रत्येक जिले में विभिन्न पदों पर रिक्तियों के अनुरूप शिक्षकों से गैर जिला तबादले को अनुमति दे दी है। जिससे कि पदोन्नति की बाट जोह रहे तीन साल पहले आए शिक्षकों की उम्मीदों पर पानी फिरने की आशंका उत्पन्न हो गई है।
प्राशिसं ने बुलाई आपात बैठक
रविवार को प्राथमिक शिक्षक संघ की आपात बैठक जिलाध्यक्ष दिलीप पांडेय की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जिसमें पदोन्नति का मुद्दा छाया रहा। वरिष्ठ उपाध्यक्ष वीरेंद्र मिश्र व प्रशांत पांडेय ने आरोप लगाया कि महकमे के दफ्तर से विभिन्न पदों पर रिक्त की संख्या को लेकर संगठन को गुमराह किया जाता रहा है। अब अंतरजनपदीय तबादले के लिए रिक्त पदों की संख्या अचानक बढ़ा दी गई है। जिससे कि कई वर्षों तक पद से वंचित होने की आशंका गैर जिलों से तबादले पर आए पुराने शिक्षकों की पदोन्नति प्रभावित होने की आशंका है। संगठन इसे गंभीरता से लेगा और वस्तुस्थिति से उच्चाधिकारियों को अवगत कराएगा।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दीवान ¨सह यादव का कहना है कि वे प्रकरण संज्ञान में लेंगे। हकीकत से अवगत होने के बाद जो यथोचित होगा वो किया जाएगा।
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