आगे बढ़ी सातवें वेतन आयोग की गाड़ी: वित्त विभाग ने प्रस्ताव न्याय विभाग को भेजा, अगली बैठक में आएगा, कैबिनेट से ली जाएगी केंद्र की सिफारिशों पर अमल की मंजूरी

लखनऊ : राज्य कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की गाड़ी आगे बढ़ने लगी है। वित्त विभाग ने केंद्र की सिफारिशों पर अमल की मंजूरी का प्रस्ताव तैयार कर न्याय विभाग को भेजा है। कैबिनेट की अगली बैठक में
इसे रखने की तैयारी है।
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ देने का फैसला किया है। एक समझौते के तहत राज्य सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन संबंधी सभी लाभ राज्य कर्मचारियों को देती है। राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को इसी वर्ष सातवें वेतन आयोग का लाभ देने का फैसला किया है। सबसे पहले इन संस्तुतियों को स्वीकार करने के नीतिगत फैसले पर कैबिनेट की मंजूरी ली जानी है।
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वित्त विभाग ने इस आशय का प्रस्ताव बनाकर न्याय विभाग को भेजा है। प्रमुख सचिव (वित्त) राहुल भटनागर ने बताया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है। वित्त व न्याय विभाग की सहमति के बाद अगली कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट से केंद्र सरकार द्वारा स्वीकार सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को नीतिगत रूप से स्वीकार किये जाने के बाद समीक्षा समिति गठित की जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया जाएगा। मुख्यमंत्री द्वारा मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में समीक्षा समिति गठित की जाएगी। इस समिति से तीन माह के भीतर रिपोर्ट मांगने की तैयारी है, ताकि इस साल के अंत तक कर्मचारियों को वेतन आयोग का लाभ दिलाया जा सके। माना जा रहा है कि वेतन की मूल संस्तुतियां तो पूरी तरह स्वीकार कर ली जाएंगी, किन्तु भत्ताें पर मुख्यमंत्री द्वारा गठित समीक्षा समिति अपने स्तर फैसला लेगी। दरअसल प्रदेश सरकार भत्ताें को केंद्र सरकार के फैसले के अनुरूप मूल रूप से स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है, इसीलिए उनमें बदलाव की उम्मीद है।
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