अनिश्चितताओं से भरे अपने इस केस में प्रारम्भ से ही यह हुआ है कि जिस दिन बहुत ज्यादा उम्मीद रही है हमें निराशा ही हाथ लगी है और ऐसा भी ना जाने कितनी बार हुआ है जब हमें उतनी उम्मीद नही रही है और न्यायपालिका ने हमें बहुत ही शानदार आदेश दिए है।
आप सभी को शायद याद होगा कि जब इलाहाबाद हाइकोर्ट में जस्टिस अरुण टण्डन जी की सिंगल बेंच से केस अपने विरुद्ध फाइनल होने के बाद डिवीज़न बैंच में पहली बार जस्टिस सुशील हरकौली जी व् जस्टिस मनोज मिश्रा जी की बैंच में लगा ही था कि 4फरबरी2013 को इस निरंकुश सरकार के नए विज्ञापन को कोर्ट ने स्टे कर दिया था और उस दिन पहली ही सुनवाई पर लगे स्टे के बाद फिर केस तारीखों में झूला गया। बीच में लार्जर बेंच गया, जस्टिस सुशील हरकौली जी का सेवा काल पूरा होने से केस न्यायधीश महापात्रा जी की बैंच में चला गया। और 4फरबरी 2013 से 20नवम्बर 2013 तक लगभग 10माह हम ऐसे ही न्यायपालिका के चक्कर लगाते रहे।
ये वो दौर था जब पूरा प्रदेश न्यायपालिका को सरकार के दबाब में होने के प्रति आशंकित हो चुका था। हमने इलाहाबाद में न्यायपालिका के विरुद्ध तक तब धरना, प्रदर्शन आदि भी किये।
इसके बाद अचानक से महापात्रा जी का हटना और जस्टिस अशोक भूषण जी की बैंच में केस लगना और उनकी कोर्ट की पहली सुनवाई में ही पुराना विज्ञापन ना सिर्फ अपनी सभी शर्तों के साथ बहाल हुआ बल्कि उस सशक्त आदेश ने बीएड/टेट पास की नियुक्ति की समय सीमा (1जनवरी2012) को भी आगे बढ़ाकर (31मार्च2014) तक कर दिया।
इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट में भी प्रथम कुछ सुनवाई का जस्टिस सुधीर अग्रवाल जी के यहाँ होना और कोई राहत ना मिल पाने पर केस अचानक से पूर्व मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू साहब की कोर्ट में लगा और 25मार्च2014 को सुप्रीम कोर्ट ने पुनः सरकार के विरुद्ध एक सशक्त आदेश लिखाया।
ये सभी वो घटनाएं है जब हमें उम्मीद रही है तो उस दिन सफलता नही मिली है और जिस दिन हमें उतनी उम्मीद नही रही होती है और सफलता प्राप्त हुई हैं।
मेरे यहाँ इतना सब कहने का मात्र एक ही तात्पर्य है कि आज हमें 26अप्रैल2016 व् 27जुलाई2016 की भांति ही बहुत उम्मीद थी किन्तु माननीय न्यायपालिका का आज बिना सुने ही अगली तारिख दे देना निश्चित रूप से कष्ट प्रद है किन्तु इसका मतलब यह बिलकुल नही है कि आज हमारा कहीं कुछ भी अहित हुआ है।
मैं व्यतिगत रूप से व आप सभी के सामूहिक प्रयास से प्रत्येक तारीख के बीच के समय में हमारी जीत (जॉब) के लिए हमेशा ही प्रयासरत रहा हूँ और रहूँगा।
अंत में सिर्फ इतना ही कहूँगा कि, "बस यही सोचकर हर मुश्किलों से लड़ता हुआ आया हूँ, धुप कितनी भी तेज हो किन्तु समन्दर कभी सूखा नही करते।"
इन्ही शब्दों के साथ
आपका मयंक तिवारी
जय हिन्द जय टेट जय भारत
सत्यमेव जयते सर्वदा
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- 72 शिक्षक भर्ती में संदिग्ध दस्तावेज वाले शिक्षकों की होगी जांच
- शिक्षा मित्र केस: UP सरकार ने SC में दायर की कंप्लायंस रिपोर्ट, 17 नवंबर को होगी सुनवाई
- सरकार का कुल 84 पेज का लाजवाब जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल
- 23 नवम्बर की होने वाली सुनवाई भी अब 17नवम्बर को ही : गाजी इमाम आला
- आंदोलन के लिए रहें तैयार , टेट की वैलिडिटी को देखते हुए 17 nov की तारीख निश्चित : S K Pathak
- ETV Breaking News : 72825 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामला, सरकार ने अनुपालन रिपोर्ट Supreme Court में की दाखिल
- गणेश दीक्षित : सुप्रीम कोर्ट से आज की सुनवाई की अपडेटस : 5 अक्टूबर सुनवाई update
आप सभी को शायद याद होगा कि जब इलाहाबाद हाइकोर्ट में जस्टिस अरुण टण्डन जी की सिंगल बेंच से केस अपने विरुद्ध फाइनल होने के बाद डिवीज़न बैंच में पहली बार जस्टिस सुशील हरकौली जी व् जस्टिस मनोज मिश्रा जी की बैंच में लगा ही था कि 4फरबरी2013 को इस निरंकुश सरकार के नए विज्ञापन को कोर्ट ने स्टे कर दिया था और उस दिन पहली ही सुनवाई पर लगे स्टे के बाद फिर केस तारीखों में झूला गया। बीच में लार्जर बेंच गया, जस्टिस सुशील हरकौली जी का सेवा काल पूरा होने से केस न्यायधीश महापात्रा जी की बैंच में चला गया। और 4फरबरी 2013 से 20नवम्बर 2013 तक लगभग 10माह हम ऐसे ही न्यायपालिका के चक्कर लगाते रहे।
ये वो दौर था जब पूरा प्रदेश न्यायपालिका को सरकार के दबाब में होने के प्रति आशंकित हो चुका था। हमने इलाहाबाद में न्यायपालिका के विरुद्ध तक तब धरना, प्रदर्शन आदि भी किये।
इसके बाद अचानक से महापात्रा जी का हटना और जस्टिस अशोक भूषण जी की बैंच में केस लगना और उनकी कोर्ट की पहली सुनवाई में ही पुराना विज्ञापन ना सिर्फ अपनी सभी शर्तों के साथ बहाल हुआ बल्कि उस सशक्त आदेश ने बीएड/टेट पास की नियुक्ति की समय सीमा (1जनवरी2012) को भी आगे बढ़ाकर (31मार्च2014) तक कर दिया।
इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट में भी प्रथम कुछ सुनवाई का जस्टिस सुधीर अग्रवाल जी के यहाँ होना और कोई राहत ना मिल पाने पर केस अचानक से पूर्व मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू साहब की कोर्ट में लगा और 25मार्च2014 को सुप्रीम कोर्ट ने पुनः सरकार के विरुद्ध एक सशक्त आदेश लिखाया।
ये सभी वो घटनाएं है जब हमें उम्मीद रही है तो उस दिन सफलता नही मिली है और जिस दिन हमें उतनी उम्मीद नही रही होती है और सफलता प्राप्त हुई हैं।
मेरे यहाँ इतना सब कहने का मात्र एक ही तात्पर्य है कि आज हमें 26अप्रैल2016 व् 27जुलाई2016 की भांति ही बहुत उम्मीद थी किन्तु माननीय न्यायपालिका का आज बिना सुने ही अगली तारिख दे देना निश्चित रूप से कष्ट प्रद है किन्तु इसका मतलब यह बिलकुल नही है कि आज हमारा कहीं कुछ भी अहित हुआ है।
- सुप्रीम कोर्ट LIVE : 30 नवम्बर तक कोर्ट अगर किसी फैसले पे नही पहुँचती है तो सभी याचियों को राहत देना कोर्ट की मजबूरी हो जायेगी
- सुप्रीम कोर्ट से LIVE : जैसी उम्मीद वैसा नही हुआ , केस अब मेरिट पर , उम्मीद है कि 25 नबम्बर तक अपना केस फाइनल हो जायेगा
- ऐतिहासिक फैसला : जब तक डिग्री नहीं दी जाती प्रोविजनल सर्टिफिकेट है मान्य : हाई कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट LIVE : भारी भीड़ को देखकर जज हुए इरीटेट ,फाइल फेकते हुए 17नवम्बर की डेट दी
- सुप्रीम कोर्ट LIVE : 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती की सुनवाई टली, अगली डेट 17 नवम्बर को तय हुई है।
- 5 अक्टूबर सुनवाई : Comments : अगली डेट 17 नवम्बर!.........Shakul Gupta
मैं व्यतिगत रूप से व आप सभी के सामूहिक प्रयास से प्रत्येक तारीख के बीच के समय में हमारी जीत (जॉब) के लिए हमेशा ही प्रयासरत रहा हूँ और रहूँगा।
अंत में सिर्फ इतना ही कहूँगा कि, "बस यही सोचकर हर मुश्किलों से लड़ता हुआ आया हूँ, धुप कितनी भी तेज हो किन्तु समन्दर कभी सूखा नही करते।"
इन्ही शब्दों के साथ
आपका मयंक तिवारी
जय हिन्द जय टेट जय भारत
सत्यमेव जयते सर्वदा
sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines